डा. जयंतीलाल भंडारी : वैश्विक सुस्ती के दौर में जहां दुनिया के विभिन्न देशों में निवेश घट रहा है, वहीं भारत के विभिन्न राज्यों में आयोजित निवेशक सम्मेलनों के माध्यम से निवेश में तेजी का रुख बना हुआ है। हाल में उत्तर प्रदेश इसका साक्षी बना, जहां तीन दिवसीय वैश्विक निवेशक सम्मेलन-यूपीजीआइएस के अंतर्गत निवेशकों से प्राप्त प्रस्ताव सारे रिकार्ड तोड़ते हुए दिखे। राज्य को लक्ष्य से कहीं ज्यादा 33 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले। चूंकि यह लक्ष्य से करीब दोगुना है, इसलिए इसका विशेष महत्व है। इसके पहले इंदौर में आयोजित वैश्विक निवेशक सम्मेलन में मध्य प्रदेश को 15.42 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। इससे पहले नवंबर 2022 में कर्नाटक को वैश्विक निवेशक सम्मेलन से 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले। हाल के समय में अन्य राज्यों ने भी ऐसे ही निवेश सम्मेलन किए हैं। कुछ राज्य आने वाले दिनों में निवेशकों को आकर्षित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। इससे बेहतर और कुछ नहीं कि देश के विभिन्न राज्य निवेश पाने के लिए एक-दूसरे से होड़ कर रहे हैं। यह वह स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए, क्योंकि तेजी से उद्योगीकरण समय की मांग है।

यदि हम यूपीजीआइएस के तहत आए प्रस्तावों को देखें तो यह पाते हैं कि प्रदेश में सबसे ज्यादा निवेश प्रस्ताव उर्जा एवं शिक्षा क्षेत्र में मिले हैं। प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय और कालेज के साथ ही अन्य तरह के शिक्षा संस्थान खोलने के लिए कई प्रस्ताव हैं। आइटी एवं इलेक्ट्रानिक्स विभाग के तहत बड़े निवेश के भी प्रस्ताव आए हैं। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के साथ-साथ वैकल्पिक एवं गैर पारंपरिक ऊर्जा विभाग को भी तय लक्ष्य से कई गुना के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इस बार के निवेशक सम्मेलन में प्रदेश के सभी 75 जिलों में निवेश आया है।

यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट उत्तर प्रदेश ही नहीं, दिल्ली सहित देश के अन्य प्रदेशों के युवाओं के लिए भी रोजगार के नए अवसरों के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। दिल्ली के कारोबारियों ने भी अब यूपी में निवेश के लिए दिलचस्पी दिखाई है। श्रमिकों के लिए पहले से लाभप्रद एनसीआर अब और महत्वपूर्ण हो गया है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बाद अब यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में भी बड़ी-बड़ी कंपनियों के उत्पादन संयंत्रों में निवेश से रोजगार के अवसर सृजित होंगे। नोएडा और ग्रेटर नोएडा पिछले कई वर्षों से युवाओं को रोजगार मुहैया कराने में आगे रहे हैं। परिवहन कनेक्टिविटी और सुरक्षा सुदृढ़ होने के बाद इसमें और तेजी आई है। स्थिति यह है कि रोजाना बड़ी संख्या में लोग दिल्ली से नोएडा और ग्रेटर नोएडा सिर्फ रोजगार के लिए जाते हैं।

भारत में पूंजी निवेश का अर्थ है लोकतंत्र और विश्व के लिए निवेश। यद्यपि यह दुनिया के लिए आर्थिक संकट और युद्ध की परिस्थितियों से जूझने का समय है, लेकिन दुनिया भर के अर्थ विशेषज्ञ, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआइ के लिए भारत को उपयुक्त देश बता रहे हैं। यह कोई छोटी बात नहीं कि वर्ष 2021-22 में भारत को रिकार्ड स्तर पर 84 अरब डालर का विदेशी निवेश मिला था। जब पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी का माहौल है और विश्व की अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट है, तब विदेशी निवेशकों द्वारा भारत को एफडीआइ के लिए प्राथमिकता देना भारत के लिए राहत और गर्व की बात है। विभिन्न राज्यों की ओर से निवेश के लिए रेड कारपेट बिछाकर विदेशी निवेशकों को जो हरसंभव प्रोत्साहन दिया जा रहा है, उसके कारण भी दुनिया का यह मानना है कि भारत में मजबूत राजनीतिक नेतृत्व है। दुनिया को यह संदेश भी जा रहा है कि कई दूसरे देशों की तुलना में भारत में निवेश पर बेहतर रिटर्न है।

भारतीय बाजार बढ़ती मांग वाला बाजार है। भारत का स्टाक एक्सचेंज फरवरी 2023 में दुनिया के पांच सबसे बड़े स्टाक एक्सचेंजों में चमकता हुआ दिखाई दे रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार के स्तर पर भारत के पास चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है। भारत की आर्थिक विकास दर छह प्रतिशत से अधिक के दायरे में है। देश में प्रतिभाशाली नई पीढ़ी की कौशल क्षमता, आउटसोर्सिंग और देश में बढ़ते हुए मध्य वर्ग की क्रयशक्ति के कारण भी विदेशी निवेश भारत की ओर तेजी से आ रहा है। भारतीय घरेलू बाजार और अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है।

हाल में प्रस्तुत वर्ष 2023-24 के रणनीतिक और दूरदर्शी बजट के बाद भारत के विभिन्न राज्यों में विदेशी निवेश की संभावनाएं और बढ़ेंगी। चूंकि जी-20 देशों की अध्यक्षता भारत के पास है और इस पूरे वर्ष देश के 50 से अधिक शहरों में 200 से अधिक विभिन्न समूह बैठकों में दुनिया के कोने-कोने से आने वाले प्रतिनिधि और उद्यमी भाग लेंगे, इसलिए विभिन्न प्रदेशों में विदेशी निवेश और तेजी से बढ़ता हुआ दिखाई देगा। जहां तक राज्यों की बात है तो हाल के समय में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और राजस्थान आदि ने विदेशी निवेश प्राप्त करने में नई पहचान बनाई है। उसी तरह अन्य प्रदेश भी वैश्विक निवेशक सम्मेलनों के माध्यम से देसी-विदेशी निवेश की संभावनाओं को टटोल रहे हैं। स्पष्ट है कि विभिन्न प्रदेश अपने निवेश की शक्ति से देश की अर्थव्यवस्था को 2026-27 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में अहम योगदान देते हुए दिखाई देंगे। इसी राह पर चलते हुए भारत को विकसित राष्ट्र बनाया जा सकता है।

(लेखक अर्थशास्त्री हैं)