लक्ष्य के करीब पहुंचा जल जीवन मिशन, अभियान ने पानी की समस्या से जूझ रहे इलाकों की बदल दी तस्वीर
जल जीवन मिशन के तहत जनवरी 2023 से प्रतिदिन 86894 कनेक्शन दिए जा रहे हैं। योजना की प्रगति की निगरानी तथा भ्रष्टाचार रोकने के लिए सभी नल कनेक्शन उपभोक्ता के आधार नंबर से लिंक किए जा रहे हैं। अब तक 19.43 करोड़ ग्रामीण घरों में से 13.47 करोड़ अर्थात 70 प्रतिशत ग्रामीण घरों को पानी का कनेक्शन दिया जा चुका है।
रमेश कुमार दुबे। जिस देश में चुनावी वादों को अगले चुनाव तक टालने की परंपरा रही हो, उसी देश में आज हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए प्रतिदिन 86,894 कनेक्शन दिए जा रहे हैं तो इसे चमत्कार ही कहा जाएगा। अब तक देश के 19.24 करोड़ ग्रामीण घरों में से 13.47 करोड़ अर्थात 70 प्रतिशत ग्रामीण घरों को पानी का कनेक्शन दिया जा चुका है। यह उपलब्धि तब हासिल हुई है, जब कई राज्य सरकारें जल जीवन मिशन के तहत आवंटित धनराशि का पूरी तरह इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। उदाहरण के लिए इस मिशन के तहत केंद्र सरकार की ओर से आवंटित 16,484 करोड़ रुपये विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास पड़े हैं।
आजादी के बाद से ही देश में हर चुनाव के दौरान बिजली, सड़क और पानी के वादे किए जाते थे, लेकिन ये वादे कभी पूरे नहीं हुए। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने देश के हर गांव तक बिजली पहुंचाने का समयबद्ध कार्यक्रम घोषित किया। जिस देश में सरकारी योजनाएं अपनी लेटलतीफी के लिए कुख्यात रही हों, वहां तय समयसीमा से 11 दिन पहले ही देश के हर गांव तक बिजली पहुंचना किसी चमत्कार से कम नहीं था। इसके बाद मोदी सरकार देश के हर घर को चौबीसों घंटे-सातों दिन रोशन करने की कवायद में जुटी। बिजली क्षेत्र में हुए क्रांतिकारी सुधार का ही नतीजा है कि आज बिजली नहीं, बल्कि मुफ्त बिजली के चुनावी वादों की होड़ मची है।
हर गांव तक बिजली पहुंचाने की भांति प्रधानमंत्री ने हर ग्रामीण परिवार तक नल से जल पहुंचाने का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया। उन्होंने 15 अगस्त, 2019 को लाल किले की प्राचीर से जल जीवन मिशन शुरू करने की घोषणा की। इसके तहत 2024 तक हर ग्रामीण घर तक नल से जल का कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया। इसमें हर परिवार को प्रति व्यक्ति 55 लीटर प्रतिदिन के हिसाब से स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया। जल जीवन मिशन की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें पानी की गुणवत्ता का भी ध्यान रखा गया है। इसके दो भाग हैं। पहला भाग है पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल संग्रहण और जल पुनर्चक्रण। दूसरा भाग है स्वच्छता और खुले में शौच मुक्त प्रथा को बनाए रखना।
जल जीवन मिशन के तहत जनवरी 2023 से प्रतिदिन 86,894 कनेक्शन दिए जा रहे हैं। योजना की प्रगति की निगरानी तथा भ्रष्टाचार रोकने के लिए सभी नल कनेक्शन उपभोक्ता के आधार नंबर से लिंक किए जा रहे हैं। अब तक 19.43 करोड़ ग्रामीण घरों में से 13.47 करोड़ अर्थात 70 प्रतिशत ग्रामीण घरों को पानी का कनेक्शन दिया जा चुका है।
देश के नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शत प्रतिशत घरों में नल से जल की आपूर्ति की जा रही है। इसी तरह 10 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों के 75 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल से जल दिया जा रहा है। शेष राज्यों में योजना जिस रफ्तार से चल रही है, उसे देखते हुए उम्मीद है कि तय समयसीमा से पहले ही देश के हर घर को नल से जल की आपूर्ति होने लगेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि जल जीवन मिशन को यह सफलता कोविड-19 महामारी और लाकडाउन की कठिनाइयों के बावजूद हासिल हुई है। इस योजना की सफलता यही दर्शाती है कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो वह कुछ भी संभव बना सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शत प्रतिशत नल से जल कवरेज से हर साल डायरिया से होने वाली चार लाख मौतें नहीं होंगी और देश 100 अरब डालर की बचत कर पाएगा। नल से जल योजना में जनभागीदारी को प्रमुखता दी गई है। इसकी प्रेरणा गुजरात पेयजल आपूर्ति योजना से मिली है। गुजरात में हर गांव में पानी समिति बनाई गई, जो यह तय करती है कि उपभोक्ता से पानी के बदले कितना शुल्क वसूला जाए। समिति में पंचायत के 10-15 सदस्य रहते हैं, जिनमें 50 प्रतिशत महिलाएं होती हैं।
इसी से प्रेरणा लेते हुए जल जीवन मिशन के तहत गांव वाले निर्णय करेंगे कि कौन परिवार पानी का कितना भुगतान करेगा। जिन परिवारों में सदस्यों की संख्या अधिक है, वे अधिक भुगतान करेंगे, जबकि गरीब और नियमित आय विहीन परिवारों से कम शुल्क लिया जाएगा। इस योजना के सामने एक बड़ी चुनौती जल उपलब्धता की है। सूखती नदियों, झीलों, लगातार घटते भूजल स्तर, विलुप्त होते तालाबों और बढ़ते जल प्रदूषण के बीच सभी ग्रामीण घरों तक स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति आसान नहीं है। इसी को देखते हुए इस योजना में जल संरक्षण पर भी बराबर ध्यान दिया गया है। अब तक स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में 18 लाख से अधिक जल संग्रहण पिट बनाए जा चुके हैं। इस अभियान के व्यापक प्रभाव दिखे हैं।
जल जीवन मिशन ने पानी की समस्या से जूझ रहे इलाकों की तस्वीर बदल दी है। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में कई दशकों से सैकड़ों गांवों में ग्रामीणों को जल संकट से दो-चार होना पड़ता था। सूखाग्रस्त इलाकों में गर्मी का मौसम शुरू होते ही पानी के लिए हाहाकार मचने लगता था। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होते ही बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र के नौ जिलों को सबसे पहले इस योजना के लिए चयनित किया।
अब जल जीवन मिशन के तहत नियमित पेयजल आपूर्ति होने से इन इलाकों की तस्वीर बदल गई है। अब घरों में सिर्फ शुद्ध पेयजल ही नहीं, बल्कि गांवों में उत्सव, उल्लास और खुशियां लौट रही हैं। उल्लेखनीय है कि बुंदेलखंड के कई गांवों में पीने का पानी नहीं होने के कारण लोगों की शादियां नहीं हो पा रही थीं, लेकिन हर घर नल से जल का परिणाम यह हुआ कि अब इन गांवों में रिश्ते आने लगे हैं।
(लेखक लोक नीति विश्लेषक एवं केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारी हैं)