केरल में बांग्लादेशी नहीं, निपाह इंडिया वेरिएंट से संक्रमण, 26 अक्टूबर तक आइसोलेशन में रहेंगे संक्रमित मरीज
केरल में निपाह के केस सामने आने के बाद इसके कोरोना की तरह संक्रमण और फैलाव की आशंका को लेकर आईसीएमआर के वैज्ञानिकों से बात की गई। उनका कहना है कि कोरोना और निपाह दोनों अलग तरह के वायरस है। इसका संक्रमण कोरोना की तरह नहीं है इससे तुलना न करें। केरल में भी संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों का 21 दिन का आइसोलेशन आज खत्म हो रहा है।
संदीप राजवाड़े। नई दिल्ली।
केरल के कोझिकोड में मिले निपाह वायरस से संक्रमित छह लोगों में से दो की मौत हो चुकी है, बाकी चार के टेस्ट लगातार निगेटिव आने पर उन्हें अस्पताल से घर भेज दिया गया है। इसमें 9 साल का लड़का भी शामिल है। संक्रमित छह लोगों के संपर्क में आने वाले केरल में करीब 1300 लोगों की ट्रेसिंग की गई, जिसमें से कम और ज्यादा जोखिम वालों की पहचान कर अलग किया गया और उनकी निगरानी की गई। इनमें से 568 ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें पहले 21 दिन के लिए आइसोलेशन में रखा गया, जिसकी अवधि पांच अक्टूबर को खत्म हो रही है। इसके अलावा संक्रमित मरीजों को अगले 21 दिन, यानी 26 अक्टूबर तक घर में आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई है। आईसीएमआर के वैज्ञानिकों के अनुसार केरल में हाल ही में जो केस सामने आए हैं, वह बांग्लादेशी निपाह वेरिएंट के कारण नहीं हुए थे। निपाह के नए वेरिएंट के कारण केरल में छह लोग संक्रमित हुए, यह पहले मिले निपाह मलेशिया और निपाह बांग्लादेश वेरिएंट से कुछ अलग है। इसे निपाह इंडिया वेरिएंट कहा जा रहा है।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने अपने बयान में कहा कि 16 सितंबर के बाद से निपाह का कोई भी नया केस नहीं मिला है। इसके बाद भी 42 दिन (26 अक्टूबर) तक संक्रमित चार मरीजों के साथ संपर्क में आए लोगों की निगरानी की जा रही है। 26 अक्टूबर तक कोझिकोड में निपाह वायरस का कंट्रोल रूम व ट्रेसिंग टीम काम करते रहेगी। इस दौरान संक्रमण का कोई केस नहीं आता तो कोझिकोड को निपाह मुक्त घोषित कर दिया जाएगा।
केरल स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने अपने बयान में कहा कि 16 सितंबर के बाद से निपाह का कोई भी नया केस नहीं मिला है। इसके बाद भी 42 दिन (26 अक्टूबर) तक संक्रमित चार मरीजों के साथ संपर्क में आए ट्रेस लोगों की निगरानी की जा रही है। 26 अक्टूबर तक कोझिकोड में निपाह वायरस का कंट्रोल रूम व ट्रेसिंग टीम काम करते रहेगी। इस दौरान तक संक्रमण का कोई केस नहीं आता तो कोझिकोड को निपाह मुक्त घोषित कर दिया जाएगा। वहीं, आईसीएमआर वॉयरोलॉजी की हेड डॉ. निवेदिता गुप्ता ने बताया कि कोरोना से निपाह वायरस की बिल्कुल तुलना नहीं करना चाहिए, दोनों अलग किस्म के वायरस हैं। इसका संक्रमण कोरोना की तरह नहीं है, इससे डरने की जरूरत नहीं है।
जागरण प्राइम ने निपाह वायरस के संक्रमण और अन्य राज्यों में इसके फैलाव की आशंका -डर को लेकर आईसीएमआर के वैज्ञानिकों से बात की। उनके अनुसार निपाह को लेकर देश में कोई खतरा नहीं है, केरल में सब सामान्य है।
- केरल में अभी जो निपाह वायरस से दो लोगों की मौत हुई और अन्य चार संक्रमित हुए, उसका सोर्स क्या था?
- केरल में निपाह वायरस से जिन मरीजों की मौत हो गई, उनका सोर्स ढ़ूंढ़ना तो मुश्किल है। यह जरूर वहां देखा गया है कि जिन दो लोगों की इससे मौत हुई, वहां आसपास बड़े स्तर पर केले की खेती की जाती है और वहां बहुतयात में चमगादड़ भी मौजूद हैं। ये निपाह से मृत होने वाले दोनों व्यक्ति के घर से लगे हुए हैं।
- भारत में केरल में ही लगातार निपाह वायरस के केस क्यों मिल रहे हैं?
- केरल में उन जगहों पर निपाह वायरस के केस मिले हैं, जहां जंगल या बड़े स्तर पर प्लांटेशन है और लोगों के मकान भी उससे लगे हैं। इसके अलावा वहां चमगादड़ की मौजूदगी भी रही है। इससे साफ जाहिर होता है कि इंसानों और चमगादड़ों के बीच किसी न किसी तरह से संपर्क होता होगा। जबकि बांग्लादेश में ताड़ी के माध्यम से केस सामने आए हैं। ताड़ी के लिए पेड़ में रात को मटका या बर्तन लटकाकर भरने के लिए रखा जाता है, ऐसे में वहां चमगादड़ ताड़ी पी लेता है या उसमें यूरिन कर देता है, उससे निपाह वायरस का संक्रमण हो जाता है। लेकिन केरल में ताड़ी पीने का ट्रेंड बहुत ही कम है। इसके अलावा फल में अगर चमगादड़ का सलाइवा लग गया हो और किसी ने उसे बिना धोए हुए खा लिया तो संक्रमण हो जाता है। यह तो पूरी तरह से नहीं मालूम कि पहला केस कैसे आया लेकिन बाद के जो भी केस आए, वह पहले मरीज के संपर्क से ही संक्रमित हुए। उनमें से कुछ परिवार के थे और अन्य हॉस्पिटल में किसी न किसी तरह से संपर्क में आने के कारण संक्रमित हुए।
- केरल में मिला निपाह वायरस क्या बांग्लादेशी वेरिएंट है?
- केरल में हाल ही में जो निपाह वायरस के मामले सामने आए हैं, वह बांग्लादेशी वेरिएंट के नहीं है। निपाह के तीन वेरिएंट हैं, एक निपाह मलेशिया है, जो सबसे पहले आया था। दूसरा निपाह बांग्लादेश है, जिसके केस भारत के पश्चिम बंगाल के नादिया में 2007 में पाए गए थे। यह संक्रमण निपाह बांग्लादेश की वजह से ही हुआ था। लेकिन केरल में जो अभी निपाह वायरस का संक्रमण हुआ है, वह बांग्लादेश वेरिएंट से थोड़ा अलग है, उसे निपाह इंडिया बोल रहे हैं। तीन तरह के निपाह वायरस मिले हैं। ये तीनों निपाह के वेरिएंट एक दूसरे से 90-95 फीसदी सामान हैं, लेकिन कुछ अंतर भी हैं। तीनों पूरी तरह से एक ही तरह के नहीं है।
- क्या कोरोना की तरह ही निपाह का संक्रमण तेजी से फैलता है?
