नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। आप अकसर अपने बालों की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए बालों को स्ट्रेट कराती है तो कई बार कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल करती है। कुछ समय पहले एक शोध में सामने आया है कि बालों को स्ट्रेट कराने से गर्भाश्य कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि रिसर्च में बालों से जुड़े अन्य उत्पादों जैसे हेयर डाई, ब्लीच, हाइलाइट्स या पर्म और गर्भाशय के कैंसर के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया था।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा किए गए शोध के अनुसार कई केमिकल जो स्ट्रेटनर में पाए जाते हैं जैसे कि पैराबीन, बीपीए (बिस्फेनोल-ए), मेटल्स, फार्मल्डिहाइड गर्भाशय कैंसर के बढ़ते जोखिम के कारक हो सकते हैं।

एनआईईएचएस एनवायरनमेंट एंड कैंसर एपिडेमियोलॉजी ग्रुप और इस स्टडी के प्रमुख, पीएचडी, एलेक्जेंड्रा व्हाइट बताते हैं, कि हमने अनुमान लगाया कि महिलाएं जिन्होंने कभी हेयर स्ट्रेटनर का इस्तेमाल नहीं किया उनमें 70 की उम्र तक गर्भाशय होने का खतरा 1.64% है, वहीं हेयर स्ट्रेटनर प्रोडक्ट इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में यह जोखिम 4.05% तक बढ़ जाता है। ध्यान रहें कि यह अध्ययन सिर्फ अमेरिका की महिलाओं पर किया गया है।

शोध में बताया गया ये कारण

शोध के मुताबिक बालों के उत्पादों में उपयोग होने वाले केमिकल, विशेष रूप से स्ट्रेटनर, अन्य व्यक्तिगत देखभाल संबंधी उत्पादों की तुलना में स्वास्थ्य के लिए कहीं ज्यादा खतरा पैदा कर सकते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार ऐसा इसलिए है क्योंकि सिर की त्वचा और बाल के माध्यम से अवशोषण में वृद्धि होती है, जोकि जो स्ट्रेटनर के कारण होने वाले घावों और जलन में वृद्धि कर सकती है।

अगले तीन साल में देश में 15.7 लाख होंगे कैंसर के मरीज

आईसीएमएआर के आंकड़े बताते हैं कि अगले तीन सालों यानी 2025 तक भारत में कैंसर पीड़ितों की संख्या 15.7 लाख से ऊपर पहुंच जाएगी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक 7.6 लाख पुरुषों के कैंसरग्रस्त होने का अनुमान है। वहीं महिलाओं की सख्या 8 लाख केस होने का अनुमान है। डेटा की मानें तो देशभर में सबसे ज्यादा मामले तंबाकू के चलते कैंसर होने के हैं। इनकी संख्या करीब 27 फीसदी होगी। उसके बाद गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट कैंसर के 19.7 फीसदी मामले सामने आए हैं।

भारत में कैंसर से मरने वालों की दर विकसित देशों से दोगुनी

जर्नल ऑफ ग्लोबल ऑन्कोलॉजी 2017 के मुताबिक, भारत में कैंसर से मरने वालों की दर विकसित देशों से लगभग दोगुनी है। भारत में हर 10 कैंसर मरीजों में से 7 की मौत हो जाती है, जबकि विकसित देशों में यह संख्या 3 या 4 है। भारत में 2000 कैंसर मरीजों पर महज एक डॉक्टर है। अमेरिका में 100 पर एक। यानी भारत से 20 गुना बेहतर।

ये कहते हैं एक्सपर्ट

 शारदा अस्पताल के ओंकोलॉजी विभाग के निदेशक डा. अनिल ठेकवानी कहते हैं कि  बालों को स्ट्रेट कराने में जिन केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है उनमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो कार्सिनोजन्स के रूप में काम करते हैं जो नुकसान दायक होते हैं और कैंसर का कारक भी बनते हैं। बालों को स्ट्रेट कराने से कैंसर के खतरे को लेकर बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन डॉ. समीर कहते हैं कि केमिकल युक्त हेयर स्ट्रेटनिंग क्रीम और दूसरे उत्पादों का इस्तेमाल करने से इनमें मौजूद हानिकारक केमिकल बालों में रह जाते हैं। ये हानिकारक केमिकल खोपड़ी के माध्यम से आपके खून में शामिल हो सकते हैं।  इसकी वजह से बहुत ज्यादा हेयर स्ट्रेट कराने वाले लोगों में कैंसर का खतरा रहता है।

पिछले एक अध्ययन में सामने आई थी ये बात

नेशनल इंस्टीट्यूट द्वारा दो साल पहले किए गए एक अध्ययन में बात सामने आई थी कि बालों में परमानेंट हेयर डाई कराने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा हो सकता है। यह अध्ययन अमेरिका में 2003 से 2009 के दौरान किया गया था।

ये कहते हैं आंकड़े

विश्व स्वास्थ्य संगठन और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ पर मौजूद आंकड़ों को मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल लगभग 5 लाख महिलाएं गर्भाशय कैंसर से पीड़ित हैं। इनमें से भारत में 30 से 39 साल की उम्र की महिलाऐं लगभग 36 फीसदी हैं। स्टडी में यह कहा गया है कि ऐसी महिलाऐं जो साल में 4 से ज्यादा बार केमिकल युक्त हेयर स्ट्रेटनर का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें गर्भाशय कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है।

समाधान

शारदा अस्पताल के ओंकोलॉजी विभाग के निदेशक डा. अनिल ठेकवानी एक्सपर्ट सुझाव देते हैं कि एंडोमैट्रियल कैंसर से बचाव के लिए वजन को कम रखना आवश्यक है। अधिक वजन भी कैंसर का कारण बन सकता है। आपकी शारीरिक गतिविधियां भी आपको कैंसर के जोखिम से दूर रख सकती है। वहीं कुछ एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि बालों को स्ट्रेट करते समय यह ध्यान रखें कि जिन प्रोडक्ट्स का आप इस्तेमाल कर रहे हैं उनमें केमिकल का इस्तेमाल न हो। बालों को नेचुरल तरीके से स्ट्रेट करना सबसे ज्यादा सुरक्षित होता है। साल में 1 या 2 से ज्यादा बार हेयर स्ट्रेट कराने से बचना चाहिए। अगर हेयर स्ट्रेट कराने के बाद अगर आपको कोई परेशानी होती है तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

गर्भाशय कैंसर

महिलाओं को गर्भाशय कैंसर होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। बता दें कि महिलाओं के शरीर में असंतुलित हार्मोन्स के कारण गर्भाशय कैंसर का खतरा होता है। ये अक्सर बढ़ती उम्र के साथ होता है लेकिन देखा गया है कि अब कम उम्र की महिलाएं भी इसका शिकार होती जा रही है। गर्भाशय की अंदरुनी परत एंडोमेट्रियम की कोशिकाएं बढ़ने से कैंसर का खतरा पैदा होने लगता है। इसके होने से मां बनने की संभावना पर असर पड़ता है।