मनीष त्रिपाठी, नोएडा डेस्क।अंतरिक्ष मानव मन को सदैव से आकर्षित करता रहा है। पृथ्वी से इतर ग्रह-नक्षत्रों और आकाशगंगाओं का यह बाहृय संसार इतना रहस्यपूर्ण है कि इसकी गुत्थियों को सुलझाने के प्रयास मानव सभ्यता के प्रारंभ से ही हो रहे हैं। विश्व की कोई सभ्यता इसे अपने पूर्वजों का मूल स्थान मानती रही तो किसी ने इसे अपने आराध्य और संरक्षक देवताओं का निवास माना, वहीं विज्ञान इसे अपने विचार से परिभाषित करते हुए इसके सतत अनुसंधान में व्यस्त है।

शीतयुद्ध के दौर में विश्व पर वर्चस्व की होड़ में दो महाशक्तियों संयुक्त राष्ट्र अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ ने अंतरिक्ष अनुसंधान और अभियान के जो समानांतर प्रयास प्रारंभ किए, वह अब अंतरिक्ष में जीवन की संभावना और पर्यटन तक विस्तृत हैं। चंद्रमा पर मानव के उतरने से लेकर मंगल को छूने तक की तैयारियों के बीच अंतरिक्ष पर इतना कुछ लिखा-कहा और दिखाया गया है कि हमारी अपनी पृथ्वी का बाहरी अंतरिक्ष तो अब जैसे घर के पास से गुजरने वाला वह आठ लेन का रिंग रोड हो गया है, जिस पर चौबीसों घंटे सांय-सांय करते हुए मानव निर्मित उपग्रह और अंतरिक्ष स्टेशन अपनी-अपनी गति से गुजरते रहते हैं। 

अटके तो शुरू हुईं अटकलें

हमारी पृथ्वी से बिल्कुल सटकर निकल रही इसी गोल सड़क पर (जिसे हम आसान समझ के लिए पृथ्वी का ‘बाहरी अंतरिक्ष’ कहते हैं और जो वाकई काले गहरे अनंत अंतरिक्ष की पहली झलक भर है) कहीं अटक गए हैं दो अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बैरी विलमोर। इसी जून की शुरुआत में दोनों एक अंतरिक्षयान से आठ दिन के प्रवास पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन या संक्षेप में कहें तो आईएसएस) गए थे, मगर अब वापसी में इतनी दिक्कत है कि फरवरी 2025 तक उन्हें वहीं इंतजार करना पड़ सकता है।

जाहिर है कि उन्हें लेकर दुनिया भर में आशंकाओं और अटकलों का दौर है। खाने-पीने, रहने-सहने और सबसे बड़ी बात स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं। चिंता जायज है मगर इससे पहले यह जानना भी जरूरी है कि वे अटके हैं या भटके हैं और अरबों रुपयों के ऐसे अभियानों में कोई असहज स्थिति आने पर अंतरिक्षयात्रियों के लिए क्या इंतजाम होते हैं!

जोश के साथ हुआ स्वागत

तो आगे बढ़ने और पढ़ने से पहले कुछ चीजों और घटनाक्रम को मोटे तौर पर समझकर हम कहानी के तार ठीक से जोड़ लेते हैं। दरअसल, बोइंग कंपनी, जिसे हम आमतौर पर हवाई जहाजों के निर्माण से जोड़कर देखते हैं, अंतरिक्ष यान भी बनाती है। इसने 2019 में अमेरिकी अनुसंधान संस्थान ‘नासा’ के लिए स्टारलाइनर नामक एक अंतरिक्ष यान बनाया, जिसको नासा ने मानवरहित रूप से दो बार पृथ्वी के बाहरी अंतरिक्ष में स्थापित इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भेजा। तीसरी बार यह तय हुआ कि अब इसमें दो अनुभवी अंतरिक्षयात्रियों को भेजा जाए और इसके लिए चयन हुआ भारतीय मूल की अमेरिकी सुनीता विलियम्स और अमेरिकी नौसेना में उनके साथी कमांडर बैरी बुच विलमोर का।

स्पेस स्टेशन पृथ्वी से 400 किलोमीटर दूर

दोनों खुशी-खुशी पांच जून को अमेरिका के केप कैनेरवल स्पेस फोर्स स्टेशन से इस अंतरिक्ष यान में सवार होकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए चल दिए। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर दूरी पर बाहरी अंतरिक्ष में एक विशालकाय प्रयोगशाला जैसी मानवनिर्मित संरचना है, जिसे अमेरिका, रूस, जापान, कनाडा और यूरोप मिलकर संचालित करते हैं।

रॉकेट ईंधन में रिसाव की समस्या

इस यात्रा में अंतरिक्ष यान में हीलियम मतलब इसके रॉकेट ईंधन में रिसाव की समस्या के साथ पिकअप गिरने जैसी कुछ तकनीकी गड़बड़ियां भी सामने आ रही थीं। इस स्थिति में वापसी के दोहरे सफर से ज्यादा सुरक्षित था किसी तरह से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक पहुंचना। वे पहुंच भी गए और उनका अंतरिक्ष यान इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़ भी गया (जुड़ने की इस प्रक्रिया को डॉकिंग कहते हैं)। सुनीता और बैरी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंदर पहुंच गए, जहां पहले से मौजूद सात अंतरिक्षयात्रियों (चार अमेरिकी और तीन रूसी) ने उन्हें गले से लगा लिया।

