संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से पाकिस्तानी आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जाना पाकिस्तान के साथ चीन के मुंह पर भी एक तमाचा है। पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों का बचाव करने वाले चीन ने भले ही यह स्पष्ट न किया हो कि उसने किस कारण अब्दुल रहमान मक्की को प्रतिबंधित करने के मामले में अपनी आपत्ति वापस ले ली, लेकिन कोई भी समझ सकता है कि सुरक्षा परिषद के शेष सदस्यों के एकजुट होने के बाद उसके पास और कोई उपाय नहीं रह गया था। वह यदि अपनी आपत्ति वापस नहीं लेता तो विश्व समुदाय के बीच उसकी फजीहत होती और साथ ही एक ऐसे देश के रूप में उसकी छवि नए सिरे से बनती, जो पाकिस्तानी आतंकियों की ढाल बनना पसंद करता है।

भारत में आतंकी हमलों की साजिश रचने वाला अब्दुल रहमान मक्की लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद का बहनोई है, जिसे सुरक्षा परिषद पहले ही प्रतिबंधित कर चुकी है। चीन ने मक्की की तरह उसका भी बचाव किया था, लेकिन अंततः उसे मुंह की खानी पड़ी थी। चीन पाकिस्तानी आतंकियों का बचाव केवल पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय किरकिरी से बचाने के लिए ही नहीं करता, बल्कि भारत से बैर भाव के चलते भी करता है। यह बात और है कि इस कोशिश में वह अपनी जगहंसाई ही कराता है।

निःसंदेह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाना भारत की कूटनीतिक मोर्चे पर एक बड़ी सफलता है। यह यही बताती है कि भारत पाकिस्तान के साथ-साथ चीन के खिलाफ भी अंतरराष्ट्रीय जनमत खड़ा करने में सक्षम है। उसे अपने इस कूटनीतिक कौशल का उपयोग पाकिस्तान पर और अधिक अंतरराष्ट्रीय दबाव डालने में करना चाहिए। भारतीय नेतृत्व को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के इस प्रस्ताव पर नरमी दिखाने की कोई आवश्यकता नहीं कि वह भारत से बातचीत करना चाहते हैं। वैसे उन्होंने यह कहकर इसकी संभावना स्वयं ही खत्म कर दी कि बातचीत से पहले जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली आवश्यक है।

भारत को दो टूक कहना चाहिए कि ऐसा कभी नहीं होने वाला। पाकिस्तान से बातचीत करने से इसलिए भी बचा जाना चाहिए, क्योंकि कंगाली की हालत में पहुंच जाने के बाद भी वह आतंकवाद को संरक्षण दे रहा है और इसी कारण भारत में पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकियों की घुसपैठ थमने का नाम नहीं ले रही है। भारत को पाकिस्तान के साथ चीन पर भी दबाव बनाए रखने के साथ आतंकवाद के मामले में उसके दोहरे मानदंडों को उजागर करते रहना चाहिए, क्योंकि उसने चार और पाकिस्तानी आतंकियों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की काली सूची से बचाने के लिए अड़ंगा लगा रखा है। इनमें एक 26-11 हमले की साजिश रचने वाला आतंकी भी है, जिसके बारे में पाकिस्तान ने यह झूठ बोला था कि वह मर चुका है।