नई दिल्ली, संदीप राजवाड़े। 

सेहत में समय देकर सुरक्षित रहें, इससे स्वयं की उन्नति के साथ देश की उन्नति जुड़ी हुई है। यह कहना है मुफ्त में बच्चों के दिल की सर्जरी करने वाली संस्था श्री सत्य साई अस्पताल समूह के चेयरमैन डॉ. सी श्रीनिवास का। उन्होंने बताया कि आज जिस तरह देश की सीमा की रक्षा के लिए देशप्रेम के भाव से सेनाएं मौजूद हैं, उसी तरह अब भारत में इंडियन मेडिकल फोर्स बननी चाहिए। इससे मेडिकल के क्षेत्र में आने वाले छात्रों या नई पौध में समाज सेवा के साथ देश प्रेम का भाव पैदा होगा। उन्हें लगेगा कि वे भी इस सर्विस के माध्यम से देश की सेवा कर रहे हैं। आजादी की 77वीं वर्षगांठ के अवसर पर जागरण प्राइम ने डॉ. श्री निवास से बात की और जाना कि 76 साल के दौरान भारत में किस तरह स्वास्थ्य सेवाएं विकसित हुई हैं और किस तरह की चुनौतियां हैं।

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श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल अब तक 26,404 से ज्यादा दिल के मरीज बच्चों की मुफ्त सर्जरी कर चुका है। भारत में मुफ्त इलाज वाला बच्चों के दिल का अस्पताल सबसे पहले 2012 में रायपुर में शुरू किया गया। इसके बाद 2016 में पलवल, हरियाणा और तीसरा केंद्र 2018 में नवी मुंबई के खारघर में खोला गया। इसके अलावा संजीवनी के अस्पताल विदेश में फिजी, श्रीलंका और नाइजीरिया में खोले जा चुके हैं। भारत में सत्य साईं संजीवनी अस्पताल में कई देशों से दिल के मरीज बच्चे इलाज के लिए आते हैं और पूरी तरह स्वस्थ होकर लौटते हैं। फिजी, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नाइजीरिया, लाइबेरिया, श्रीलंका, अफगानिस्तान, उज़्बेकिस्तान, यमन, इथोपिया, कैमरून, इराक, तंजानिया, युगांडा, नेपाल समेत अनेक देशों के 800 से ज्यादा बच्चे यहां इलाज कराने आए, जिननमें से 321 बच्चों की सफल सर्जरी की जा चुकी है। दिल के अस्पताल के तीनों संस्थानों के माध्यम से अब तक 2,22,298 मरीजों का इलाज किया जा चुका है।

- आजादी से अब तक स्वास्थ्य सेवाओं में किस तरह से संजीवनी अस्पताल का योगदान रहा है?

आजादी के 76 साल के सफर के दौरान स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी कुछ बदला है। हमारा देश एक श्रेष्ठ देश है, जिसमें पूरी दुनिया बसी हुई है। स्वास्थ्य सेवाओं में श्री सत्य साई संजीवनी अस्पताल के योगदान की बात करें तो हमारा मानना है कि सबसे बहुमूल्य इनवेस्टमेंट है अपने नागरिकों, बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य को ठीक रखना। स्वास्थ्य ऐसी चीज है, जिसकी वैल्यू बीमारी होने पर ही पता चलती है। स्वस्थ रहना हम एक इन्वेस्टमेंट माने तो यह राष्ट्र निर्माण का बहुत बड़ा हिस्सा बन जाएगा। संजीवनी को अपनी सेवा के माध्यम से आज सात से आठ लाख परिवार की देखभाल का अवसर मिला।

देश में दिल की बीमारी बच्चों में एक बड़ी समस्या है और दुख की बात है कि कई लाख बच्चे दिल की बीमारी के साथ पैदा होते हैं। उनका इलाज करना और उन्हें स्वस्थ करना हमारा फर्ज बन जाता है। हम निःशुल्क के साथ देश प्रेम और सेवा भाव से इलाज करते हैं, उसे राष्ट्र सेवा में एक छोटा सा योगदान मानते हैं। आज देश इसी सेवा से आगे चल रहा है। हेल्थ में ट्रांसफॉर्मेशन होना चाहिए। सत्य साईं संजीवनी, प्राइमरी हेल्थ केयर में सरकार के साथ जुड़ा हुआ है। हम ट्राइबल और ग्रामीण इलाकों में प्रीवेंटिव, प्रमोटिंग एंड एजुकेटिव हेल्थ केयर सिस्टम में काम कर रहे हैं। आज हमारे 18 राष्ट्रों में केंद्र खुले हैं, जहां समाज सेवा औऱ देश सेवा के माध्यम से इतनी बड़ी आबादी की सेवा करने का मौका मिल रहा है।

(फोटोः श्री सत्य साई संजीवनी अस्पताल के एक कार्यक्रम में शामिल पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के साथ चेयरमैन डॉ. सी श्रीनिवास) 

- भारत में आजादी से आज तक हेल्थ के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है, इसका आकलन किस तरह करते हैं?

