ऐसे इन्फ्रा पर फोकस हो जिससे बाद में युवाओं के लिए रोजगार बढ़ें: विशेषज्ञ
हमारे देश का बहुत बड़ा वर्ग इस समय युवा है। वह गांव और शहर दोनों जगह है। हमारे युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना एक चैलेंज है लेकिन साथ ही उसको रोजगार उसके शहर में उपलब्ध कराना उससे भी बड़ा चैलेंज है। इसका एकमात्र उपाय है हमारे इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना। जागरण न्यू मीडिया की नॉलेज सीरीज ‘मेरा पावर वोट’ में विशेषज्ञों ने यह राय रखी।
नई दिल्ली। अठारहवीं लोकसभा के लिए दूसरे चरण का मतदान हो चुका है। जागरण न्यू मीडिया मतदाताओं को जागरूक करने के लिए ‘मेरा पावर वोट- नॉलेज सीरीज’ लेकर आया है। इसमें हमारे जीवन से जुड़े पांच बुनियादी विषयों इकोनॉमी, सेहत, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा पर चर्चा की जाएगी। आज के अंक में चर्चा देश में हो रहे बुुनियादी ढांचे के विकास और इससे जुड़ी चुनौतियों की।
अठारहवीं लोकसभा के लिए दूसरे चरण का मतदान हो चुका है। जागरण न्यू मीडिया मतदाताओं को जागरूक करने के लिए ‘मेरा पावर वोट- नॉलेज सीरीज’ लेकर आया है। इसमें हमारे जीवन से जुड़े पांच बुनियादी विषयों इकोनॉमी, सेहत, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा पर चर्चा की जाएगी। हमने हर सेगमेंट को चार हिस्से में बांटा है- महिला, युवा, शहरी मध्य वर्ग और किसान। इसका मकसद आपको एंपावर करना है ताकि आप मतदान करने में सही फैसला ले सकें।
आज के अंक में चर्चा इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और युवाओं की उम्मीदों की। हमने उद्योग संगठन फिक्की के महासचिव शैलेष पाठक और एनएचएआई के पूर्व सलाह कार वैभव डांगे से इसे लेकर बात की।
यूथ को रोजगार के बेहतर अवसर दिलाने के लिए किस तरह के अधोसंरचना विकास की जरूरत है? इस सवाल के जवाब में पाठक ने कहा कि तीन चार तरह के इन्फ्रास्ट्रक्चर आधारभूत ढांचा होते हैं। पहला यातायात, दूसरा बिजली या एनर्जी, तीसरा शहर और चौथे में टेलीकॉम, टूरिज्म, डिजिटल इन्फ्रा आदि आते हैं।
पाठक ने कहा कि यातायात में मुद्दा होता है कि पॉइंट ए से पॉइंट बी तक जल्दी और कम खर्च में पहुंचा जाए। चाहे वह व्यक्ति को पहुंचाना हो या माल की ढुलाई हो। हमारा जो यूथ है, उनको कुछ न कुछ आमदनी कमाने का जरिया चाहिए और जब तक व्यवसाय नहीं होगा, तब तक आमदनी कहां से आएगी। जो ट्रक कोयम्बटूर से चल के लुधियाना आता था, उसको सात से नौ दिन लगते थे। अब वो ढाई से तीन दिन में पहुंच रहा है। इससे सभी चीजों की गतिशीलता बढ़ रही है।
दूसरी बात शहरों के इन्फ्रास्ट्रक्चर की। हम देखें तो सबसे ज्यादा जो बिजेनस है, वो शहरों में ही होते हैं। आज के दिन हमारे देश की अगर 45% लेबर फोर्स कृषि क्षेत्र में है। जब तक ये 45% घटकर 15% नहीं होगी, तब तक भारत विकसित देश नहीं होगा। ये जो 30% कृषि से सेकंडरी और टर्शरी सेक्टर में जाएंगे, वो शहरों में ही होगा। 20 साल में शहरों की आबादी आज से दोगुना हो जाएगी। इस दौरान शहरों का इन्फ्रास्ट्रक्चर किस तरह तैयार करते हैं, इसी पर अगले 20 साल की हमारी विकास यात्रा निर्भर है। कुछ शहरों में अच्छा काम हो रहा है।
पाठक ने कहा, तीसरी बात ऊर्जा की। पहले लंबे-लंबे पावर कट होते थे। हम लोग इंवर्टर चलाते थे। आज कटौती कम हो रही है। हर छत पर सोलर प्लांट लग रहे हैं। आखिरी में मैंने कहा डिजिटल और टूरिज्म आदि, इन सब से युवा वर्ग की नौकरियों और लाइवलीहुड सुनिश्चित होगी।
वहीं, एनएचएआई के पूर्व सलाहकार वैभव डांगे ने कहा कि हमारे देश का बहुत बड़ा वर्ग इस समय युवा है। वह गांव और शहर दोनों जगह है। हमारे युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना एक चैलेंज है, लेकिन साथ ही उसको रोजगार उसके शहर में उपलब्ध कराना उससे भी बड़ा चैलेंज है। मुझे लगता है उसका उसका एकमात्र उपाय है हमारे इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना।