वापसी में क्या है व्यवधान

अब स्टारलाइनर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में इसलिए अटका हुआ है कि इसमें कुछ बड़ी गड़बड़ियां हैं। इसे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से हटाकर बिना अंतरिक्षयात्रियों के भी पृथ्वी पर वापस जाने के लिए सोचा जाए तो वह इसलिए संभव नहीं है कि इस बार मानवयुक्त अभियान के लिए इसके साफ्टवेयर में ऐसा बदलाव किया गया था कि इसकी डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए इसके भीतर अंतरिक्षयात्रियों का होना जरूरी है। अब यह बहुत बड़ा जोखिम है क्योंकि अनडॉकिंग होते ही यह दोनों अंतरिक्षयात्रियों के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से अलग हो जाएगा और इसकी खराबियों के साथ पृथ्वी पर उनकी वापसी केवल भगवान भरोसे होगी।

क्या है सुरक्षित विकल्प?

सुरक्षित विकल्प यही है कि वे वहीं पर तब तक प्रवास करें जब तक कोई दूसरा मानवयुक्त अंतरिक्ष यान वहां पर नहीं जाता है। हाल-फिलहाल नासा ने इसकी संभावना फरवरी में जताई है, परंतु सितंबर अंत में भी इसकी एक क्षीण आशा से इनकार नहीं किया जा सकता है! अमेरिका को कोलंबस का आसरा यह तो बात हुई विज्ञान और अभियान की, अब कुछ चर्चा कर लें इंसान की।

रोटी, कपड़ा और मकान

सबसे पहला सवाल तो यह उठता है कि क्या इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में इतनी जगह और सुविधाएं हैं कि सुनीता और बैरी लगभग आठ-नौ महीने का समय वहां बिता सकते हैं और जवाब है ‘हां, मगर कुछ दिक्कतों के साथ’। सुकून की बात यह है कि तमाम अटकलों और आशंकाओं के बावजूद वहां उनके पास ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ है। नासा के मुताबिक (और सुनीता विलियम्स द्वारा वहां से जारी एक वीडियो के अनुसार भी) इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का रिहाइशी क्षेत्र किसी छह बेडरूम अपार्टमेंट की तरह है। इसमें छह स्लीपिंग क्वॉर्टर (जो कि किसी पुराने टेलीफोन बूथ जितने बड़े हैं), दो बाथरूम और एक जिम है। कुल नौ लोगों के बीच यह दिक्कततलब बात है, लेकिन दोस्ती भी तो कोई चीज होती है ना।

बैरी ने अपने स्लीपिंग बैग के साथ डेरा जमाया

सुनीता को यहीं पर यूरोपियन स्पेस एजेंसी के अंतरिक्ष प्रयोगशाला मॉड्यूल ‘कोलंबस’ में स्लीप चैंबर मिल गया है तो वहीं बैरी ने अपने स्लीपिंग बैग के साथ डेरा जमाया है जापानी स्पेस एजेंसी के माड्यूल ‘किबो’ में। मॉड्यूल मतलब पृथ्वी से आए हुए वे अंतरिक्ष यान जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जोड़ (डाक) दिए जाते हैं। इस लिहाज से स्टारलाइनर भी अभी इसका एक खूब मजबूती से जुड़ा हुआ अतिरिक्त माड्यूल है और नासा के वीडियो में सुनीता और बैरी इसके अंदर आते-जाते हुए दिखाए गए हैं।

कमी नहीं है भोजन की

मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियानों के लंबे इतिहास में भोजन के तरीके भी खूब बदल गए हैं। शुरुआती अभियानों में आहार के नाम पर टूथपेस्ट जैसी पैकिंग में खाने योग्य बेस्वाद सा पोषक पेस्ट तथा गोलियां होती थीं। फिर डिहाइड्रेटेड और टेंपरेचर-सेट फूड्स सामने आए, मगर अब तो अंतरिक्ष के लिए आहार तैयार करना स्वयं में एक अभियान है। यकीन हो न हो, आज विभिन्न किस्म की जैम, जेली, चटनी, ब्रेड, मांस-मछली-अंडा, मिष्ठान्न से लेकर ताजा फल-सब्जियां और पिज्जा-समोसा-किमची तक कार्गो स्पेसशिप से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक पहुंचाया जाता है।

