विशेषज्ञों का मानना, भारत में चीन जैसे हालात नहीं बनेंगे, लेकिन मास्क और जांच के प्रोटोकॉल का पालन जरूरी
चीन समेत अन्य देशों में कोरोना के बढ़ते केस व मौत को देखते हुए भारत में भी फिर कोविड के खतरे को लेकर चिंता होने लगी है। एम्स- आईसीएमआर के एक्सपर्ट का कहना है कि भारत में चीन की तरह खतरा नहीं है लेकिन सावधानी जरूरी है।
नई दिल्ली, संदीप राजवाड़े। चीन के साथ ब्राजील, कोरिया, जापान और अमेरिका में ओमिक्रोन के नए वेरिएंट बीएफ.7 के संक्रमण से मरीजों के साथ मौत की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में भारत में भी कोविड के खतरे को लेकर सुगबुगाहट होने लगी है। इस बारे में जागरण प्राइम से बातचीत में विशेषज्ञों ने कहा कि नए वेरिएंट का असर जिस तरह अन्य देशों में दिख रहा है, भारत में वैसी स्थिति आने की आशंका कम ही है। इसके बावजूद इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यहां कोरोना की बड़ी लहर अब नहीं आएगी इसलिए घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन पहले की तरह लापरवाही बरतना भी ठीक नहीं होगा। किसी तरह का लक्षण आने पर टेस्टिंग कराने, मास्क पहनने, बूस्टर डोज लगाने और विदेश आने-जाने को लेकर प्रोटोकॉल का पालन करना उचित है।
आईसीएमआर के संचार व योजना विभाग के इंचार्ज डॉ. रजनीकांत ने बताया कि चीन तथा अन्य देशों में कोरोना के बढ़ते केस को लेकर प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बैठकें की हैं। सरकार की तरफ से प्रोटोकॉल पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
डॉ. रजनीकांत के अनुसार, भारत में अब पूरी तैयारी है। टेस्टिंग और 300 लैब सेटअप का पूरा फंक्शन तैयार है। सभी राज्यों में सुविधाएं मौजूद हैं। जहां तक ओमिक्रोन के नए वेरिएंट की बात है तो भारत में पिछले महीने इसके कुछ केस मिले थे, जिनके मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो गए। अभी तक भारत में बीएफ.7 वेरिएंट प्रभावी नहीं रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण अधिकतर आबादी का वैक्सीन लगाना और नेचुरल हर्ड इम्युनिटी है। दूसरे देशों में कोरोना की लहरें जल्दी-जल्दी आई थीं, लेकिन भारत में दोनों लहरें धीरे-धीरे पीक पर पहुंचीं। इससे समय मिला और सुविधाएं विकसित हो पाईं।
डॉ. रजनीकांत ने बताया, हमारे आकलन से लगता है कि चीन जैसी स्थिति भारत में कभी नहीं आएगी। यह अलर्ट जरूर किया जा रहा है कि इसे नजरअंदाज न करें और लक्षण होने पर टेस्ट कराएं और बूस्टर डोज जरूर लगवाएं। विदेश आने-जाने से बचें और लौटने पर टेस्ट कराएं।
बेमतलब टेस्ट व लापरवाही से बचना होगा- डॉ. अजय सिंह
भोपाल एम्स के डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार की तरफ से चीन के मामलों को लेकर कोई नई गाइडलाइन नहीं जारी की गई है। यह जरूर है कि कोरोना से बचने के लिए प्रोटोकॉल का पालन करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। लोगों को डरने की नहीं, बल्कि जागरूक होने की जरूरत है। पहली-दूसरी लहर में न लोगों को टीके लगे थे न उनमें नेचुरल इम्युनिटी विकसित हुई थी। अब स्थिति अलग है। यह जरूर है कि मास्क पहनें, टेस्टिंग कराएं। लेकिन बेमतलब टेस्टिंग न की जाए, कोई लक्षण होने पर ही कराएं। समय के साथ कोरोना के वेरिएंट बदलते रहते हैं और उनका प्रभाव भी अलग होता है। हमारे यहां जो बीएफ.7 वेरिएंट के मरीज मिले थे, वे जल्दी ठीक हो गए। उनसे किसी और को संक्रमण भी नहीं फैला।
कोविड प्रोटोकॉल न छोडे़, संक्रमण फैलने के साथ बदलता है रूप- डॉ. सीडीएस कटोच
जोधपुर एम्स के डायरेक्टर डॉ. (कर्नल) सीडीएस कटोच का कहना है कि सबसे पहले हर व्यक्ति को यह समझना होगा कि उन्हें नियमित रूप से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना है। देखने में आया है कि जैसे ही हमारे यहां केस कम हुए तो लोगों ने मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियम-कायदे भूल गए। कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट में देखने में आया है कि जैसे-जैसे इसका संक्रमण बढ़ता है, वैसे इसका रूप भी बदलते जाता है। शुरू में इसका व्यवहार व प्रभाव अलग होता है, लेकिन समय के साथ यह व्यापक रूप असर डालने लगता है।
डॉ. कटोच ने बताया कि भारत में अभी कोरोना का असर न पड़ने का प्रमुख कारण सिस्टेमैटिक रूप से वैक्सीनेशन प्रोग्राम रहा। यहां पहले 60 प्लस वालों के साथ फ्रंट लाइनर का टीकाकरण किया गया। चीन में वैक्सीनेशन के लिए किसी तरह का प्रोग्राम या आयु वर्ग नहीं बनाया गया। इससे भी वहां व्यवस्था बिगड़ी और इसका ही प्रभाव अब दिखाई दे रहा है। कोरोना के इस वेरिएंट से बचने के लिए अगर किसी को फीवर व इससे जुड़े लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो टेस्ट कराएं। पॉजिटिव आने पर जीनोम सिक्वेंसिंग कराएं। लोगों की सावधानी व सतर्कता ही इसके फैलाव को रोकेगी।
प्रोटेक्शन जरूरी है, अभी मिल रहे केस माइल्ड- डॉ. नितिन एम नागरकर
रायपुर एम्स के डायरेक्टर नितिन एम नागरकर ने बताया कि विदेशों में बढ़े रहे केस को देखते हुए केंद्र शासन पूरी तरह से एक्टिव है। आज ही शाम को देशभर के सभी एम्स, शासकीय मेडिकल इंस्टिट्यूट, मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर-डीन के साथ 350 से ज्यादा लोगों की ऑनलाइन मीटिंग हुई है। इसमें सामने आया कि देश में अभी जो बीएफ.7 वेरिएंट के जो मरीज आ रहे हैं, वह माइल्ड हैं, लेकिन इसे लेकर किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जा सकती है। संक्रमित मरीजों को प्रोटेक्ट करना होगा। लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। सभी मेडिकल इंस्टिट्यूट में कोविड सेटअप को लेकर पूरी तैयारी है।
वैक्सीन के साथ हर्ड इम्युनिटी बचा रही, टेस्टिंग बढ़ाएं- डॉ. रणदीप गुलेरिया
दिल्ली एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि चीन, ब्राजील, दक्षिण कोरिया, जापान समेत अन्य देशों में कोरोना के बढ़ते मामलों व उससे होने वाली मौत को लेकर भारत भी सतर्क है। लोगों को नए वेरिएंट से सावधान रहना होगा। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। यह जरूर है कि चीन से हमारी स्थिति बिल्कुल अलग है। वहां जीरो कोविड पॉलिसी से यह हालात बने हैं। पहले लोगों को महीनों घरों में बंद रखा गया। अब अचानक पूरी तरह से खोल देना उनके लिए घातक हो रहा है, जिन्हें अब तक संक्रमण नहीं हुआ था। अब वे ज्यादा परेशान हो रहे हैं।
डॉ. गुलेरिया का कहना है कि पैनिक होने की जरूरत नहीं है। लोगों के वायरल हो रहे मैसेज व अफवाहों पर ध्यान न दें। दूसरे देशों के हालात व कोरोना के प्रभाव पर केंद्र सरकार की नजर है। उसके अनुसार, हमारी तैयारी भी पहले से है। किसी तरह के लक्षण होने पर जरूर टेस्टिंग कराएं। हमें टेस्टिंग की संख्या बढ़ानी होगी।
नहीं आएगी बड़ी लहर, समय के साथ इम्युनिटी कुछ कम होगी- आईआईटी प्रोफेसर अग्रवाल
कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर व कोरोना संक्रमण को लेकर गणितीय आकलन करने वाले प्रो. मनिंद्र अग्रवाल ने कहा कि चीन में 3-4 महीने तक ऐसे हालात रहेंगे। उन्होंने चीन समेत अन्य देशों में बढ़ते कोरोना केस व मौत को लेकर 21 दिसंबर को आकलन किया है। इसमें पाया कि एकाएक सभी तरह की छूट व पाबंदी हटाने से यह नौबत आई है। अब ऐसे लोग जिन्हें न तो वैक्सीन लगी है, न ही पहले कोरोना होने से हर्ड इम्युनिटी डेवलप हुई है, वे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं। वहां नेचुरल इम्युनिटी की दर अक्टूबर के अंत तक 5 फीसदी से कम और नवंबर तक 20 फीसदी से कम थी। जब तक वहां 90 फीसदी आबादी संक्रमित नहीं हो जाती, तब तक यह आंकड़े आते रहेंगे। फिलहाल चीन सरकार के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है वहां बढ़ती मौत को रोकना।
उन्होंने बताया कि कोरिया, जापान व यूएस में भी केस बढ़े हैं, कुछ जगह मौत की संख्या भी बढ़ी है। दक्षिण कोरिया में 25 फीसदी, जापान में 40 फीसदी और यूएस में 20 फीसदी लोगों में अभी तक हर्ड इम्युनिटी विकसित नहीं हो पाई है। यह जरूर है कि वहां केस ज्यादा आ रहे हैं, लेकिन वहां जल्द ही 90 फीसदी से ऊपर की आबादी में नेचुरल इम्युनिटी आ जाएगी। प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि भारत में पिछली लहरों की तरह संक्रमण की आशंका न के बराबर है। लेकिन कोरोना फ्लू की तरह हमारे जीवन में चलता रहेगा।
नए वेरिएंट पर वैक्सीन का असर कम- कोलंबिया यूनिवर्सिटी
कोलंबिया यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के वैज्ञानिकों के अनुसार ओमिक्रोन के सब-वेरिएंट BQ.1, BQ.1.1, XBB और XBB.1 अब तक के सबसे 'इम्यून इवेसिव वेरिएंट' अर्थात प्रतिरोधी क्षमता को धोखा करने वाले वेरिएंट हैं। अमेरिका में 72% नए संक्रमण यही वेरिएंट फैला रहे हैं। इन पर नई ओमिक्रोन बूस्टर वैक्सीन का भी असर नहीं हो रहा है। जिन्हें पहले वैक्सीन लग चुकी है या जो पहले ओमिक्रोन से संक्रमित हो चुके हैं, उनमें इन सब-वेरिएंट का प्रतिरोध कम दिखाई दिया।
वैज्ञानिकों के अनुसार, "BQ और XBB सब-वेरिएंट कोविड-19 की मौजूदा वैक्सीन के लिए गंभीर खतरा हैं। बहुत सी एंटीबॉडीज का इन पर कोई असर नहीं होता और शायद इसलिए इनका संक्रमण तेजी से फैल रहा है।" हालांकि, वैक्सीन लगवाने वाले अगर संक्रमित होते हैं तो उनकी स्थिति ज्यादा खराब नहीं होगी। शायद अस्पताल में भर्ती होने की नौबत न आए। इनकी रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 के शुरुआती वेरिएंट पर ओमिक्रॉन बूस्टर वैक्सीन जितनी प्रभावी रहीं, उसकी तुलना में यह BQ.1 पर 24 गुना कम, BQ.1.1 पर 41 गुना कम, XBB पर 66 गुना कम और XBB.1 पर 85 गुना कम प्रभावी है।
ओमिक्रोन के सब-वेरिएंट मचा रहे हैं सबसे ज्यादा कहर
विभिन्न देशों में कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट का संक्रमण फैला हुआ है, लेकिन सबसे ज्यादा संक्रामक ओमिक्रोन वंश वाले वेरिएंट माने जा रहे हैं। BA.5 (BF.7 इसका सब वंशज है), BQ.1.1, BA.4.6, XBB, BA.2.75, CH.1.1 वेरिएंट कोहराम मचा रहे हैं। भारत में भी ये वेरिएंट मिले हैं। हालांकि, सितंबर से दिसंबर तक के जीनोम सीक्वेंसिंग के आंकड़े के मुताबिक, BA.5 जो जीनोम सीक्वेंसिंग में 26% सैंपल में आ रहा था अब बढ़कर 38% हो गया है। BA.5 का ही एक उप वंश BF.7 है। इसके चार मामलों की भारत में अब तक पुष्टि हुई है।
अल्फा (B.1.1.7 और Q वंशावली वाले वायरस)
बीटा (B.1.351 और इनके वंश के वायरस)
गामा (P.1 और इसके वंश के वायरस)
डेल्टा (B.1.617.2 और AY वंश के वायरस)
एप्सिलॉन (B.1.427 और B.1.429)
एटा (B.1.525)
आयोटा (B.1.526)
कप्पा (B.1.617.1)
म्यू (B.1.621, B.1.621.1)
जीटा (P.2)
ऑमिक्रोन(B.1.1.529, BA.1, BA.1.1, BA.2, BA.3, BA.4 और BA.5 इसके वंशज)