जागरण संपादकीय: नवनिर्माण के शिल्पकार, पीएम मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले सौ दिन के भीतर ही लिए कई बड़े निर्णय
आज वैश्विक कंपनियां यहां अपना व्यवसाय स्थापित करना चाहती हैं। बीते दिनों उत्तर प्रदेश की मेजबानी में संपन्न ‘सेमिकान इंडिया’ सम्मेलन भारत को सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग के ग्लोबल हब बनने के अभियान का औपचारिक शुभारंभ था। प्रधानमंत्री ने कहा भी था कि मेरा सपना है कि दुनिया की हर डिवाइस में इंडियन मेड चिप हो। सेमीकंडक्टर पावर हाउस बनने के लिए जो भी जरूरी होगा भारत वह सब करने वाला है।
योगी आदित्यनाथ। नई विश्व व्यवस्था में आज भारत केंद्रीय भूमिका में है। बहुध्रुवीय हो चुकी विश्व राजनीति में भारत के बिना हर वैश्विक समूह अधूरा है। आपदाकाल में सहायता की आवश्यकता हो अथवा नीतिगत विषयों पर आम राय बनाने की जरूरत, दुनिया की दृष्टि भारत की ओर होती है।
बीते एक दशक में विश्व पटल पर ग्लोबल लीडर बनकर उभरे भारत के शिल्पी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। युद्धग्रस्त राष्ट्र भी समाधानकारी हस्तक्षेप पर जिन पर भरोसा करते हैं, वह मोदी ही हैं। रूस और यूक्रेन के मध्य तनावपूर्ण हालात हों या पश्चिम एशिया का संकट, हर वैश्विक तनाव के समाधान हेतु प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत केंद्र में है। ‘मोदी हैं तो मुमकिन हैं’, के भाव को आज न केवल देश मानता है, बल्कि महाशक्ति देशों को भी ‘मोदी की गारंटी’ पर विश्वास है।
अपने संकल्पों की सिद्धि, समस्याओं के समाधान और चिरआकांक्षाओं की पूर्ति के लिए यह देश मोदी को ‘भगीरथ’ के रूप में देखता है। सुदूर किसी खेत में काम कर रही महिला किसान हो या किसी साफ्टवेयर कंपनी में कुछ नया प्रयोग कर रहा युवा, सीमा पर मुस्तैद जवान हो या विदेश में प्रवासरत भारतीय, सभी को मोदी की नीति, नीयत और निर्णयों पर भरोसा है।
यही जनविश्वास मोदी को ‘बड़े और कड़े’ निर्णय लेने का सामर्थ्य देता है। अनुच्छेद 370 और 35 ए का हटना असंभव माना जाता था। कश्मीर में राष्ट्रध्वज जलाए जाते थे, संविधान का मखौल उड़ाया जाता था, लेकिन आज यह सब अतीत की बात है।
नरेन्द्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति ने कश्मीर से एक देश में ‘दो निशान-दो विधान’ का कलंक मिटा दिया। आज घाटी में स्थापित होते नए उद्योग, चिनाब पर बनते एफिल टावर से ऊंचे रेलवे ब्रिज के चित्र देखने को मिलते हैं। नए भारत के नए कश्मीर की जनता विधानसभा चुनाव के लिए तत्पर है।
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अभियान प्रारंभ हुआ है। भारत ‘स्व से साक्षात्कार’ कर रहा है। पांच सौ वर्षों की प्रतीक्षा के बाद श्रीअयोध्याधाम में भगवान श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा और श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर पुनरुद्धार जैसे चिरप्रतीक्षित कार्यों से भारत की आस्था गौरवान्वित हुई है। आजादी के बाद से जातिवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण को पोसने वाले दलों के दलदल में फंसे देश को 2014 के बाद मुक्ति मिली।
किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला, स्वनिधि, सौभाग्य, आयुष्मान भारत, स्वामित्व, मातृ वंदना जैसी योजनाओं के भ्रष्टाचार मुक्त क्रियान्वयन ने सामान्य भारतीय परिवारों के जीवन को सरल बनाया है। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ इसी नवीन कार्यसंस्कृति का प्राण है। ‘अंत्योदय से सर्वोदय’ का मंत्र आत्मसात करने वाली इस व्यवस्था में समाज के अंतिम पायदान पर मौजूद व्यक्ति शासन की शीर्ष प्राथमिकता में है।
