शिवराज सिंह चौहान : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश सांस्कृतिक अंगड़ाई ले रहा है। सांस्कृतिक गौरव के प्रतीकों और जन-आस्था के केंद्रों की पुनर्प्रतिष्ठा हो रही है। यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और गरिमा के पुनरुत्थान का युग है। प्रधानमंत्री की प्रेरणा से ही केदारनाथ धाम का नवनिर्माण हुआ। काशी विश्वनाथ में भी जो निर्माण कार्य हुए हैं, उन्हें श्रद्धालु देख ही रहे हैं। अब बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में श्री महाकाल लोक तैयार हुआ है। उज्जैन का यह नया स्वरूप बाबा महाकाल की कृपा, प्रधानमंत्री की प्रेरणा और मार्गदर्शन में आकार ले रहा है। यह हम सबके लिए बहुत ही गर्व का विषय है कि हमारे मार्गदर्शक प्रधानमंत्री मोदी श्री महाकाल लोक परिसर का लोकार्पण कर रहे हैं।

अतीत में उज्जयिनी का व्यापक उल्लेख मिलता है। समय के साथ स्वरूप बदला, आक्रांताओं ने हमले किए, किंतु उज्जैन की गरिमा कभी कम न हुई। यह बाबा महाकाल की शक्ति और कृपा है कि उज्जैन का मूल तत्व सदैव अशेष रहा। पुण्य सलिला शिप्रा नदी के तट पर बसी यह नगरी प्रत्येक युग में सांस्कृतिक गौरव की साक्षी रही है। महाराजा विक्रमादित्य उज्जयिनी को केंद्र बनाकर, आक्रांताओं को परास्त कर चक्रवर्ती सम्राट बने। उन्होंने यहीं से भारतीय काल गणना में विक्रम संवत आरंभ किया।

यह ज्ञान-विज्ञान, कला, शास्त्रीय संगीत और साहित्य के साधकों की भूमि और लोक जागरण की नगरी रही है। उज्जयिनी के सांदीपनि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने शिक्षा पाई। भास, कालिदास, भर्तृहरि, बाणभट्ट, शूद्रक, पुष्पदंत और राजशेखर ने यहीं अमर साहित्य रचा। गुरु गोरखनाथ और मत्स्येंद्रनाथ ने तंत्र ज्ञान भी इसी धरती पर खोजा और वराहमिहिर के ज्योतिष विज्ञान ने आकाश गंगा को धरती पर उतारकर प्रथम पंचांग बनाया। काल गणना का केंद्र अवंतिका ही उज्जयिनी कहलाई, जो अब उज्जैन नाम से प्रसिद्ध है। यहीं से कर्क रेखा निकलती है।

इसी महान नगरी में विराजे हैं काल के नियंता महाकाल। अनादि अनंत शिव के ज्योतिर्लिंग से यह धरती पावन है। अमृत की एक बूंद से यहां शिप्रा अमर हो गईं। सिंहस्थ पर्व पर शिप्रा में स्नान, महाकाल के दर्शन और पुण्य प्राप्ति के लिए समूचा विश्व उज्जैन में एकाकार हो जाता है। पुराणों में इस नगरी की गरिमा का वर्णन है। स्कंद पुराण में उज्जयिनी के छह कल्पों के छह नाम हैं, जो कल्पवार कनकशृंगा, कुशस्थली, अवंतिका, अमरावती, चूड़ामणि और पद्मावती हैं। अत: उज्जैन को प्रतिकल्पा अर्थात प्रत्येक कल्प में उपस्थित भी कहा गया है। अन्य ग्रंथों में भी उज्जयिनी को भोगवती, हिरण्यवती और विशाला आदि नामों से संबोधित किया गया है। अब हम इस नगरी को उसी गरिमा और प्रतिष्ठा के अनुरूप आकार देने के लिए संकल्पबद्ध हैं।

उज्जैन में जन आस्थाओं के अनुरूप महाकाल परिसर के वैभव का विस्तार हो रहा है। यहां महादेव के एक अद्भुत लोक की रचना हुई है। यह देखकर मुझे लगता है कि मेरा जनसेवक बनना सार्थक हो गया। जीवन धन्य हो गया। अलौकिक ऊर्जा से युक्त श्री महाकाल लोक अपने गौरवशाली अतीत की भांति भारत राष्ट्र को परम वैभव तक पहुंचाने में चेतना का संचार करेगा। परिसर के नए स्वरूप से श्रद्धालु अपने राष्ट्र के सांस्कृतिक वैभव का साक्षात्कार कर सकेंगे। आमजन शिव-लीला के दर्शन और सांस्कृतिक गौरव से परिचित होंगे। इससे उज्जैन को नई वैश्विक पहचान मिलेगी।

श्री महाकाल लोक को पुराणों में वर्णित सप्त सागर में से एक रूद्र सागर के किनारे विकसित किया गया है। यहां भगवान शिव-शक्ति और उनसे जुड़ी कथाओं के आधार पर मूर्तियों की स्थापना के साथ-साथ दीवारों पर चित्रों का शृंगार किया गया है। श्रद्धालु यहां सप्त ऋषि, नवग्रह मंडल, त्रिपुरासुर वध, कमलताल में विराजित शिव को देख सकेंगे। अब उज्जैन में महाकाल महाराज की सवारी पुलिस बैंड के साथ निकलेगी। मुझे स्मरण आता है कि सिंहस्थ के समय ही यह विचार आया कि महाकाल महाराज मंदिर विस्तारीकरण की योजना बनाकर महाराजवाड़ा को हेरिटेज होटल के रूप में विकसित किया जाए।

महाकाल परिसर का विस्तार करने के संबंध में नागरिकों, मंदिर समितियों और अन्य संबंधित पक्षों से चर्चा करके परिसर के विस्तार की योजना बनाई गई थी, किंतु बीच में सरकार बदलने से कार्य में गतिरोध आ गया। वर्ष 2020 में जब पुन: भाजपा सरकार बनी, तो उज्जैन पहुंचकर मैंने इस कार्य को पूरा करने का संकल्प लिया। महाकाल महाराज उज्जैन के राजा हैं और हम उनके सेवक। मेरे लिए यह आत्मिक आनंद का अवसर है कि यह संकल्प उनके आशीर्वाद और प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से पूरा हो रहा है। दूसरे चरण के सभी कार्य भी समय पर पूरे किए जाएंगे। शिप्रा नदी को स्वच्छ और सदैव प्रवाहमान बनाए रखने के लिए रिवर फ्रंट विकसित किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं का आनंद एवं पर्यटकों का आवागमन बढ़ेगा। उज्जैन को धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनाने के लिए हम दृढ़ संकल्पित हैं। इससे यहां रोजगार भी बढ़ेंगे। मध्य प्रदेश की प्रगति और विकास के साथ जनता का कल्याण हमारी प्राथमिकता है।

इस अवसर पर मैं उन सभी श्रमिक भाई-बहनों, कारीगरों और इंजीनियरों सहित सभी सहयोगियों का आभारी हूं, जिन्होंने अनथक परिश्रम से इस परियोजना को समय पर पूरा किया। यह परिसर उज्जैन और मध्य प्रदेश को निर्णायक दिशा देकर उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाएगा। भविष्य में देश-विदेश से उज्जैन दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु यहां से अपने मन में भगवान महाकालेश्वर और मंदिर के अप्रतिम सौंदर्य की जीवंत स्मृतियां लेकर जाएंगे। मध्य प्रदेश और देश की जनता से मेरा आग्रह है कि आप आज के इस अविस्मरणीय पल के सहभागी बनें। श्री महाकाल लोक-धर्म, संस्कृति और परंपरा के संगम का केंद्र है। हमारा प्रयास है कि यह परिसर आस्था, पूजा, आराधना और भक्ति के साथ पुन: ज्ञान-विज्ञान, शोध-अनुसंधान की साधना स्थली भी बने। मैं बाबा महाकाल के चरणों में प्रणाम करते हुए मध्य प्रदेश और आप सभी के सुख और कल्याण की कामना करता हूं।

(लेखक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं)