रियासी के बाद जम्मू संभाग के कठुआ और डोडा में आतंकी हमले गंभीर चिंता का कारण बनने चाहिए। ये हमले यही बता रहे हैं कि आतंकी बेलगाम होते जा रहे हैं और वे जम्मू क्षेत्र में वैसे ही हालात पैदा कर रहे हैं, जैसे एक समय उन्होंने दक्षिण कश्मीर में कर दिए थे। इस नतीजे पर पहुंचने के पर्याप्त कारण हैं कि आतंकियों ने कश्मीर के बजाय जम्मू के उन इलाकों को अपने निशाने पर ले लिया है, जो पाकिस्तान की सीमा से सटे हुए हैं।

यह सामान्य बात नहीं कि आतंकियों का दुस्साहस इतना अधिक बढ़ जाए कि वे 60 घंटे के अंदर तीन जगहों पर हमले करने में समर्थ रहें। उन्होंने न केवल निर्दोष-निहत्थे लोगों को निशाना बनाया, बल्कि सुरक्षाकर्मियों को भी। उनके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करनी होगी। ऐसी किसी कार्रवाई के ठोस नतीजे तब हासिल होंगे, जब पाकिस्तान को भी सबक सिखाया जाएगा, क्योंकि इसमें संदेह नहीं कि उसकी शह पर ही जम्मू में आतंकी गतिविधियां बढ़ रही हैं।

इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि दो आतंकियों को मार गिराया गया, क्योंकि यह साफ है कि जम्मू के विभिन्न इलाकों में पाकिस्तान से आए अनेक आतंकी छिपे हुए हैं। चिंता की बात केवल यह नहीं है कि जम्मू में आतंकियों की सक्रियता बढ़ रही है, बल्कि यह भी है कि देश-विदेश में भारत विरोधी तत्वों का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है। एक ओर जहां पंजाब में खालिस्तान समर्थक नए सिरे से सिर उठा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, इटली आदि में भी।

भारतीय प्रधानमंत्री की इटली यात्रा के पूर्व वहां खालिस्तान समर्थकों ने गांधीजी की प्रतिमा को जिस तरह खंडित किया, वह एक तरह से अलगाववादी तत्वों की ओर से भारत को दी जाने वाली सीधी चुनौती है। भारत सरकार को पंजाब एवं जम्मू-कश्मीर में और अधिक सतर्कता बरतने के साथ उन देशों से भी दो टूक बात करनी होगी, जहां खालिस्तान समर्थक बेलगाम हो रहे हैं।

भारत सरकार इसकी भी अनदेखी नहीं कर सकती कि लोकसभा चुनाव के पहले सार्वजनिक स्थलों पर बम रखे होने की झूठी सूचनाएं देकर दहशत फैलाने का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पहले स्कूलों में बम रखे जाने की झूठी सूचनाएं दी गईं, फिर अस्पतालों में। इसके बाद विमानों में और अब संग्रहालयों में। चिंताजनक यह है कि ऐसी झूठी सूचनाएं देकर सुरक्षा एजेंसियों का सिरदर्द बढ़ाने वाले तत्वों की पहचान नहीं हो रही है।

माना जाता है कि ऐसे तत्व दूसरे देशों में छिपे हुए हैं। सच जो भी हो, भारत सरकार को आंतरिक सुरक्षा पर गंभीरता से ध्यान देना होगा। इसलिए और भी अधिक, क्योंकि हाल के लोकसभा चुनावों में कश्मीर और पंजाब में कई ऐसे अलगाववादी तत्व चुनाव जीतने में समर्थ रहे हैं, जो आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं।