बद्री नारायण। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के लागू होने के बाद उसके क्रियान्वयन पर शिक्षा मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) तथा शिक्षा से जुड़ी अन्य संस्थाएं लगातार काम कर रही हैं। इस प्रक्रिया में सबसे बड़ी चुनौती है कि इस नई शिक्षा नीति के आत्मा को कैसे ज्ञान सृजन एवं शिक्षण में उतारा जाए? हमें समझना होगा कि नई शिक्षा नीति मात्र एक ढांचागत परिवर्तन ही नहीं है, बल्कि यह ज्ञान के नवनिर्माण की एक सतत प्रक्रिया है।

यह भारतीय शिक्षा व्यवस्था में आधारभूत परिवर्तन को आगे बढ़ाने वाली नीति है। नई शिक्षा नीति का पूर्ण क्रियान्वयन तभी संभव हो पाएगा जब इस पर आधारित नई पाठ्यपुस्तकें जल्द से जल्द तैयार हों। देखा जाए तो नई शिक्षा नीति के दर्शन एवं आत्मा में आजादी के बाद बनीं अनेक राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों की निरंतरता दिखाई पड़ती है।

इसमें राधाकृष्णन कमेटी एवं डीएस कोठारी कमेटी तथा शिक्षा क्षेत्र में हुए अन्य विमर्शों की छवियां भी दिखाई पड़ती हैं। इसमें अपनी जमीन, अपनी मातृभाषा, अपनी अस्मिता एवं राष्ट्रीयता की छवियां दिखाई एवं उनकी ध्वनियां भी सुनाई पड़ती हैं।

यह जानना सुखद है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक निर्माण के कार्य में लगी है। ये पाठ्यपुस्तक छप कर आनी भी शुरू हो गई हैं। अभी हाल में कक्षा छह के विद्यार्थियों के लिए एनसीईआरटी द्वारा विकसित एवं प्रकाशित पुस्तक ‘एक्सप्लोरिंग सोसायटी: इंडिया एंड बियोंड’ देखने को मिली। इसका हिंदी संस्करण भी शायद कुछ दिनों में आ जाए।

यह पाठ्यपुस्तक बहुत रचनात्मक ढंग से छात्रों में विश्लेषणात्मक, वर्णनात्मक एवं वृत्तांत क्षमता विकसित करने वाली है। सामाजिक ज्ञान को अपने आसपास के उदाहरणों से सरल भाषा में छात्रों में प्रवाहित करने का बहुत सुंदर प्रयास करती दिखती है। विद्यार्थियों में सामाजिक विज्ञान की चेतना जगाने की यह प्रक्रिया बहुत ही रोचक दिखाई पड़ती है।

इसके अलावा इस पाठ्यपुस्तक में अनेक प्रेरणादायी उद्धरणों एवं रचनात्मक अभ्यासों को अत्यंत तारतम्यता से प्रस्तुत किया गया है। इसमें ऐसे-ऐसे चित्र दिए गए हैं जो किशोर मन को गहराई से छूते हैं। इस प्रकार से छात्रों में सामाजिक विज्ञान से जुड़े ज्ञान को प्रवाहित करने की कोशिश की गई है। साथ ही छात्रों को महत्वपूर्ण तथ्यों और विश्लेषणों की ओर आकर्षक ढंग से बार-बार ध्यान दिलाने की कोशिश की गई है।

भारतीय समाज की विविधता में एकता का भाव इस पाठ्यपुस्तक की एक विशेषता है। इसमें देश की इस विविधता को बनाए रखने पर खासा जोर दिया गया है। इस पाठ्यपुस्तक में शुरू से अंत तक सभी अध्यायों में संवाद के जरिये ज्ञान प्रवाहित करने की रचनात्मक कोशिशें दिखाई पड़ती हैं। भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान परंपरा को भी अत्यंत निरपेक्ष एवं ज्ञानपरक ढंग से इस पाठ्यपुस्तक में प्रस्तुत किया गया है।

इसे पढ़ते हुए सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में ‘एक में अनेक’ रचने का भाव दिखाई पड़ता है। यह जानना रोचक है कि इस पाठ्यपुस्तक की शुरुआत भारतीय संविधान के मुख्य तत्वों से होती है। यह पाठ्यपुस्तक छात्रों में भारतीय संविधान के मूल आत्मा को प्रवाहित करने का सफल प्रयास करती दिखती है। अत्यंत सरल ढंग से इस पाठ्यपुस्तक में दो पृष्ठों में संविधान में बताए गए मौलिक अधिकारों एवं मौलिक कर्तव्यों को प्रस्तुत किया गया है।

‘गवर्नेंस एवं डेमोक्रेसी’ नामक पाठ में जमीन से जुड़ी अनेक केस स्टडी, प्रेरक व्यक्तित्वों एवं घटनाओं के उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं। इन उदाहरणों से यह बताने की कोशिश की गई है कि किस प्रकार भारत में पंचायती राज की व्यवस्था ने हाशिये पर बसे अनेक समूहों में भी नेतृत्व विकसित करने में बड़ी भूमिका निभाई है। इससे आजादी के बाद अनेक आदिवासी एवं सीमांत समूहों, पिछड़ों, अत्यंत पिछड़ों, ट्रांसजेंडर एवं सामाजिक परिवर्तन में लगे तमाम प्रेरक व्यक्तित्वों का एक बड़ा नेतृत्वकारी वर्ग विकसित हुआ है।

इस पाठ्यपुस्तक में परिवार एवं समुदाय पर भी एक अत्यंत उपयोगी पाठ दिया गया है, जिसमें बहुत ही सरलता एवं ग्राह्यपरकता के साथ भारतीय परिवार व्यवस्था को सहजतापूर्वक समझाया गया है। उम्मीद है कि इससे छात्रों में अपने परिवार एवं आसपास के समुदायों के साथ आत्मिक एवं ज्ञानात्मक संबंध विकसित हो पाएगा। इस पाठ्यपुस्तक की शुरुआत में विद्यार्थियों के नाम एक छोटा पत्र लिखा गया है, जिसमें इस पाठ्यपुस्तक को कैसे पढ़ें, इसे कैसे समझें, इसके बारे में काफी सरल ढंग से बताया गया है।

जाहिर है, यह एक नवोन्मेषी प्रयास है, जिससे छात्रों को इस पाठ्यपुस्तक से निर्मित होने वाले ज्ञान की संरचना एवं उसका ढंग आसानी से समझ में आ सकता है। यह एक प्रकार से एक ‘मास्टर की’ की तरह है जिससे यह पुस्तक छात्रों एवं शिक्षकों के लिए खुलती जाती है। इसके अंत में एक क्यूआर कोड भी दिया गया है, जिससे छात्र सामाजिक विज्ञान से जुड़े अत्यंत रोचक ज्ञानपरक वीडियो, पहेली, खेल एवं कहानी देख पाएंगे।

इन सबके कारण यह पाठ्यपुस्तक ‘नए समय की पाठ्यपुस्तक’ के रूप में हमारे सामने आती है। यूं तो एनसीईआरटी हमारे देश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था में अपने बेहतर पाठ्यपुस्तक निर्माण के लिए हमेशा प्रशंसित होती रही है, किंतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत पाठ्यपुस्तक निर्माण का उसका यह प्रयास बेहद सराहनीय है। हमारे शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के लिए यह एक नया अनुभव बनकर सामने आया है। उम्मीद है, इसका सबको लाभ मिलेगा।

(लेखक जीबी पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, प्रयागराज के निदेशक हैं)