जी-20 सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले रात्रि भोज के निमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट आफ भारत लिखे जाने पर कुछ विपक्षी दलों ने जिस तरह आसमान सिर पर उठा लिया, उसका औचित्य समझना कठिन है। कांग्रेस ने तो इसे संघीय ढांचे पर हमला करार दिया। उसने एक देश–एक चुनाव की पहल को भी संघीय ढांचे पर हमला बता दिया था। लगता है कि उसने हर छोटी-बड़ी बात पर इस जुमले का इस्तेमाल करना सुनिश्चित कर लिया है।

आखिर जब संविधान में लिखा है कि भारत, जो इंडिया है, तब फिर उसके उपयोग पर आपत्ति क्यों? भारत का उल्लेख न केवल संविधान में है, बल्कि आम बोलचाल के साथ सरकारी कामकाज में भी इस शब्द का खूब उपयोग होता है। हमारे कई पड़ोसी देश भी इंडिया के स्थान पर भारत कहना पसंद करते हैं। जैसे हमारे कई संस्थान इंडिया नाम वाले हैं, वैसे ही भारत नाम वाले भी। इससे भी बड़ी बात यह है कि राष्ट्र गान में भी भारत शब्द का उपयोग किया गया है, न कि इंडिया का।

अभी हाल में तेलंगाना राष्ट्र समिति ने अपना नाम भारत राष्ट्र समिति किया। क्या किसी ने इस दल के मुखिया से पूछा कि आपने इंडिया राष्ट्र समिति नाम क्यों नहीं चुना? क्या यह हास्यास्पद नहीं कि जिन विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन आइएनडीआइए के लिए यह नारा तैयार किया है कि जुड़ेगा भारत-जीतेगा इंडिया, वे भी राष्ट्रपति की ओर से भारत शब्द के उपयोग पर लाल-पीले हो रहे हैं?

कुछ विपक्षी दल इस निष्कर्ष पर भी पहुंच रहे हैं कि मोदी सरकार उनके गठबंधन आइएनडीआइए यानी इंडिया से घबरा गई है, इसलिए राष्ट्रपति से भारत शब्द का उपयोग करा रही है। यह भी बेपर की उड़ान ही है। इन दलों को इससे परिचित होना चाहिए कि आम भारतीय इंडिया के स्थान पर भारत शब्द का अधिक उपयोग करते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि अपने देश का मूल नाम भारत है और यह सदियों से प्रचलित है। इंडिया नाम तो अंग्रेजों ने दिया।

कुछ विपक्षी दल यह आरोप भी उछाल रहे हैं कि लगता है अब मोदी सरकार देश का नाम बदलने जा रही है। आखिर इसमें बदलने की क्या बात है? भारत नाम तो पहले से ही चलन में है। हमें इसकी भी अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि कई देशों ने अपने नाम बदले हैं, क्योंकि वे उनकी संस्कृति, सभ्यता और विरासत से जुड़ाव को व्यक्त करते थे। अभी हाल में तुर्की तुर्किए हो गया। इसी तरह बर्मा म्यांमार हो गया और सीलोन श्रीलंका। अपने देश में भी कई प्रमुख शहरों के नाम बदले जा चुके हैं। बंबई अब मुंबई है, मद्रास चेन्नई और कलकत्ता कोलकाता। बंगलौर भी बेंगलुरु हो चुका है। कुछ राज्यों का भी नाम बदला गया है। चंद दिनों पहले ही केरल विधानसभा ने यह प्रस्ताव पारित किया था कि राज्य को केरलम नाम दिया जाए।