अनुराग सिंह ठाकुर: जनता से संवाद स्थापित करने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कोई सानी नहीं। अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के माध्यम से उन्होंने अपनी इस संवाद कला को एक नया आयाम दिया है। इस कार्यक्रम को मिली अभूतपूर्व सफलता भी अपने आप में एक मिसाल है। असल में ‘मन की बात’ से कई और बातें भी पता चलती हैं। इससे मोदी जी के व्यक्तित्व के दो पहलू सामने आते हैं। एक मजबूत, शक्तिशाली और उद्देश्यपूर्ण प्रधानमंत्री मोदी तथा विनम्र, दयालु और नेक पिता तुल्य अभिभावक।

यदि आप आंख बंद करके ‘मन की बात’ सुनें तो सोचेंगे कि मोदी जी गांव की चौपाल पर बैठकर लोगों से बातचीत कर रहे हैं। उनकी बातें सुन रहे हैं। जरूरत पड़ने पर जरूरी सलाह दे रहे हैं या किसी अनुकरणीय कार्य के लिए तारीफ कर रहे हैं। हाल में उन्होंने दुर्घटना पीड़ितों के परिवारों के साथ अपनी बात साझा की, जिन्होंने अपने प्रियजनों के अंग दान करने का निर्णय किया था। मोदी जी ने उस बातचीत का उपयोग अंगदान के नेक विचार को बढ़ावा देने के लिए किया।

ऐसे तमाम उदाहरण हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन से निपटने से लेकर स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़े आम लोगों के अच्छे कार्यों के लिए उन्हें उदार मन से बधाई देना आदि शामिल हैं। ‘मन की बात’ वास्तविक जीवन की कहानियों और अनुभवों का पिटारा हैं, जो वास्तविक भारत को दर्शाती हैं। इसी कारण इसका हर एपिसोड बेहद लोकप्रिय होता है। इसे लाखों प्रतिक्रियाओं मिलती हैं। यह लोगों के साथ प्रतिध्वनित होता है, क्योंकि इसमें उनकी चिंताएं झलकती हैं।

मन की बात का पहला एपिसोड 3 अक्टूबर, 2014 को प्रसारित हुआ था। 30 अप्रैल को इसके 100 एपिसोड पूरे हो जाएंगे। ‘मन की बात’ अपनी विषयवस्तु, बातचीत और समाज के साथ संवाद करने के अभिनव तरीके के मामले में अद्वितीय है। देश के 262 रेडियो स्टेशनों और 375 से अधिक निजी और सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के साथ दुनिया के सबसे बड़े रेडियो नेटवर्क ‘आल इंडिया रेडियो’ के माध्यम से 52 भाषाओं/बोलियों में इसका प्रसारण होता है। इनमें 11 विदेशी भाषाएं भी हैं। इसका उद्देश्य यही है कि देश में दूर-दराज वाले क्षेत्रों से लेकर विदेश में बसे भारतीयों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित हो सके। दूरदर्शन नेटवर्क के 34 चैनल और 100 से अधिक निजी टीवी चैनल भी इस कार्यक्रम को प्रसारित करते हैं।

अपने व्यापक प्रभाव के साथ मन की बात को एक सामाजिक क्रांति के रूप में देखा जा रहा है। जनभागीदारी से इसे ठोस आधार प्राप्त होता है। प्रत्येक एपिसोड लोगों की परिवर्तनकारी शक्ति में प्रधानमंत्री के अटूट विश्वास के आधार पर तैयार किया जाता है और शासन में जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मन की बात के माध्यम से प्रधानमंत्री करोड़ों लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में सफल रहे हैं। वह इस प्लेटफार्म का देश के लिए अपने दृष्टिकोण को साझा करने में उपयोग करते हैं और राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी चाहते हैं।

‘मन की बात’ का प्राथमिक उद्देश्य भारत के प्रधानमंत्री और देश के नागरिकों के बीच सीधा संपर्क बनाना है। हर माह प्रधानमंत्री को लाखों पत्र मिलते हैं, जिस पर वह कार्यक्रम में प्रकाश डालते हैं। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री का लोगों से टेलीफोन पर बातचीत एक निर्वाचित नेता और जनता के बीच लोकतंत्र एवं शासन में लोगों के विश्वास को मजबूत करती है। आठ वर्षों के दौरान इसके 99 एपिसोड में न केवल महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में जनता में जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया गया है, बल्कि उन्हें सामाजिक और राष्ट्रीय हितों को लेकर कार्रवाई करने के लिए प्रेरित भी किया गया है।

बदलाव के वाहकों की प्रेरक कहानियां इसकी प्रमुख विशेषताओं में से एक हैं। धरातल पर नि:स्वार्थ भाव से काम कर रहे ऐसे लोग प्रेरणा का स्रोत बनकर अन्य लोगों को भी प्रेरित करते हैं। यह कार्यक्रम सामाजिक आंदोलनों को उत्प्रेरित करने वाले जन आंदोलन के एक प्रभावी उपकरण के रूप में भी उभरा है। प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सामाजिक संदेश कुछ ही घंटों में इंटरनेट मीडिया पर ट्रेंड होने लगते हैं और कुछ ही दिनों में जन आंदोलन का रूप ले लेते हैं।

‘स्वच्छ भारत अभियान’, ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’, ‘कोविड टीकाकरण’ और ‘हर घर तिरंगा’ इसके कुछ शानदार उदाहरण हैं। ‘मन की बात’ के 88वें एपिसोड में प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला और नागरिकों से अपने इलाकों में अमृत सरोवर बनाने का आग्रह किया। कुछ महीनों के भीतर ही यह संदेश एक जन आंदोलन में परिवर्तित हो गया और देश भर में कई अमृत सरोवर तैयार हो गए।

एक ‘सशक्त भारत’ के निर्माण की परिकल्पना को आगे बढ़ाते हुए, ‘मन की बात’ कार्यक्रम देश की उन राष्ट्रीय एवं वैश्विक सफलताओं को उजागर करने पर केंद्रित है, जो नागरिकों में गर्व, अपनापन और राष्ट्रवाद की भावना बढ़ाकर उनसे देश के विकास में भाग लेने का आग्रह करता है। कार्यक्रम की 89वीं कड़ी में प्रधानमंत्री ने यूनिकार्न की संख्या के 100 के आंकड़े तक पहुंचने पर प्रकाश डाला।

91वीं कड़ी में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की सामूहिक भागीदारी और देशव्यापी सफलता का उत्सव मनाया गया। ऐसे कई और उदाहरण हैं जो दर्शाते हैं कि ‘मन की बात’ सिर्फ एक रेडियो कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह भारत के समग्र विकास का प्रतिबिंब और सार्वजनिक भागीदारी की अभिव्यक्ति भी है। ‘मन की बात’ से प्रधानमंत्री ने कल्याणकारी योजनाओं और नीतियों को लोगों तक पहुंचाने और उनके बारे में जागरूकता पैदा करने हेतु सफलतापूर्वक एक तंत्र स्थापित किया है।

इसके माध्यम से प्रधानमंत्री यह भी बताते हैं कि कैसे ये योजनाएं जमीनी स्तर पर लोगों को लाभान्वित करती हैं और अधिक से अधिक लोगों को इन योजनाओं का लाभार्थी बनने के लिए प्रेरित करती हैं। संकट के समय में भी इस कार्यक्रम ने लोगों तक आवश्यक सूचनाएं पहुंचाने में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कोविड महामारी के दौरान भारत के टीकाकरण अभियान की सफलता गाथा का श्रेय भी काफी हद तक ‘मन की बात’ को जाता है। यही हमारे जीवन में ‘मन की बात’ कार्यक्रम की प्रासंगिकता और इसके महत्व का पर्याप्त प्रमाण है।

(लेखक केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री हैं)