रहस्यमयी निमोनिया से सबसे ज्यादा खतरा 10 साल तक के बच्चों को, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
चीन में फैला रहस्यमयी निमोनिया अब कई देशों तक पहुंच चुका है। अमेरिका और यूरोप के कई देशों में भी इसके लक्षण वाले मरीज सामने आए हैं। पिछले कई दिनों में भारत सहित एशिया के भी कुछ देशों में निमोनिया के मामले बढ़े हैं। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि भारत में मिले मामले सामान्य निमोनिया के बैक्टीरिया के मामले हैं।
नई दिल्ली, जागरण प्राइम । चीन में फैला रहस्यमयी निमोनिया अब कई देशों तक पहुंच चुका है। अमेरिका और यूरोप के कई देशों में भी इसके लक्षण वाले मरीज सामने आए हैं। पिछले कई दिनों में भारत सहित एशिया के भी कुछ देशों में निमोनिया के मामले बढ़े हैं। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि भारत में मिले मामले सामान्य निमोनिया के बैक्टीरिया के मामले हैं। इनका चीन से कोई संबंध नहीं है। रहस्यमयी निमोनिया कितना खतरनाक है, आपको इससे कितना सतर्क रहने की जरूरत है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है, इन मुद्दों पर हमने एम्स के पूर्व प्रोफेसर सुदीप मिश्रा, दिल्ली मेडिकल काउंसिल की साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर नरेंद्र सैनी, आईएमए के अध्यक्ष डॉक्टर शरद अग्रवाल और ऑर्गनाइज्ड मेडिसिन अकेडेमिक गिल्ड के सेक्रेटरी जनरल डