खेती को मुनाफे का सौदा बनाने मंथन करेंगे शीर्ष विशेषज्ञ, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान होंगे मुख्य अतिथि
जागरण समूह देश की पहली कृषि पंचायत आयोजित कर रहा है। दिन भर चलने वाला यह कार्यक्रम अलग-अलग सत्रों में विभाजित होगा। ये सत्र सस्टेनेबल कृषि के लिए नीतिगत पहल डेयरी और पशुपालन से किसानों की आय में वृद्धि इनपुट के बेहतर इस्तेमाल से प्रोडक्टिविटी बढ़ाने किसानों की आय वृद्धि में नए मार्केटिंग चैनलों का उपयोग और कृषि में जलवायु परिवर्तन की चुनौती जैसे विषयों पर होंगे।
प्राइम टीम, नई दिल्ली। जागरण समूह मंगलवार, 27 अगस्त 2024 को ‘जागरण एग्री पंचायत’ का आयोजन करने जा रहा है। इसमें देश के बड़े नीति निर्माता, एग्री-बिजनेस लीडर और एग्री-स्टार्टअप समेत तमाम पक्ष कृषि क्षेत्र की चुनौतियों पर चर्चा करेंगे और उनका समाधान तलाशने का प्रयास करेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे।
जब देश विकसित बनने का सपना देख रहा है, तो विकास की धारा में किसानों को शामिल करना जरूरी हो जाता है। देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है और करीब आधी वर्कफोर्स की आजीविका कृषि ही है। वर्ल्ड बैंक का आकलन है कि गरीबी दूर करने और साझी संपन्नता के लिए कृषि सबसे शक्तिशाली जरिया है। गरीबों की आमदनी बढ़ाने में अन्य सेक्टर की तुलना में कृषि क्षेत्र दो से चार गुना अधिक सक्षम होता है।
कृषि क्षेत्र के इस महत्व को स्वीकार करते हुए जागरण समूह देश की पहली कृषि पंचायत आयोजित कर रहा है। दिन भर चलने वाला यह कार्यक्रम अलग-अलग सत्रों में विभाजित होगा। ये सत्र सस्टेनेबल कृषि के लिए नीतिगत पहल, डेयरी और पशुपालन से किसानों की आय में वृद्धि, इनपुट के बेहतर इस्तेमाल से प्रोडक्टिविटी बढ़ाने, किसानों की आय वृद्धि में नए मार्केटिंग चैनलों का उपयोग और कृषि में जलवायु परिवर्तन की चुनौती जैसे विषयों पर होंगे।
कृषि क्षेत्र के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर अनेक योजनाएं चल रही हैं। इसके बावजूद किसानों की समस्याएं बरकरार हैं। फसल आने पर उचित कीमत न मिलना आम शिकायत है जबकि किसानों के लिए इनपुट की कीमतें हर साल बढ़ रही हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण बेमौसम बारिश, अत्यधिक बारिश और अत्यधिक गर्मी की परेशानी भी साल-दर-साल बढ़ रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों की लागत कम करना और उत्पादकता बढ़ाना बेहद जरूरी है। भविष्य में दुनिया की खाद्य सुरक्षा इसी पर निर्भर करेगी। ‘एग्री पंचायत’ में यह जानने की कोशिश होगी कि यह कैसे संभव है, प्रिसीजन खेती को कैसे अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाया जाए और ज्यादा पैदावार वाले और रोग-रोधी बीजों की उपलब्धता कैसे बढ़ाई जाए।