पाठ्यक्रम को हर दो-तीन साल में संशोधित करना और इंडस्ट्री की जरूरत के मुताबिक बनाना जरूरी
तकनीकी शिक्षा की शीर्ष संस्था अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) के पूर्व चेयरमैन और नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम के प्रमुख प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे का सुझाव है कि संस्थानों को अपने साथ इंडस्ट्री को जोड़ना चाहिए क्योंकि जब शिक्षण संस्थान से इंडस्ट्री को लाभ होगा तो उनकी तरफ से फंड का प्रवाह भी बढ़ेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में तकनीकी शिक्षा बेहतर करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं।
उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों को रोजगार के लायक बनाने के लिए हाल के वर्षों में कई कदम उठाए गए हैं, हालांकि इसके बावजूद उनकी एंप्लॉयबिलिटी को लेकर आज भी सवाल उठते हैं। खास कर तकनीकी शिक्षा में फंडिंग की कमी को बड़ी अड़चन माना जाता है। तकनीकी शिक्षा की शीर्ष संस्था अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) के पूर्व चेयरमैन (जुलाई 2015 से सितंबर 2022) और नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम के प्रमुख प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे का सुझाव है कि संस्थानों को अपने साथ इंडस्ट्री को जोड़ना चाहिए, क्योंकि जब शिक्षण संस्थान से इंडस्ट्री को लाभ होगा तो उनकी तरफ से फंड का प्रवाह भी बढ़ेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में तकनीकी शिक्षा बेहतर करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। इस नीति से पहले की चुनौतियों और एनईपी में उनका कितना समाधान दिखता है, इस पर प्रो. सहस्रबुद्धे से जागरण प्राइम के एस.के. सिंह ने बात की। प्रो. सहस्रबुद्धे अभी नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिटेशन (NBA) और नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) की एक्जीक्यूटिव कमेटी के भी चेयरमैन हैं। उनसे बातचीत के मुख्य अंशः-