पहली बार कृषि और किसान राजनीतिक विमर्श के केंद्र में हैं। आज किसानों को फसल बीमा, एमएसपी, सब्सिडी, मैकेनाइज्ड फार्मिंग समेत विभिन्न योजनाओं का लाभ बिना भेदभाव मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले सौ दिन के भीतर ही कई बड़े निर्णय ले लिए हैं। इस दौरान उन्होंने 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को आयुष्मान कवर प्रदान किया और लोकहित को सर्वोपरि रखते हुए ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ लागू करने का निर्णय लिया।
विगत 10 वर्षों में जनधन, आधार और मोबाइल के रूप जैम-त्रिशक्ति का उपयोग करते हुए तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करके आम आदमी को सरकारी योजनाओं का सीधा और पूरा लाभ मिलना सुनिश्चित हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि जैम का आशय है, खर्च होने वाले प्रत्येक रुपये का अधिकतम प्रतिफल, गरीबों का अधिकतम सशक्तीकरण और जनता के बीच तकनीक का अधिकतम प्रसार।
प्रधानमंत्री की यह पहल एक सामाजिक-आर्थिक क्रांति की शुरुआत थी। यूपीआइ, रूपे कार्ड, डिजीलाकर से लेकर डिजी यात्रा तक अलग-अलग तरह के डिजिटल प्लेटफार्म्स, आम आदमी की दिनचर्या का अंग बन गए हैं।
पर्यावरणीय चुनौतियों को देखते हुए वैश्विक समुदाय भी समझ रहा है कि जो विकास स्थायी नहीं, वह वास्तविक नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने विश्व स्तर पर पर्यावरण संरक्षण का समर्थन किया है और हमारा देश इस आंदोलन के अग्रणी मार्गदर्शक के रूप में उभरा है।
प्रधानमंत्री की ‘पंचामृत और लाइफ यानी लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ की पहल ने भारत को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया है। दस वर्षों में भारत की सौर ऊर्जा स्थापित क्षमता 2300 प्रतिशत बढ़ी है। 2014 के बाद से सौर ऊर्जा दरों में लगभग 70-80 प्रतिशत की कमी आई है। अब प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली जैसी योजना के माध्यम से पूरा भारत अक्षय ऊर्जा से लाभान्वित हो रहा है।
कोविड महामारी के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध से उबरने का प्रयास कर रहे अनेक बड़े देश आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन मोदी की कूटनीति और वित्तीय कुशलता के चलते इसी दौरान भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना। जल्द ही भारत विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपने नवीनतम अनुमानों में भारत को दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में स्वीकार किया है।
आज वैश्विक कंपनियां यहां अपना व्यवसाय स्थापित करना चाहती हैं। बीते दिनों उत्तर प्रदेश की मेजबानी में संपन्न ‘सेमिकान इंडिया’ सम्मेलन भारत को सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग के ग्लोबल हब बनने के अभियान का औपचारिक शुभारंभ था।
प्रधानमंत्री ने कहा भी था कि मेरा सपना है कि दुनिया की हर डिवाइस में इंडियन मेड चिप हो।’ सेमीकंडक्टर पावर हाउस बनने के लिए जो भी जरूरी होगा, भारत वह सब करने वाला है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के तहत एक लाख करोड़ रुपये के अनुसंधान कोष की जो स्थापना की, वह हमारे नवाचारी युवाओं के लिए बड़ा संबल बनेगी।
यह सुखद दैवीय योग है कि देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा की जयंती और प्रधानमंत्री की जन्मतिथि एक ही दिन है। आज भारत विश्वनेता की भूमिका में भविष्य की आकांक्षाओं की आधारशिला पर गौरवशाली निर्माण कर रहा है और प्रधानमंत्री मोदी इस ‘अमृत नव निर्माण’ के शिल्पकार बन रहे हैं।
(लेखक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं)