प्राइम टीम, नई दिल्ली। वर्ल्ड बैंक प्रेसिडेंट अजय बंगा का एक बयान इन दिनों चर्चा में है। उन्होंने कहा, “ऐसे समय जब दुनिया भर की कंपनियां चाइना प्लस वन नीति के तहत अपने सप्लाई चेन को डाइवर्सिफाई करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग की वैकल्पिक जगह तलाश रही हैं, भारत के पास इस अवसर को भुनाने के लिए तीन से पांच साल का वक्त है। यह अवसर 10 साल के लिए नहीं रहेगा।” दरअसल, वैश्विक कंपनियां निवेश के लिए चीन के विकल्प के तौर पर आकर्षक जगह की तलाश में हैं। जागरण प्राइम ने इस बारे में विशेषज्ञों से बात की। उनका कहना है कि हाल में कुछ कंपनियों ने भारत में निवेश किया है, लेकिन चीन से निकलने वाली कंपनियों की तुलना में यह बहुत कम है। हमें बेहतर बिजनेस वातावरण बनाने के साथ नियम-कानूनों में स्थिरता लानी होगी, क्वालिटी पर फोकस करना होगा तथा पूंजी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने जैसे कदम उठाने होंगे।

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