जागरण संपादकीय: एनटीए में सुधार की सिफारिशें, स्वीकृति मिलने के पूरे आसार
राधाकृष्णन समिति ने जो एक अन्य महत्वपूर्ण सिफारिश की है वह यह है कि परीक्षाओं में आउटसोर्सिंग को पूरी तरह खत्म किया जाए। एक ऐसे समय जब परीक्षाओं की गोपनीयता बार-बार भंग हो रही है तब फिर एनटीए जैसी एजेंसी के लिए यह बिल्कुल ठीक नहीं कि वह ठेके पर परीक्षाएं कराए और उनके आयोजन में बाहरी लोगों की मदद ले।
मेडिकल, इंजीनियरिंग समेत अन्य अखिल भारतीय परीक्षाएं आयोजित करने वाली संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी अर्थात एनटीए में सुधार को लेकर जो सिफारिशें की गई हैं, उन्हें स्वीकृति मिलने के पूरे आसार हैं।
यह भी दिख रहा है कि इन सिफारिशों को स्वीकार किए जाने के बाद एनटीए की कार्यप्रणाली में सुधार होगा और पिछले वर्ष नीट में खामियों के चलते इस संस्था की विश्वसनीयता को जो क्षति पहुंची, उसकी भरपाई हो सकेगी, लेकिन यह सब कुछ इस पर निर्भर करेगा कि एनटीए में सुधार के लिए गठित की गई राधाकृष्णन समिति की सिफारिशों पर सही तरह से अमल किया जाता है या नहीं।
निश्चित रूप से यह समय की मांग है कि एनटीए जहां तक संभव हो सके, आनलाइन स्तर पर परीक्षाएं आयोजित कराए। यदि छात्रों की अधिक संख्या के चलते आफलाइन परीक्षाएं आयोजित करने की बाध्यता हो तो ऐसा किया जाना चाहिए, लेकिन इस तरीके में भी यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि प्रश्नपत्र डिजिटल स्वरूप में ही परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाए जाएं।
इसके अतिरिक्त यह भी होना चाहिए कि प्रश्नपत्रों के कई सेट तैयार किए जाएं ताकि यदि कहीं भूल-चूक हो जाए तो राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा को स्थगित या रद करने की आवश्यकता न पड़े। इसका कोई औचित्य नहीं कि तकनीक के इस युग में प्रश्नपत्र तैयार कर उनका प्रकाशन किया जाए और फिर उन्हें देश भर में परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाया जाए।
इस प्रक्रिया को अनिवार्य रूप से बंद करना होगा, क्योंकि प्रश्नपत्रों को भेजने की प्रक्रिया में उनकी गोपनीयता में कहीं पर भी सेंध लगाई जा सकती है। आम तौर पर परीक्षाओं में सेंध तभी लगती है जब किसी न किसी स्तर पर प्रश्नपत्र लीक हो जाते हैं। वास्तव में प्रश्नपत्रों को डिजिटल मोड में परीक्षा केंद्रों में भेजने की व्यवस्था एनटीए के साथ-साथ अन्य परीक्षाओं विशेष रूप से प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करने वाली सभी संस्थाओं को करनी चाहिए।
राधाकृष्णन समिति ने जो एक अन्य महत्वपूर्ण सिफारिश की है, वह यह है कि परीक्षाओं में आउटसोर्सिंग को पूरी तरह खत्म किया जाए। एक ऐसे समय जब परीक्षाओं की गोपनीयता बार-बार भंग हो रही है तब फिर एनटीए जैसी एजेंसी के लिए यह बिल्कुल ठीक नहीं कि वह ठेके पर परीक्षाएं कराए और उनके आयोजन में बाहरी लोगों की मदद ले।
इसकी भरी-पूरी आशंका है कि परीक्षाओं में गड़बड़ी के लिए ये बाहरी लोग ही उत्तरदायी होते हैं। राधाकृष्णन समिति की यह सिफारिश परीक्षाओं की विश्वसनीयता बनाए रखने में सहायक होने वाली है कि यथासंभव निजी स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाने से बचा जाए।
चूंकि देश के हर हिस्से में केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय हैं तब फिर उन्हें ही परीक्षा केंद्र बनाया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए आवश्यक है, क्योंकि निजी स्कूलों में नकल माफिया किसी न किसी तरह सेंध लगाने में समर्थ रहता है। राधाकृष्णन समिति के इस सुझाव को अनिवार्य रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए कि एनटीए स्वयं के कर्मचारियों के बलबूते परीक्षाओं का संचालन करे।