WHO ने मंकीपॉक्स को हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है, यहां जानिए हमें किन बातों का रखना होगा ध्यान
दुनिया भर में बढ़ते मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वायरस को लेकर ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित की है। ये बीमारी भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान तक पहुंच चुकी है। खतरे की संभावना को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को इसे लेकर समीक्षा बैठक की। आइये जानते हैं इस बीमारी से जुड़े अहम सवालों के जवाब।
नई दिल्ली, विवेक तिवारी। दुनिया भर में बढ़ते मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वायरस को लेकर ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित की है। कांगो से शुरू हुई ये बीमारी कई अफ्रीकी देशों से होते हुए यूरोप के देश स्वीडन और भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान तक पहुंच चुकी है। खतरे की संभावना को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को इसे लेकर समीक्षा बैठक की। भारत के लिए ये बीमारी कितनी बड़ी चिंता है, इसका क्या इलाज है और हमें बचाव के लिए क्या कदम उठाने चाहिए, इन अहम बातों पर हमने देश के कुछ बड़े स्वास्थ्य विशेषज्ञों ऑर्गनाइजड मेडिसिन अकेडेमिक गिल्ड के सेक्रेटरी जनरल डॉक्टर इश्वर गिलाडा, दिल्ली मेडिकल काउंसिल की साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर नरेंद्र सैनी और मंकीपॉक्स पर पेपर प्रकाशित कर चुके केजीएमसी के डॉक्टर विभोर अग्रवाल से बात की। आइये जानते हैं इस बीमारी से जुड़े अहम सवालों के जवाब।
मंकीपॉक्स क्या कोविड की तरह संक्रामक और जानलेवा बीमारी है ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक एमपॉक्स या मंकीपॉक्स भी कोविड की तरह ही वायरस से फैलने वाली बीमारी है। ये बीमारी भी संक्रामक है। इससे दर्दनाक दाने, बढ़े हुए लिम्फ नोड्स और बुखार हो सकता है। हालांकि ये बीमारी कोविड की तरह संक्रामक और जानलेवा नहीं है।
मंकीपॉक्स वायरस कहां से आया ?
मंकीपॉक्स वायरस की खोज 1958 में हुई थी। शोध के लिए रखे गए बंदरों की कॉलोनियों में चेचक जैसी बीमारी के प्रकोप के रूप में इस बीमारी के वायरस की पहचान हुई थी। मूल रूप से "मंकीपॉक्स" नाम दिए जाने के बावजूद, इस बीमारी का स्रोत अज्ञात है। एमपॉक्स का पहला संक्रमित इंसान 1970 में रिपोर्ट किया गया। ये मामला कांगो में पाया गया। 2022 में, एमपॉक्स दुनिया भर में फैला था।
क्या मंकीपॉक्स बेहद जानलेवा है ?
मंकीपॉक्स के दो स्ट्रेन हैं। क्लेड I स्ट्रेन अधिक गंभीर बीमारी और मौत का कारण बनता है। इस स्ट्रेन के संक्रमण के मामलों में मृत्युदर 10 फीसदी तक देखी गई है। वहीं दूसरा स्ट्रेन क्लेड II है। ये ज्यादा संक्रामक है। इसके संक्रमण से ज्यादा लोग बीमार होते हैं पर इसके संक्रमण वाले 99.9% से ज़्यादा लोगों की मृत्यु नहीं होती है।
मंकीपॉक्स क्या जानवरों से फैलती है ?
एमपॉक्स एक जूनोटिक बीमारी है , इसका मतलब है कि यह बीमारी जानवरों से आई है। ये जानवरों और लोगों के बीच फैल सकती है। लेकिन ये वायरस अब संक्रमित इंसानों से इंसानों में फैल रहा है।
इस बीमारी का ज्यादा खतरा किन लोगों के लिए है ?
ऐसे लोग जो पहले से किसी बीमारी से ग्रसित हों, एक वर्ष से कम बच्चे, ऐसे लोग जिन्हें पहले एक्जिमा हुआ हो गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग इन लोगों के लिए ये बीमारी खतरनाक साबित हो सकती है।
मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं ?
संक्रमित व्यक्ति को हल्का बुखार महसूस होगा। इसमें फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, शरीर पर दर्दनाक दाने, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, कमजोरी महसूस होना और बढ़े हुए लिम्फ नोड्स और शरीर पर मवाद से भरे घाव हो सकते हैं। ये लक्षण 2 से 4 सप्ताह तक रह सकते हैं।
क्या मंकीपॉक्स सिर्फ किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है?
डब्लूएचओ के मुताबिक ये वायरस मुख्य रूप से किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। एमपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की त्वचा या अन्य घावों से ये बीमारी फैल सकती है। ये बीमारी आमने-सामने बात करना या सांस लेना से, त्वचा से त्वचा के संपर्क से, लंबे समय तक निकट संपर्क से श्वसन बूंदें या कम दूरी के एरोसोल आदि से फैल सकता है। कई यौन साथी वाले लोगों को इसका जोखिम अधिक होता है। लोग कपड़ों या चादरों जैसी दूषित वस्तुओं से, स्वास्थ्य देखभाल में नुकीली वस्तुओं से लगी चोटों से, या टैटू पार्लर जैसी सामुदायिक जगहों से एमपॉक्स से संक्रमित हो सकते हैं।
क्या एमपॉक्स या मंकीपॉक्स का कोई टेस्ट है ?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सामने इस समय सबसे बड़ी मुश्किल मंकीपॉक्स की जांच करने की है। डॉक्टर नरेंद्र सैनी कहते हैं कि सबसे बड़ी मुश्किल एमपॉक्स की पहचान करने की है। क्योंकि इसका संक्रमण कई अन्य वायरस के संक्रमरणों की तरह ही दिखता हैं। सामान्य तौर पर चिकनपॉक्स, बैक्टीरियल इंफेक्शन, खुजली, यौन संक्रमणों आदि में भी शरीर पर दानें हो जाते हैं। संदिग्ध एमपॉक्स वाले बच्चे को भी चिकनपॉक्स हो सकता है। इन कारणों से, लोगों के लिए जल्द से जल्द उपचार प्राप्त करने और आगे के प्रसार को रोकने के लिए मरीज में जल्द से जल्द मंकीपॉक्स की पहचान कर पाना महत्वपूर्ण है। सामान्य तौर पर विशेषज्ञ पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) द्वारा वायरल डीएनए का पता लगाकर एमपॉक्स की पहचान करते हैं। इसमें थोड़ा समय लगता है।
क्या एमपॉक्स का कोई इलाज है ?