देश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। आज आधुनिक सर्जरी के साथ गांव तक में मॉडर्न साइंस की पहुंच हो रही है। आज देश-दुनिया के लोग हमारे पास आ इलाज के लिए आ रहे हैं। उच्च स्तर और किफायती इलाज की सुविधाएं हमारे यहां मौजूद हैं। हेल्थ केयर बहुत बड़ा फैक्टर होता है। आजादी से अब तक क्वालिटी हेल्थ केयर को लेकर देश में काफी विकास हुआ है।

इसके अलावा हमारे आयुर्वेद, योग या नेचुरल हेल्थ केयर सिस्टम और आयुष केयर प्रोटोकॉल भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारत की खासियत है कि हेल्थ को वेलनेस में देखने की। अब हमारे यहां जो मॉडर्न स्कीम है, वह हेल्थ एंड हॉस्पिटल ही है। देश का एक लक्ष्य होना चाहिए कि किसी भी आदमी को अस्पताल ना पहुंचाया जाए, मतलब किसी व्यक्ति को अस्पताल जाने की जरूरत ही न पड़े। अपने आप को स्वस्थ रखना ऊपर वाले का एक गिफ्ट है, जिसे सहेजकर रखना चाहिए, जो राष्ट्र निर्माण के लिए अहम है। हमारे यहां के आयुर्वेद और योग देश की बहुत पुरानी बहुमूल्य पद्धति हैं। हमें इसे और प्रोत्साहित करना चाहिए और यह हर नागरिक की जिम्मेदारी भी होनी चाहिए। कैंसर जैसे भयंकर रोग का भी इलाज आयुर्वेद और योग में मौजूद है।

- हेल्थ सेक्टर में आप सेवाभाव से बड़े बदलाव की बात कह रहे हैं, इससे क्या फर्क पड़ेगा?

हेल्थ को अगर हम ट्रांजेक्शन में नहीं ट्रांसफॉर्मेशन में बदलेंगे तो एक व्यक्ति बहुत कुछ कर सकता है। मैं एक छोटी सी घटना के बारे में जिक्र करना चाहूंगा। कुछ साल पहले मुझे इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति जी ने मिलने को बुलाया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में आप लोग बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, मैं चाहता हूं कि इस सेवा को आप और बड़े स्तर और विस्तृत दायरे तक पहुंचाएं। मैंने उनसे कहा कि अगर हम प्रेम और सेवा भाव से करेंगे तो इसका दायरा बढ़ जाएगा। इस भाव से हम अगर एक बच्चे की जान बचा रहे हैं तो वह बच्चा एक दिन बड़ा होकर नारायण मूर्ति बनेगा और वह पूरी दुनिया को बदलेगा। यही हमारा ट्रांसफॉर्मेशन मॉडल ऑफ हेल्थ केयर है।

(फोटोः श्री सत्य साई संजीवनी अस्पताल के एक कार्यक्रम में शामिल पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर, संजीवनी के सद्गुरु मधुसूदन साई और चेयरमैन डॉ. सी श्रीनिवास) 

- भारत में अब लगातार विदेश से इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। दवा निर्माता के रूप में दुनिया में देश का नाम हो रहा है। यह कैसे संभव हो पाया?

भारत में बहुत कम दामों में उच्च स्तर का इलाज हो रहा है, यह विकिसत देशों की तुलना में कई गुना कम है। आज विदेश में उदाहरण के तौर पर हार्ट की सर्जरी के लिए पांच, आठ, दस और 20 लाख रुपए तक खर्च हो जाते हैं। हम संजीवनी अस्पताल की बात करें तो एक लाख 25 हजार रुपए में जटिल हार्ट सर्जरी कर देते हैं, जो अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है। हम हेल्थ में दुनिया को एक नया मॉडल दे रहे हैं। एक आदमी की सर्जरी की लागत में हम दस मरीज का इलाज कर सकते हैं।

