जागरण संपादकीय: हरियाणा ने दिखाया कांग्रेस को आईना, भाजपा की हुई ऐतिहासिक जीत
महिलाएं प्रधानमंत्री मोदी की सबसे मुखर समर्थक बनकर उभरी हैं। पिछले चुनावों की तरह ही इस बार भी शहरी मतदाता और शिक्षित युवा भाजपा के साथ मजबूती से खड़े रहे। इन सब कारणों से भाजपा हरियाणा में एक उम्मीद और प्रगति की पार्टी के रूप में उभरी जबकि कांग्रेस को दिन-प्रतिदिन एक निराशावादी और अराजक पार्टी के रूप में देखा जाने लगा।
अभिनव प्रकाश। हरियाणा विधानसभा चुनाव का जनादेश ऐतिहासिक है। पहली बार हरियाणा में किसी पार्टी ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाई है। हरियाणा की राजनीति मजबूत क्षेत्रीय नेताओं, परिवारवाद और अस्थिरता के कारण जानी जाती रही है। राजनीति का प्रसिद्ध मुहावरा ‘आया राम, गया राम’ हरियाणा से ही निकला।
ऐसे में सभी एक्जिट पोल को नकारता हरियाणा का परिणाम राज्य में मूलभूत परिवर्तन को दर्शाता है। यह जनादेश हरियाणा की जनता का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व के प्रति अटूट विश्वास को दर्शाता है। हरियाणा से तीन ओर से घिरे होने के कारण कांग्रेस की जीत दिल्ली के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती थी।
राहुल गांधी के अराजकतावादी एजेंडे के अंतर्गत दिल्ली को बार-बार आंदोलनों और धरना-प्रदर्शन के नाम पर बंद किया जाता। इससे मोदी सरकार का कामकाज और भारत की विकास यात्रा बाधित होती, लेकिन कांग्रेस यह भूल गई कि हरियाणा में राष्ट्रवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं और आम जनता राहुल गांधी के वामपंथी और अराजक एजेंडे को नहीं स्वीकारती।
हरियाणा की जनता ने आंदोलनों के नाम पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाईपास करने की कोशिश करने वाली राजनीति को नकारा है। खासतौर पर दिल्ली बार्डर से लगने वाले इलाकों में कांग्रेस की भारी हार हुई है। हरियाणा का नतीजा पिछले दस वर्षों की भाजपा सरकार की नीतियों और विकास कार्यों पर मुहर है। 2014 में भाजपा हरियाणा की राजनीतिक संस्कृति में एक बदलाव के तौर पर आई।
यहां पहले जाति और परिवार आधारित सरपरस्ती हावी रहती थी और कानून का शासन दूसरे पायदान पर रहता था। यह सरकारी नौकरी की चयन प्रक्रिया में खासतौर पर दिखता था, जहां भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार और जातिवाद हावी थे। भाजपा सरकार के तहत चयन प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हुई और सरकारी नौकरियों में दो लाख से अधिक लोगों का चयन हुआ। हर जाति और क्षेत्र को इस नई प्रणाली का लाभ मिला।
‘बिना खर्ची और पर्ची’ की यह व्यवस्था युवाओं के बीच भाजपा के प्रति अडिग विश्वास का कारण बनी। नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करने का फैसला भी जीत का एक महत्वपूर्ण कारक है। सैनी पार्टी में जमीनी स्तर से उठकर ऊपर तक आए हैं और बहुत कम जनसंख्या वाले अति-पिछड़ा वर्ग से हैं।
इससे पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता, दोनों में यह संदेश गया कि भाजपा ही एकमात्र लोकतांत्रिक पार्टी है जिसमें कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी सामाजिक, आर्थिक या पारिवारिक पृष्ठभूमि से हो, शीर्ष पदों तक पहुंच सकता है। यह जीत भाजपा संगठन की भी जीत है।
हालिया लोकसभा चुनाव के परिणामों से उत्साहित कांग्रेस की आक्रामकता के बावजूद भाजपा संगठन ने मजबूती से अपनी जमीन बनाए रखी। कांग्रेस द्वारा जमीन पर दी जा रही धमकियों और प्रलोभन के बावजूद भाजपा कार्यकर्ता मजबूती से डटे रहे। उन्होंने घर-घर प्रचार किया, ड्राइंग रूम बैठकों का आयोजन किया, बाइक रैलियों का नेतृत्व किया। उन इलाकों में भी पूरी ताकत के साथ उम्मीदवार के साथ खड़े रहे, जहां जीत असंभव प्रतीत हो रही थी।
भाजपा असाधारण काम करने वाले साधारण लोगों की पार्टी है, जिनके सामने कांग्रेस का सारा धन-बल और बाहुबल हार गया। अगस्त माह में नायब सिंह सैनी और तेजस्वी सूर्या की उपस्थिति में 30 साल से कम आयु के एक हजार युवा और छात्र नेता भाजपा में शामिल हुए, जिनमें से करीब 60 प्रतिशत जाट समुदाय से थे, जिसे कांग्रेस का मुख्य आधार-स्तंभ माना जाता है।
इससे यह स्पष्ट हुआ कि कांग्रेस द्वारा धन-बल के आधार पर बनाए जा रहे माहौल के विपरीत हरियाणा का युवा भाजपा के साथ मजबूती से खड़ा है। प्रचार के दौरान यह और भी स्पष्ट दिखने लगा कि युवा वर्ग जाति की सीमाओं से परे भाजपा का समर्थन कर रहा है, जो नए भारत की उम्मीद और महत्वाकांक्षा का प्रतिनिधित्व करता है।
भाजपा का प्रचार और एजेंडा सर्वसमावेशी था। अपनी समावेशी नीतियों के कारण भाजपा दलितों और हाशिये पर रहने वाले वर्गों के बीच गहरी पैठ बना चुकी है, जो आज भी कांग्रेस शासन में व्याप्त सामाजिक दमन, हिंसा और सरकार का रवैया भूले नहीं हैं। भाजपा सरकार की कल्याणकारी योजनाएं पहली बार इन वर्गों तक पहुचीं। उन्हें गांव-समाज के दबंग तबकों पर निर्भर नहीं रहना पड़ा, जिससे दस वर्षों में राजनीतिक ‘बंधुआ मजदूरी’ भी समाप्त हुई।
भाजपा सरकार की योजनाओं ने न केवल किसानों को, बल्कि सीमांत किसानों और खेतिहर मजदूरों को भी लाभान्वित किया, जिनके हितों को पूर्ववर्ती सरकारों में सदैव नजरअंदाज किया गया था। चुनाव प्रचार के दौरान इन वर्गों के लोग गांव की बैठकों और सभाओं में चुपचाप आते तथा घर-घर प्रचार के दौरान बिना कुछ बोले सुनते। अंततः वोट के माध्यम से ही इन वर्गों की आवाज सुनाई दी, जिसने सभी एक्जिट पोल को गलत साबित कर दिया।
जहां कांग्रेस ‘36 बिरादरी’ की केवल बात करती रही, वहीं भाजपा ने सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व दिया और एक साझा एजेंडे के आधार पर सर्वमान्य पार्टी बनकर उभरी। यह व्यापक समावेशिता ही भाजपा की चुनावी अपील का एक प्रमुख स्तंभ बन गई, जिसने पार्टी की इस ऐतिहासिक जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
(लेखक भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं हरियाणा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी हैं)