फिलहाल एमपॉक्स की कोई दवा नहीं है। टेकोविरिमैट जैसे कई एंटीवायरल, जिन्हें मूल रूप से चेचक के इलाज के लिए विकसित किया गया था, का इस्तेमाल एमपॉक्स के इलाज के लिए किया गया है और आगे के अध्ययन चल रहे हैं।
मंकीपॉक्स की कोई वैक्सीन है क्या ?
डॉक्टर इश्वर गिलाडा कहते हैं कि आपके लिए अच्छी बात ये है कि अगर आपको चेचक की वैक्सीन पहले से लगी है तो इस बीमारी का संक्रमण आपको कम होगा। चेचक की वैक्सीन इस बीमारी को फैलने से रोकती है। वहीं डब्लूएचओ ने इस बीमारी की रोकथाम के लिए दो वैक्सीन को मान्यता दी है इनमें एक है जिनेओस है और दूसरी बवेरियन नॉर्डिक है। ये वैक्सीन मंकीपॉक्स की रोकथाम में कारगर साबित हो रहीं हैं। वहीं डॉक्टर गिलाडा का कहना है कि ये बीमारी यौन संबंधों से अधिक फैलती है। ऐसे में ये बीमारी महामारी का रूप लेगी ऐसी संभावना कम ही है।
यदि किसी को मंकीपॉक्स का संक्रमण हो जाए तो क्या करे ?
यदि संभव हो तो घर पर ही रहें।
हाथों को अक्सर साबुन और पानी या हैंड सैनिटाइज़र से धोएं।
जब तक आपका दाने ठीक न हो जाए, तब तक मास्क पहनें,अन्य लोगों के आसपास रहते समय घाव को ढकें।
त्वचा को सूखा और खुला रखें ।
साझा स्थानों में वस्तुओं को छूने से बचें और साझा स्थानों को बार-बार सेनेटाइज करें ।
मुंह में छालों के लिए नमक के पानी का उपयोग करें ।
शरीर के घावों के लिए बेकिंग सोडा या एप्सम साल्ट के साथ सिट्ज़ बाथ या गर्म स्नान लें।
दर्द के लिए पैरासिटामोल (एसिटामिनोफेन) या इबुप्रोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाएं लें।
ये बीमारी भारत में न फैले इसके लिए किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है। ?
सबसे पहले तो इस वायरस के संक्रमण का एक भी मामला अभी भारत में नहीं पाया गया है। ऐसे में इसके संक्रमण के फैलने की संभावना बेहद कम है। वहीं हमें विदेश से आने वाले किसी भी व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति विदेश दौरा करके आता है तो उसे एयरपोर्ट पर अपनी जांच करानी चाहिए। विदेश से आए किसी व्यक्ति में बुखार, जुखाम या किसी बीमारी के लक्षण दिखते हैं तो उसे तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों को इसकी जानकारी देनी चाहिए और खुद को बाकी लोगों से अलग करलेना चाहिए।
हमें एमपॉक्स की जांच कब करानी चाहिए ?
आप अपने आप से कोई जांच न करवाएं। अगर आपको लगता है कि आपको एमपॉक्स है या आप किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आए हैं जिसे एमपॉक्स है, तो किसी डॉक्टर से मिलें ताकि वे यह तय कर सकें कि आपको एमपॉक्स के लिए जांच करवाने की ज़रूरत है या नहीं। अगर आपको बुखार के साथ शरीर पर दानें या रैशेज दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर जरूरत के मुताबिक आपको जांच कराने के लिए कहेगा।
एमपॉक्स के संक्रमण के लक्षण कितने दिन में दिखने लगते हैं ?
नए डेटा से पता चलता है कि एमपॉक्स के संक्रमण के लक्षण तुरंत दिखाई नहीं देते हैं। कुछ लोग अपने लक्षण दिखने से एक से चार दिन पहले ही एमपॉक्स को दूसरों में फैला सकते हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि 2022 में शुरू हुए वैश्विक प्रकोप के दौरान इसने कितने लोगों को प्रभावित किया है।
मंकीपॉक्स को फैलने से रोकने के लिए हम क्या कर सकते हैं ?
सबसे पहले तो अगर कोई व्यक्ति विदेश से आया है तो उसके संपर्क में आने से बचें।
ऐसे लोगों के साथ निकट संपर्क से बचें जिनके शरीर पर एमपॉक्स जैसा दाने हों।
ऐसे कपड़े, चादरें, कंबल या अन्य सामग्री को छूने से बचें जो किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हों।
किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने के बाद अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएँ।
अगर साबुन और पानी उपलब्ध न हो, तो अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करें।
ऐसे जानवरों से बचें जो वायरस फैला सकते हैं।