एक- डेढ़ साल पहले श्रीलंका बहुत बुरी परिस्थिति से गुजर रहा था। भारत सरकार के माध्यम से बात करने के बाद हमारे संस्थान की तरफ से श्रीलंका में एक अस्पताल खोला गया। वहां लाखों बच्चों का उपचार और सेवा की जा रही है। आज श्रीलंका सरकार भारत की तारीफ पूरी दुनिया में कर रही है। जिस दौरान दुनिया का कोई देश उसकी मदद के लिए नहीं आया, उस दौरान भारत ने उनके नागरिकों का इलाज किया, उनकी सेवा की। हमारे देश के सेवाभाव व प्रेम का यह बड़ा उदाहरण है। आज अफ्रीका और पेसिफिक आईलैंड के साथ अन्य देश हमारे यहां आकर सर्जरी के साथ हेल्थ स्किल सीख रहे हैं। वे नर्सिंग के साथ पैरामेडिकल ट्रेनिंग ले रहे हैं। कई देश हमारे साथ हेल्थ को लेकर समझौता कर रहे हैं, हमसे वह सर्जरी, नर्सिंग केयर के साथ हेल्थ की अन्य स्किल को सीखना चाहते हैं। हमारे देश के डॉक्टर, जो सालों पढ़ाई करने के बाद इतनी लगन से सेवा करते हैं, उन्होंने आज देश को इस मुकाम पर पहुंचाया है। इसके बावजूद अभी हेल्थ सेक्टर व सर्विस में काफी कुछ इस क्षेत्र में करना है। ट्राइबल व ग्रामीण इलाकों तक सुगम स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने पर प्रगति करनी होगी।

- दुनियाभर में भारत की हेल्थ सर्विस छाप छोड़ रही है, लेकिन और प्रगति के लिए किस तरह की चुनौतियां बनी हुई है?

सबसे पहले हम सभी को विश्वास होना चाहिए कि स्वास्थ्य एक सेवा का कार्य है, जब तक इसमें सेवाभाव नहीं आता है, तब तक यह अधूरा है। अभी सेवाभाव भारत की एक बहुत बड़ी चुनौती है। मेडिकल एजुकेशन पाना आसान है, लेकिन उसे सेवाभाव में कैसे बदलेंगे, इसका समाधान निकालना होगा। मैं मानता हूं कि जैसे देश में आईएएस, आईएफएस और आईआरएस हैं, वैसे ही एक इंडियन मेडिकल सर्विस भी होना चाहिए। देश में एक इंडियन मेडिकल फोर्स भी बनना चाहिए। जैसे हमारी फोर्स देश की सीमा की सुरक्षा करती है, वैसे ही इंडियन मेडिकल फोर्स बनाई जाए। इससे मेडिकल शिक्षा में आने वाले नए बच्चों को देश सेवा के साथ समाज सेवा का भाव इस सर्विस के माध्यम से जगाया जा सकता है। उन्हें भी लगेगा कि वे इस माध्यम से सेना की तरह देश की सेवा कर रहे हैं।

- बच्चों के दिल की सर्जरी मुफ्त करने के साथ श्री सत्य साई संजीवनी स्वास्थ्य सेवाओं को सुगम बनाने के लिए क्या कर रहा है?

संजीवनी में दो बहुत ही महत्वपूर्ण एरिया में काम होता है, एक तो बच्चों के दिल की सर्जरी की जाती है, जिसके लिए पूरे देश से मरीज आते हैं, और दूसरा, हमारा यह प्रयास रहा है कि उत्तराखंड से लेकर तेलंगाना तक मातृ और शिशु स्वास्थ्य केंद्र की संस्थाएं खोले जाएं। हाई क्वालिटी मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर खोले जा रहे हैं। बस्तर के ग्रामीण अंचल से लेकर झारखंड के आदिवासी गांव, उत्तराखंड के पहाड़ी एरिया में संजीवनी के हाई क्वालिटी मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर खोल रहे हैं, इनमें से काफी सेंटर खुल गए हैं और सेवाएं संचालित की जा रही है। उत्तराखंड में चार धाम यात्रा होती है तो पहाड़ी क्षेत्रों में जो भक्त आते हैं, उनमें हार्ट से जुड़ी समस्या आती हैं, हमारी तरफ से वहां सेवा पहुंचाने पर काम चल रहा है। वहां की सरकार के साथ मिलकर हमारी टीम ने पर्वतों में जाकर कई हार्ट पेशेंट की जान बचाई है।

मैं मानता हूं कि एक जान को भी अगर हम बचाएंगे, उसे अगर सेवाभाव और प्रेम और निशुल्क बचाएंगे तो वह आदमी एक अलग इंसान बन जाता है। मैं सभी से अनुरोध करूंगा कि हेल्थ को सेवा के रूप में लेकर काम करें। ट्रांजैक्शन के रूप में काम न करें, नहीं तो यह एक बिजनेस बन जाएगा, इसे ट्रांसफॉर्मेशन के रूप में करने की जरूरत है।