नई दिल्ली, [रणविजय सिंह]। कोरोना की दूसरी लहर बेहद घातक साबित हुई। इस दौरान व्यवस्था की कुछ खामियां भी सामने आई। उससे सबक लेकर तीसरी लहर की आशंका को कम किया जा सकता है। दिल्ली एनसीआर में अब संक्रमण कम हो गया है। दिल्ली में संक्रमण दर एक फीसद से भी नीचे आ गई है। इससे नि:संदेश लोगों को कोरोना से राहत मिली है लेकिन अब लोगों को लापरवाह नहीं होना है। सरकार व शोध एजेंसियों को भी चौंकना रहना होगा और अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने पर जोर देना होगा। यदि संबंधित एजेंसियां चौंकना रहीं और लोगों ने संक्रमण से बचाव के नियमों का ठीक से पालन किया तीसरी लहर से काफी हद तक बचे रहेंगे।

तीसरी लहर तभी आएगी जब वायरस में कोई नया म्यूटेशन होगा और लोग पहले की तरह बेपरवाह हो जाएंगे। इसलिए जो गलती इस साल जनवरी में संक्रमण कम होने के बाद की गई उसे दोहराने से बचना होगा। साथ ही टीकाकरण अभियान को तेज करना होगा। टीके के रूप में कोरोना की बीमारी से बचाव के लिए एक कारगर हथियार मौजूद है। दिल्ली एनसीआर में दूसरी लहर की शुरुआत होने पर बहुत ज्यादा लोगों को टीका नहीं लगा था। अब अधिक से अधिक लोगों को टीका देने का मौका है। इससे काफी राहत मिलेगी। इसलिए तीसरी लहर शुरू होने तक जितना समय मिलता है उसमें बड़ी आबादी को टीका देना सुनिश्चित करना चाहिए।

दूसरी बात यह है कि वायरस पर निगरानी की जरूरत है। लगातार देखते रहना होगा कि वायरस में कोई नया म्युटेशन तो नहीं हो रहा है। इसके लिए जरूरी है कि जितने लोगों के सैंपल पाजिटिव पाए जाते हैं उसमें से काफी सैंपल का जीनोम सीक्वें¨सग कर वायरस का जेनेटिक अध्ययन किया जाना चाहिए। ताकि यह पता लगाया जा सके कि म्युटेशन से वायरस का कोई नया खतरनाक स्ट्रेन तो नहीं आ रहा है। इसका पता लगने पर समय से बचाव के लिए कदम उठाए जा सकेंगे और लोगों को सतर्क किया जा सकेगा। इसके अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, डिस्पेंसरियों व अस्पतालों में सुविधाएं बेहतर करनी होगी। ताकि इलाज और जांच में परेशानी न होने पाए। तीसरी लहर कब आएगी यह किसी को नहीं मालूम है। इसलिए कोरोना से बचाव के लिए नियमों का पालन करते रहना होगा। कोरोना का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसलिए शारीरिक दूरी के नियम का पालन व मास्क लगाना जरूरी है।

इस साल ऐसे बड़े सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक इत्यादि कार्यक्रम, समारोह व सभाओं पर रोक लगाकर रखनी होगी। ताकि भीड़ जमा न होने पाए। इससे संक्रमण को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी। पिछले साल अक्टूबर-नवंबर के संक्रमण के बाद हुए सीरो सर्वे में दिल्ली में 56 फीसद लोगों में एंटीबॉडी पाई गई थी। फिर भी बड़ी संख्या में लोग कोरोना से संक्रमित हुए। इसके कई कारण रहे। पहला यह है कि वायरस में म्युटेशन हुआ। लोगों ने बचाव के नियमों का पालन बंद कर दिया। बगैर मास्क के लोग बाजारों में देखे जा रहे थे। शादी समारोहों व राजनीतिक कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में लोग शामिल होने लगे थे। सख्ती भी कम कर दी गई थी। इस वजह से संक्रमण तेजी से बढ़ा। दिल्ली एनसीआर में काफी संख्या में लोग संक्रमित हो चुके हैं। खासतौर पर दिल्ली में घर-घर में लोग बीमारी हुए। शायद ही कोई परिवार हो जिसमें कोई बीमार न हुआ हो।

यदि वायरस में कोई नया म्युटेशन न हो और लोग बचाव के नियमों का ठीक से पालन करते रहे तो तीसरी लहर आने की ज्यादा आशंका नहीं होगी। कोरोना वायरस बार-बार अपना स्वरूप बदल रहा है। इसका हर मौसम में संक्रमण देखा जा रहा है। इसलिए मौजूदा समय में संक्रमण भले ही कम हो गया हो लेकिन लोगों को बचाव के नियमों के पालन के साथ अपने कामकाज को आगे बढ़ाना होगा। अभी लोगों में टीका लगाने की होड़ लगी है। संक्रमण कम होने जाने पर इस बात की संभावना है कि एक माह बाद टीका लेने की होड़ कम हो जाए। इससे समस्या बढ़ सकती है। दिल्ली में अभी तक करीब 28 फीसद व्यस्क आबादी को टीके की कम से कम एक डोज लगी है। इसलिए कोशिश होनी चाहिए कि जल्द से जल्द बड़ी आबादी को टीका लग जाए। (डा. जुगल किशोर, निदेशक प्रोफेसर, कम्युनिटी मेडिसिन, सफदरजंग अस्पताल)