बजट में लॉन्ग टर्म गेन टैक्स, शॉर्ट टर्म गेन टैक्स और एफएंडओ सेगमेंट के लिए सिक्युरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स में जो बदलाव हुए हैं, वह निवेश के लिहाल से एक शार्ट टर्म में ही प्रभाव डालेंगे। लंबी अवधि के लिए बाजार के फंडामेंटल्स और मार्केट कंडीशन ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और यूरोप के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर मनप्रीत गिल ने जागरण प्राइम के सीनियर एडिटर स्कन्द विवेक धर से एक्सक्लूसिव बातचीत में यह बात कही। गिल ने भारतीय बाजार, इंटरनेशनल मार्केट और ब्याज दरों समेत कई महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी बात रखी। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश:

बजट में हुए कैपिटल गेन टैक्स में इजाफे के बाद क्या निवेशकों को अपनी रणनीति में कोई बदलाव करने की जरूरत है?

निवेश के फैसले बजट में होने वाले बदलावों के बजाय एसेट क्लास के दृष्टिकोण पर आधारित होने चाहिए। बजट नीतियां बाजार को प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन इसका असर ज्यादा समय तक नहीं रहता। लंबी अवधि के निवेश के लिए एसेट के फंडामेंटल्स और बाजार की स्थितियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

आप "Sailing with the wind" रणनीति अपनाने की बात करते हैं। इसका क्या मतलब है? क्या यह थीमैटिक फंड में निवेश करने जैसा है?

"Sailing with the wind" एक मेटाफर है, जिसका मतलब है बाजार की प्रचलित प्रवृत्ति के अनुसार निवेश रणनीतियों को समायोजित करना। जिस तरह नाविक हवा की दिशा के आधार पर अपना रास्ता बदलते हैं, उसी तरह निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को प्रमुख बाजार प्रवृत्तियों के साथ समायोजित करते रहना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि इक्विटी में तेजी का दौर है तो इक्विटी में ज्यादा निवेश समझदारी है। लेकिन इसमें बदलाव आते ही अपनी निवेश रणनीति को भी उस बदलाव के अनुरूप समायोजित करना ही "Sailing with the wind" है।

लार्ज-कैप स्टॉक को मिड-कैप या स्मॉल-कैप स्टॉक पर तवज्जो क्यों दे रहे हैं?

हम मौजूदा माहौल में लार्ज-कैप स्टॉक को उनकी स्थिरता और मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक की तुलना में कम जोखिम के कारण पसंद करते हैं। जबकि मिड-कैप और स्मॉल-कैप उच्च रिटर्न दे सकते हैं, वे उच्च जोखिम के साथ भी आते हैं, खासकर ऐसे बाजार में जहां वैल्यूएशन पहले से ही उच्च हैं। लार्ज-कैप स्टॉक मौजूदा बाजार स्थितियों में जोखिम और रिटर्न का बेहतर संतुलन प्रदान करते हैं।

आज के समय में सरकारी बॉन्ड और एएए रेटेड कॉरपोरेट बॉन्ड की यील्ड में बहुत कम अंतर रह गया है। आप किस बॉन्ड को ज्यादा पसंद करते हैं?

हम सरकारी बॉन्ड की तुलना में कॉर्पोरेट बॉन्ड को तरजीह देते हैं। इसकी वजह ये है कि कॉरपोरेट बॉन्ड पर यील्ड अधिकहै। यील्ड में एक छोटा सा अंतर भी समय के साथ महत्वपूर्ण हो सकता है, खासकर उन निवेशकों के लिए जो निश्चित आय रिटर्न पर भरोसा करते हैं।

आज के समय में एक निवेशक को अपने पोर्टफोलियो में कितनी नकदी रखनी चाहिए?

आमतौर पर, हम पोर्टफोलियो का लगभग 5% या उससे कम नकदी में रखने की सलाह देते हैं। यह आवंटन निवेश के उद्देश्यों के लिए है, न कि दैनिक खर्चों के लिए। नकदी बाजार के अवसरों का लाभ उठाने के लिए लचीलापन प्रदान करती है, लेकिन यह आमतौर पर अन्य परिसंपत्ति वर्गों की तुलना में कम रिटर्न देती है।

क्या आपको अगले कुछ महीनों में RBI द्वारा दरों में कोई कटौती की उम्मीद है?

हमें RBI द्वारा दरों में कटौती के संकेत नहीं मिले हैं। RBI की कार्रवाई अक्सर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नेतृत्व का अनुसरण करती है, इसलिए हम RBI दरों में महत्वपूर्ण बदलावों की उम्मीद करने से पहले फेड से संकेत की प्रतीक्षा करेंगे।

चीन में निवेश करने के बारे में आपका क्या नजरिया है?

चीन में निवेश करने से अवसर और जोखिम दोनों मिलते हैं। रियल एस्टेट क्षेत्र को उच्च ऋण स्तरों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसका व्यापक बाजार पर असर पड़ा है। हालांकि, प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। भारतीय निवेशकों के लिए, चीन जैसे विशिष्ट बाजारों पर ध्यान केंद्रित करने से पहले व्यापक वैश्विक इक्विटी से शुरुआत करना एक विवेकपूर्ण दृष्टिकोण हो सकता है।