अंतरिक्षयात्री अपनी मनपसंद चीजें पैक करवा सकते हैं

अंतरिक्षयात्री अपने साथ मनपसंद चीजें पैक करवा कर भी ला सकते हैं या उनके स्वजन उन्हें खाने के लिए कुछ अनुमतिप्राप्त चीजें भिजवा सकते हैं, जैसे नासा के एक वीडियो में सुनीता विलियम्स ने स्वजन द्वारा भेजा गया नटर-बटर स्प्रेड का एक जार दिखाया था! दिल में है पूरी आस टेलीफोन बूथ की बात चली है तो बता दें कि अंतरिक्ष में अटके होने के बावजूद वे पृथ्वी पर अपने अंतरिक्ष केंद्र और इसके माध्यम से स्वजनों से कनेक्ट वीडियो कॉल भी कर सकते हैं। शायद यही वजह है कि सुनीता और बैरी के जीवनसाथी उनके स्वास्थ्य, भोजन, दिनचर्या और अंतरिक्ष में अप्रत्याशित लंबे प्रवास को लेकर आश्वस्त हैं। उन्हें पता है कि छह अगस्त को एक मानवरहित अंतरिक्ष यान इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर तीन टन भोजन, ईंधन और दोनों के लिए भरपूर कपड़े लेकर पहुंच चुका है।

कभी रूस भेजेगा तो कभी अमेरिका

कभी रूस भेजेगा तो कभी अमेरिका, मगर यह आपूर्ति आगे भी जारी रहेगी। है ना दिलचस्प बात, पृथ्वी पर एक-दूसरे पर आंखें तरेरने वाली दो ताकतें अंतरिक्ष की अंतहीन होड़ शुरू करती हैं, मगर इसका भी पूरा ध्यान रखती हैं कि वहां पहुंचने वाले किसी भी नागरिकता के अंतरिक्षयात्री पर कोई आंच नहीं आए। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से नीली पृथ्वी और हर 90 मिनट पर एक सूर्योदय देखते हुए उन अंतरिक्ष ‘अतिथियों’ को भी यह विचार आता ही होगा कि ‘नीचे का नजारा सुंदर तो है, मगर यहां की तरह मिलजुल कर रहने लायक कब बनेगा!’

3 बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जा चुकी हैं सुनीता

3 बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जा चुकी हैं सुनीता विलियम्स और बैरी विलमोर। दोनों का ही वहां लंबे समय तक रुकने का यह कोई पहला अनुभव नहीं है। वर्ष 2006-2007 में सुनीता वहां 196 दिन तो दूसरी बार वर्ष 2012 में 127 दिन रुकी थीं। बैरी इससे पूर्व कुल 178 दिन की अवधि के लिए वहां ठहर चुके हैं। इस बार दोनों के लिए यह अवधि लगभग 250 दिन के ऊपर पहुंच सकती है।

अंतरिक्षयात्री की 16 घंटे की स्पेस ड्यूटी

16 घंटे की स्पेस ड्यूटी और आठ घंटे की नींद की दिनचर्या होती है किसी अंतरिक्षयात्री की। सुबह की शुरुआत छह बजे पृथ्वी पर कंट्रोल सेंटर से आई गुड मार्निंग काल से होती है। स्पेस ड्यूटी में ही दो घंटे का जिम टाइम भी शामिल है ताकि व्यायाम से उनका शरीर स्वस्थ रहे और अंतरिक्ष के लंबे प्रवास में शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव जैसे हड्डियों और मांसपेशियों की कमजोरी, अल्प गुरुत्वाकर्षण से मस्तिष्क और नेत्रज्योति की क्षीणता, ह्रदय रोग की आशंका आदि न्यूनतम रहें। अंतरिक्ष में भेजे जाने से पूर्व उन्हें न्यूनतम तीन माह तक पृथ्वी पर संबंधित अंतरिक्ष प्रशिक्षण केंद्र में इन विशेष व्यायामों का अभ्यास कराया जाता है।

90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी

25 साल हो गए हैं इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (देखें चित्र सबसे ऊपर) की स्थापना को। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करता है। अंतरिक्ष में इसका कुल आकार किसी फुटबाल के मैदान जितना बड़ा है। यह कई मॉड्यूल्स से जुड़कर बना है। इसके कंप्यूटरीकृत डॉकिंग पोर्ट पृथ्वी से आने वाले किसी अंतरिक्ष यान (अधिकतम आठ) को इससे जुड़ने की अनुमति देते हैं। यह पोर्ट ही अंतरिक्षयात्रियों के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का प्रवेशद्वार होता है।

अंतरिक्ष में रुकने का विश्व रिकॉर्ड

438 दिन का विश्व रिकॉर्ड है अंतरिक्ष में रुकने का रूसी अंतरिक्षयात्री वैलेरी पोल्याकोव के नाम। वे रूस द्वारा स्थापित अंतरिक्ष स्टेशन ‘मीर’ ( सक्रिय कालखंड 1986-2001) में जनवरी 1994 से लेकर मार्च 1995 तक मजे में बने रहे। पृथ्वी पर लौटने के बाद भी उनमें कोई बीमारी या विकृति नहीं पाई गई और उन्होंने 84 वर्ष तक जीवन का पूर्ण आनंद लिया। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की बात करें तो अमेरिकी अंतरिक्षयात्री फ्रेंक रूबियो ने सितंबर 2022 से सितंबर 2023 तक यहां लगातार 371 दिन बिताने का रिकॉर्ड बनाया है।