प्राइम टीम, नई दिल्ली। सैम बैंकमैन-फ्रायड का नाम तो याद ही होगा। वही SBF जो कभी दुनिया के पांचवें सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज रहे FTX का संस्थापक और सीईओ था। निवेशकों के करीब आठ अरब डॉलर की रकम की धोखाधड़ी के आरोप में वह अमेरिका की जेल में है। वह एक नई वजह से फिर चर्चा में आया है। कहा जा रहा है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2024 में दोबारा राष्ट्रपति चुनाव न लड़ें, इसके लिए सैम उन्हें पांच बिलियन डॉलर यानी करीब 41 हजार करोड़ रुपये का ऑफर देना चाहता था। सैम को लगता है कि ट्रंप का दोबारा राष्ट्रपति बनना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं होगा।

सैम की तरफ से ट्रंप को पैसे ऑफर करने का खुलासा माइकल लेविस नाम के लेखक ने किया है। फाइनेंशियल जर्नलिस्ट रहे लेविस ‘द ब्लाइंड साइड’, ‘द बिग शॉर्ट’ और ‘मनीबॉल’ जैसी बेस्टसेलर किताबों के लेखक हैं। उन्होंने SBF पर गोइंग इनफाइनाइट (Going Infinite) नाम से किताब लिखी है। एक्सचेंज के ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी के आरोपी सैम के खिलाफ अमेरिकी कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई शुरू हुई है। उसी दिन लेविस की किताब भी लांच हुई। रोचक बात यह है कि ट्रंप के खिलाफ भी न्यूयॉर्क की कोर्ट में धोखाधड़ी मामले की सुनवाई चल रही है।

दोस्ती टूटने पर हुआ था धोखाधड़ी का खुलासा

सीबीएस न्यूज के टीवी प्रोग्राम ‘60 मिनट्स’ में इंटरव्यू में लेविस ने पैसे ऑफर वाली बात बताई। हालांकि ट्रंप के प्रवक्ता ने इसे गलत करार दिया है। प्रवक्ता के अनुसार सैम बैंकमैन-फ्रायड एक झूठा आदमी है, लोगों को धोखा देने के लिए वह इस तरह की बातें कर रहा है। वैसे, पिछले साल नवंबर में एफटीएक्स के दिवालिया होने से पहले सैम राजनीतिक दलों को काफी पैसा दान दिया करता था। वह अमेरिका की दोनों प्रमुख पार्टियों- रिपब्लिकन और डेमोक्रेट को दान देता रहा है।

ट्रंप को कानूनी रूप से पैसे देना चाहता था सैम

गोइंग इनफाइनाइट के लेखक माइकल लेविस के अनुसार, SBF को लगता था कि वह अमेरिकी लोकतंत्र के खतरों तथा मानव अस्तित्व की अन्य चुनौतियों का समाधान कर सकता है। ट्रंप को भी वह इन्हीं चुनौतियों में से एक मानता है। इसलिए वह चाहता था कि ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति चुनाव न लड़ें। हालांकि ट्रंप अभी तक रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। सोमवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान उनकी मौजूदगी जरूरी नहीं थी, फिर भी वे वहां गए और उस मौके का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए किया।

जब एफटीएक्स दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों में शुमार था, तब सैम ने नेताओं को काफी राशि दान में दी। वह चुनाव न लड़ने के लिए डोनाल्ड ट्रंप को कानूनी रूप से पैसे भी देना चाहता था। उसके कुछ सलाहकारों ने उसे बताया कि ‘ट्रंप की कीमत’ 5 अरब डॉलर है। आरोप है कि सैम ने 2022 में मध्यावधि चुनावों में प्रचार अभियान के लिए 10 करोड़ डॉलर का दान दिया। यह सारा पैसा एफटीएक्स के ग्राहकों का था।

सैम के करीबी उसे ईमानदार नहीं मानते थे

दो साल में सैम से करीब 100 बार मिलने वाले लेविस ने किताब में लिखा है, अपने कर्मचारियों के प्रति सैम का रवैया काफी कठोर रहता था। वहा अक्सर गड़बड़ियां करता जिन्हें दूसरों को समेटना पड़ता था। सैम ने ऑस्ट्रेलियाई महिला तारा मैक ऑले के साथ अपनी पहली कंपनी अलामेडा रिसर्च की स्थापना की थी। सैम ने तारा में व्यक्तिगत रुचि भी दिखाई थी, लेकिन तारा ने 2018 में कंपनी छोड़ दी। किताब के अनुसार उन्हें लगने लगा था कि सैम ईमानदार नहीं है।

एफटीएक्स के दिवालिया होने के बाद समूह की हेज फंड कंपनी अलामेडा रिसर्च की पूर्व सीईओ कैरोलिन एलिसन और FTX के सह-संस्थापक गैरी वांग ने कोर्ट में खुद को दोषी स्वीकार किया है। कैरोलिन सैम बैंकमैन-फ्रायड की पूर्व गर्लफ्रेंड हैं। कैरोलिन ने फ्रॉड में शामिल होने की बात स्वीकार करते हुए जांच में सहयोग का वादा किया था। सैम पर राजनेताओं को दान देने तथा निजी खर्चों के लिए निवेशकों के पैसे चुराने का आरोप है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘गोइंग इनफाइनाइट’ किताब में सैम और कैरोलिन के बीच संबंधों और मैसेज पर हुई बातचीत का भी जिक्र है। इसके मुताबिक सैम ने कैरोलिन को मेमो जारी किया था, जिसमें उसके साथ संबंधों के फायदे और नुकसान दोनों बताए थे। सैम ने लिखा था, “कई मायने में मेरे पास आत्मा है ही नहीं। मेरी भावनाएं फर्जी हैं, मेरे चेहरे पर आने वाले भाव नकली हैं। मुझे कोई खुशी नहीं होती।”

ऐसे की थी ग्राहकों के पैसे की धोखाधड़ी

सैम ने FTX एक्सचेंज पर FTT नाम से अलग टोकन लांच किया था। अमेरिकी रेगुलेटर सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) का कहना है कि SBF के निर्देश पर FTT की वैलुएशन कृत्रिम रूप से बढ़ाई गई। जांच में पता चला कि अलामेडा रिसर्च और FTX, दोनों के बैंक एकाउंट और कर्मचारी साझा थे। एफटीएक्स में निवेशकों का जो पैसा आता था, वह अलामेडा के पास पहुंच जाता था। अलामेडा उस पैसे से FTT खरीदकर टोकन की कृत्रिम डिमांड पैदा करती थी। निवेशकों के पैसे से सैम और कंपनी के अन्य लोगों ने अपने नाम संपत्ति भी खरीदी थी।

निवेशकों को क्रिप्टो में निवेश की स्ट्रैटजी बताने वाली कंपनी FNDX के संस्थापक राहुल गायतोंडे जागरण प्राइम से कहते हैं, “एफटीएक्स को टोकन की लेंडिंग किसी को करनी ही नहीं थी, समूह की कंपनी अलामेडा को भी नहीं। एफटीएक्स एक्सचेंज था, बैंक नहीं। ग्राहकों का 100% डिपॉजिट उसके पास ही होना चाहिए था।”

गायतोंडे कहते हैं, “एफटीएक्स वॉल स्ट्रीट की उन कंपनियों की तरह थी, जिनकी वजह से 2008 में वित्तीय संकट पैदा हुआ था। सच तो यह है कि इन कंपनियों के खराब कामकाज के कारण हुए नुकसान की प्रतिक्रिया में ही बिटकॉइन आया था।” गायतोंडे एफटीएक्स को क्रिप्टो कंपनी भी नहीं मानते। वे कहते हैं, “यह पारंपरिक, एक केंद्र से मैनेज होने वाली संस्था थी। इसके विपरीत, क्रिप्टो प्रोडक्ट पारदर्शी और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से काम करते हैं। इसमें यूजर का अपने टोकन पर वास्तविक नियंत्रण रहता है।”

एफटीएक्स तथा समूह की करीब 130 कंपनियों ने 11 नवंबर 2022 को अमेरिका में बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया था। उसके बाद 12 दिसंबर को बहामास में सैम को गिरफ्तार किया गया और 21 दिसंबर तो अमेरिका लाया गया। न्यूयॉर्क की एक अदालत ने 25 करोड़ डॉलर में जमानत देते हुए ट्रायल शुरू होने तक उसे माता-पिता के घर नजरबंद रहने का आदेश दिया। जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने के कारण उसे 11 अगस्त 2023 को जेल भेज दिया गया। उसने ट्रायल शुरू होने से पहले जेल से बाहर आने की याचिका लगाई थी, जिसे 12 सितंबर को खारिज कर दिया गया था। अब उसके मामले की सुनवाई शुरू हुई है। दोषी पाए जाने पर सैम को आजीवन कैद की सजा हो सकती है।