इजरायल और हमास के बीच युद्ध के चलते पश्चिम एशिया की शांति एवं स्थिरता को लेकर जो संकट पैदा हुआ था, वह अब और गहराता दिख रहा है। हमास का समर्थन करने के नाम पर यमन के एक हिस्से पर काबिज हाउती विद्रोहियों ने लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों को जिस तरह निशाना बनाना शुरू किया, उसके चलते अमेरिका एवं ब्रिटेन को उनके खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ा।

माना जा रहा है कि अमेरिका और ब्रिटेन की इस कार्रवाई के जवाब में ही गत दिवस ईरान ने इराक और सीरिया में इन दोनों देशों के समर्थन वाले गुटों को निशाना बनाया। ये हमले करके ईरान ने इजरायल के साथ अमेरिका को भी यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह पश्चिम एशिया में उनके हितों को चोट पहुंचाने में समर्थ है।

ईरान ने इराक और सीरिया पर हमले करने के साथ लगे हाथ जिस तरह पाकिस्तान में भी बलूचिस्तान में सक्रिय एक आतंकी संगठन के ठिकाने पर हमले किए, उससे यही लगता है कि वह अपनी ताकत के प्रदर्शन का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहता। माना जाता है कि यह वही आतंकी संगठन है, जिसने कुलभूषण जाधव का ईरान से अपहरण कर पाकिस्तान को सौंपा था।

ईरान के हमले से पाकिस्तान का तिलमिलाना स्वाभाविक है, लेकिन वह इस सच से मुंह नहीं मोड़ सकता कि उसकी जमीन पर किस्म-किस्म के आतंकी संगठन पल रहे हैं। पाकिस्तान ने ईरान को कड़ी चेतावनी दी है, लेकिन इसमें संदेह है कि इससे उसकी सेहत पर कोई असर पड़ेगा।

पाकिस्तान ईरान के हमले को लेकर चाहे जितना शोर मचाए, उसे किसी की हमदर्दी इसलिए हासिल नहीं होने वाली, क्योंकि यह हमला एक आतंकी संगठन के ठिकाने पर किया गया। पाकिस्तान कितनी भी कठिनाई से घिरा हो, लेकिन वह आतंकी संगठनों को पालने-पोसने से बाज नहीं आ रहा है। अब जब पाकिस्तान पर ईरान के हमले से पश्चिम एशिया का संकट दक्षिण एशिया के मुहाने पर आ गया है तो फिर भारत को सतर्क रहना होगा।

वैसे तो भारत और ईरान के संबंध सामान्य हैं और पिछले दिनों भारतीय विदेश मंत्री वहां गए भी थे, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि लाल सागर में जो हाउती विद्रोही समुद्री व्यापार के लिए संकट पैदा कर रहे हैं, उन्हें ईरान का वैसा ही खुला समर्थन हासिल है, जैसे इजरायल को मिटाने की सनक से ग्रस्त गाजा में सक्रिय हमास और लेबनान में असर रखने वाले हिजबुल्ला को है।

ऐसे संगठनों को उकसा रहा ईरान पश्चिम एशिया की शांति के लिए खतरा बन सकता है। यदि उसने हाउती विद्रोहियों को लाल सागर में समुद्री जहाजों पर हमले करने से रोका नहीं तो इससे दुनिया के अन्य देशों के साथ भारत के आर्थिक हितों को भी नुकसान पहुंच सकता है। भारत को सुनिश्चित करना होगा कि ऐसा न होने पाए। इसके लिए उसे समुद्र में अपनी सैन्य ताकत भी बढ़ानी होगी।