जागरण संपादकीय: साइबर ठगी का सिलसिला जारी, सतर्कता ही है सावधानी
साइबर ठगी पर इसलिए भी नियंत्रण नहीं लग पा रहा है क्योंकि साइबर ठग फर्जी नाम से सिम लेने में सफल रहते हैं। समझना कठिन है कि ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं की जा पा रही जिससे कोई फर्जी नाम से सिम न लेने पाए। निश्चित रूप से यह भी चिंता का विषय है कि पाकिस्तानी नंबरों से वाट्सएप कॉल करके लोगों को ठगा जा रहा है।
सीबीआइ ने विदेशी नागरिकों और विशेष रूप से अमेरिकी नागरिकों के साथ साइबर ठगी करने वालों का भंडाफोड़ करके 26 लोगों की जो गिरफ्तारी की, वह यही बताती है कि भारत में साइबर ठग किस बड़े पैमाने पर सक्रिय हैं।
ऑपरेशन चक्र के तहत सीबीआई ने साइबर ठगों के खिलाफ 32 शहरों में छापेमारी की। इनमें से चार शहरों-पुणे, हैदराबाद अहमदाबाद और विशाखापत्तनम में साइबर ठग लोगों को ठगने के लिए चार अवैध कॉल सेंटर चला रहे थे।
ऐसे कॉल सेंटर पहली बार उजागर नहीं हुए। इसके पहले भी कई शहरों और विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर में ऐसे ही कॉल सेंटर चलते पाए गए हैं। इनमें से कुछ विदेशी नागरिकों को ठगते थे तो कुछ भारतीय नागरिकों को। कोई नहीं जानता कि पुलिस और अन्य एजेंसियों की आंखों में धूल झोंककर देश के विभिन्न शहरों में कितने अवैध कॉल सेंटर अभी भी लोगों के साथ ठगी करने में लगे होंगे।
अपने देश में मोबाइल फोन के जरिये लोगों को ठगने वाले न जाने कितने गिरोह जगह-जगह सक्रिय हैं। पहले वे देश के कुछ ही हिस्सों में सक्रिय थे, लेकिन अब उनकी सक्रियता हर कहीं देखी जा सकती है। साइबर ठग कभी लोगों को लालच देकर ठगते हैं, कभी धमकाकर और कभी झूठी एवं भरमाने वाली सूचनाएं देकर।
पिछले कुछ समय से तो वे नकली बैंक, पुलिस, सीबीआई और कस्टम अधिकारी बनकर भी लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं। यह किसी से छिपा नहीं कि लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर ठगने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
निःसंदेह लोग अज्ञानता और जानकारी के अभाव में भी ठगी का शिकार हो रहे हैं, लेकिन एक कारण यह भी है कि साइबर ठग बेलगाम और दुस्साहसी हो गए हैं। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि उन्हें पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों का कहीं कोई भय ही नहीं। जैसे-जैसे मोबाइल का उपयोग बढ़ता जा रहा है और ऑनलाइन लेन-देन और खरीदारी का चलन बढ़ रहा है, वैसे-वैसे साइबर ठगों को अपनी गतिविधियां बढ़ाने के मौके मिल रहे हैं।
समस्या केवल यह नहीं कि साइबर ठगी के खिलाफ पर्याप्त नियम-कानून नहीं। समस्या यह भी है कि पुलिस और अन्य एजेंसियां साइबर ठगों के दुस्साहस का दमन कर पाने में नाकाम हैं। कई बार तो वे ठगों का पता भी नहीं लगा पातीं। इस कारण ठगी के शिकार तमाम लोगों का पैसा उन्हें वापस नहीं मिल पाता।
साइबर ठगी पर इसलिए भी नियंत्रण नहीं लग पा रहा है, क्योंकि साइबर ठग फर्जी नाम से सिम लेने में सफल रहते हैं। समझना कठिन है कि ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं की जा पा रही, जिससे कोई फर्जी नाम से सिम न लेने पाए। निश्चित रूप से यह भी चिंता का विषय है कि पाकिस्तानी नंबरों से वाट्सएप कॉल करके लोगों को ठगा जा रहा है। यह ठीक नहीं कि डिजिटल होते भारत में साइबर ठग बेलगाम होते जाएं।