- निपाह वायरस में भी संक्रमण होता है, अगर इससे संक्रमित मरीज के संपर्क में आए हैं तो सांस के रास्ते भी इंफेक्शन हो सकता है। उनका ब्लड या बॉडी फ्लूइड एरिया जो कंटेनमेटेड क्लोजिंग हैंडल करने से भी हो सकता है। निपाह वायरस का फैलने का जो स्तर है, वह कोरोना वायरस की तुलना में बहुत की कम है। हालांकि यह बहुत गंभीर किस्म का वायरस है। इससे बीमारी भी बहुत ज्यादा होती है, मौत भी बहुत ज्यादा होती है, लेकिन यह कोरोना की तरह ऐसे फैलता नहीं है। इसका संक्रमण का दर कोरोना की अपेक्षा बहुत ही कम है। कोरोना वायरस में खांसी, सर्दी-जुकाम, बुखार के लक्षण दिखाई देते हैं। और निपाह में पहले बुखार आता है, वह भी बहुत ही गंभीर होता है। यह ब्रेन को भी प्रभावित करता है। इसका इंफेक्शन में ज्यादा सीरियस सिम्टम्स होते है, जबकि कोरोना में तो हल्के लक्षण वाले भी संक्रमण होते हैं। दोनों वायरस में काफी अंतर है। निपाह डिफरेंट फैमिली का जूनोटिक वायरस है।
- केरल में पुणे वॉयरोलॉजी की टीम जांच के लिए गई थी, उन्हें संक्रमण का क्या कारण मिला?
- केरल में चमगादड़ से फल के जरिए ही संक्रमण होने की बात सामने आई है। आईसीएमआर द्वारा पहले किए गए सर्वे में चमगादड़ों में आरएनए भी मिला है, एंटीबॉडी भी मिली है, इस बार जरूर अब तक उसमें कुछ नहीं मिला है, आगे टेस्ट जारी है। भारत में पहला केस जो आता है, वह तो किसी चमगादड़ के संपर्क से ही आता है, फिर उसके बाद आगे किसी अन्य को होता है। पहले केस को इंडेक्स केस कहा जाता है। भारत में निपाह वायरस किसी एनीमल के जरिए होने का मामला अब तक सामने नहीं आया है, लेकिन चमगादड़ से होता है, इसकी पृष्टि और पहचान हो चुकी है।
- निपाह वायरस संक्रमण होने पर क्या कोरोना की तरह आइसोलेशन प्रोटोकॉल है?
- निपाह वायरस को लेकर भी आइसोलेशन का प्रोटोकॉल तय है। पहले केस या उसके बाद संक्रमित मरीज के संपर्क में आए लोगों को 21 दिन तक हॉस्पिटल में आइसोलेशन रखा जाता है, क्योंकि 21 दिन निपाह वायरस का अधिकतम इनक्यूबेशन पीरियड होता है। इसके बाद भी और 21 दिन घर में आइसोलेशन रहने का नियम है। 42 दिन का आइसोलेशन पीरियड होता है। इस दौरान संपर्क में आए लोगों पर निगरानी रखी जाती है।
- निपाह को लेकर केरल या उससे लगे राज्यों में भी किसी तरह की फैलने की आशंका या डर है क्या?
- इसे लेकर किसी भी तरह की डरने की जरूरत नहीं है। केरल में जिस जगह पर केस मिले हैं, वहां पर ही कंटेनमेंट एरिया बनाया गया है, बाकी केरल पूरी तरह से खुला हुआ है। अब वहां भी 21 दिन तक कोई नया केस नहीं मिलने के कारण स्कूल खोल दिए गए हैं। पूरी तरह से जिंदगी सामान्य है। संक्रमित के निगेटिव आने पर अब उन्हें घर में अगले 21 दिन तक आइसोलेशन में रखा गया है। सिर्फ केरल ही नहीं पहले भी कई राज्यों में की गई जांच में निपाह वायरस के लिए चमगादड़ पॉजिटिव मिले हैं। केरल में ही चमगादड़ों में निपाह वायरस की पॉजिटिविटी मिलने के पीछे शायद केरल की लाइफ स्टाइल या वातावरण कारण हो सकता है। इससे पहले भी नार्थ ईस्ट और तमिलनाडू में भी चमगादड़ों में निपाह वायरस की पॉजिटिविटी मिली थी।