हमारे युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए जरूरी है कि ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित किया जाए, जिससे युवाओं के लिए अपार संभावनाएं विकसित हों। सरकार हर किसी को नौकरी नहीं दे सकती, लेकिन अगर उद्योग और व्यापार बढ़ता है तो हर आदमी लाभ उठा सकता है।
डांगे ने कहा कि आज देश के 20-22 शहरों में इन्फ्रास्ट्रक्चर बहुत तेजी से विकसित रहा है। फिर वो चाहे मेट्रो हो, आईटी पार्क हो, फूड पार्क हो या डिफेंस कॉरिडोर हो। इन सब चीजों के कारण छोटे शहरों में युवाओं के सपने साकार हो रहे हैं। दूसरा टूरिज्म ऐसी इंडस्ट्री है, जिसमें निवेश पर सबसे ज्यादा रोजगार मिलता है। हम सब लोग कहते हैं कि हमारे देश में इतनी चीजें देखने लायक है, लेकिन आधे से ज्यादा जगह पर हमको लगता है हम पहुंच नहीं पाते हैं।
हमारे देश से कई सफल स्टार्टअप निकले हैं, क्योंकि उन्हें डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध हुआ। युवाओं के लिए मौके बन रहे हैं और वो इसे भुनाने के लिए तैयार हो रहे हैं।
मुंबई स्थित डिजिटल सर्विस कंपनी इन्फीडिजिट के फाउंडर और एमडी कौशल ठक्कर कहते हैं, देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के प्रमुख ड्राइवर्स में से डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रमुख है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम 2015 में बहुत धूमधाम से शुरू किया गया था, जिसने देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करते हुए भारत की विकास कहानी की गति को बदल दिया। डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में इस परिवर्तन की नींव विकास के तीन स्तंभों पर आधारित है, यह हैं मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा, सुलभ सरकारी सेवाएं और बेहद सशक्त नागरिक।
ठक्कर ने कहा कि आज 90 करोड़ से अधिक ब्रॉडबैंड उपयोगकर्ता विभिन्न सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं, इंटरनेट की पहुंच लगभग 50% आबादी तक पहुंच रही है, जिससे नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा मिल रहा है। त्वरित विकास के साथ डिजिटल अर्थव्यवस्था का 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद में 3% से 4% के बीच योगदान होने की उम्मीद है।
ठक्कर ने कहा कि भारत का डिजिटल बुनियादी ढांचा तेजी से युवाओं के लिए परिदृश्य बदल रहा है। देश के किसी भी हिस्से में रहने वाले युवाओं के पास अब शैक्षिक संसाधनों और ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की पहुंच है। डिजिटल परिदृश्य उनकी उद्यमशीलता की भावना को भी बढ़ावा देता है, जिससे उन्हें अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने और तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स क्षेत्र में भाग लेने में मदद मिल रही है। साथ ही यूपीआई जैसे प्लेटफॉर्म कैशलेस लेनदेन को सरल बना रहे हैं। ऑनलाइन जॉब पोर्टल तक पहुंच उनकी रोजगार क्षमता को व्यापक बनाती है, जबकि रिमोट वर्किंग बढ़ने से आवश्यक डिजिटल कौशल वाले लोगों के लिए और भी अधिक कैरियर मार्ग खुलते हैं।
फिक्की महासचिव कहते हैं, इकोनॉमिक्स में कहते हैं कि इन्फ्रास्ट्रक्चर की positive externalities होती हैं और बहुत जबरदस्त मल्टीप्लायर होता है। आप एक रुपया इन्फ्रास्ट्रक्चर में लगाइएगा तो साढ़े तीन रुपये का फायदा मिलेगा। तो सोचिए हमारे यूथ को अगले बीस साल में कितने अच्छे मौके मिलने वाले हैं। वो तभी मिलेंगे जब हमारा इन्फ्रास्ट्रक्चर वर्ल्ड क्लास होगा।