डॉ. सुशील कुमार सिंह। बंगाल से उठा हालिया विवाद केंद्र-राज्य संबंध के बीच एक नई रंजिश को मानो नए तरीके से हवा दे रहा है। अलापन बंद्योपाध्याय को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार और ममता बनर्जी आमने-सामने हैं। असल में 24 मई के केंद्र की मंजूरी का हवाला देते हुए 25 मई को बंगाल सरकार ने एक आदेश जारी किया था कि सार्वजनिक सेवा के हित में अलापन बंद्योपाध्याय की सेवा का विस्तार तीन माह के लिए किया जाता है। लेकिन 28 मई को केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने लिखा कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने अलापन की सेवा को भारत सरकार के साथ स्थानांतरित किया है। साथ ही, राज्य सरकार से यह अनुरोध किया कि अधिकारी विशेष को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर दें।

अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की भर्ती, प्रशिक्षण व नियुक्ति केंद्र सरकार के अधीन कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा की जाती है जिसका प्रभार प्रधानमंत्री के पास होता है। किसी भी अनियमितता की स्थिति में राज्य इन्हें निलंबित कर सकते हैं, पर बर्खास्तगी का अधिकार केंद्र को है। नियम यह संकेत करता है कि कोई अधिकारी राज्य में तैनात है तो उसे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए राज्यों से अनुमति लेनी होती है और राज्य मानने से इन्कार भी कर सकते हैं। किसी अफसर को दिल्ली तलब करने के लिए भी राज्य की मंजूरी जरूरी है।

केंद्र सरकार ने अलापन बंद्योपाध्याय को दिल्ली तलब किया, लेकिन बंगाल सरकार ने इससे वास्ता नहीं रखा। अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम 1969 में स्पष्ट है कि यदि अधिकारी राज्य में सेवा कर रहे हैं तो कार्रवाई करने और जुर्माना लगाने का अधिकार राज्य सरकार का होगा। नियम तो यह भी कहता है कि ऐसे किसी भी अधिकारी के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई के लिए राज्य और केंद्र दोनों को सहमत होने की आवश्यकता है। केंद्र में कैबिनेट सचिव सबसे वरिष्ठ आइएएस माना जाता है, जबकि राज्यों में मुख्य सचिव। कैबिनेट सचिव की तुलना में मुख्य सचिव कार्य की दृष्टि से कहीं अधिक शक्तिशाली होते हैं। अलग-अलग राज्यों में इसकी अपनी भिन्न-भिन्न उपादेयता है।

राज्य प्रशासन में सफलतापूर्वक कार्य संचालन के लिए मुख्यमंत्री को परामर्श देना, शासकीय नीतियों के निरूपण में सहयोग, मंत्रिमंडल के उप समितियों के कार्य में मदद और केंद्र-राज्य संबंध मामले में क्षेत्रीय परिषदों में पत्र व्यवहार एवं समन्वय स्थापित करना। राज्य के विकास के लिए कार्यक्रम योजना का निर्माण व परामर्श देना। केंद्र और राज्य सरकार के बीच यदि कोई विवाद हो तो उसमें समन्वय स्थापित करने जैसे तमाम कार्य देखे जा सकते हैं। रोचक यह भी है कि जो मुख्य सचिव केंद्र-राज्य के बीच एक समन्वयकारी भूमिका में होता है, वही बंगाल में विवाद का कारण बना। ऐसे में अलापन बंद्योपाध्याय को लेकर उठा विवाद किस करवट बैठेगा यहतो आने वाले दिनों में पता चलेगा। लेकिन ऐसी बातें विकास और संबंध दोनों को चोट पहुंचाती हैं। वैसे लोक प्रशासन के साहित्य में जितनी आलोचना लोक सेवकों के बारे में की जाती है, संभवत: उतनी किसी अन्य व्यवस्था में शायद ही हो।

यह एक वैध सत्ता के रूप में निर्मित व्यवस्था है और राजनीतिक कार्यपालिका के आवरण में यह ढका रहता है। समय-समय पर अखिल भारतीय मुख्य सचिव सम्मेलन और मुख्यमंत्रियों की बैठक होती रही है। ऐसे आयोजनों के पीछे बड़ी वजह है कि संघीय ढांचे को ताकत मिले और राज्य प्रशासनिक व कार्यकारी दृष्टि से कहीं अधिक स्वायत्त तथा शक्तिशाली रहें, ताकि आर्थिक लोकतंत्र और लोक कल्याणकारी नीतियों को बनाने और लागू करने के साथ-साथ संविधान व लोक सशक्तीकरण को ताकत मिलती रहें।

[निदेशक, वाइएस रिसर्च फाउंडेशन आफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन]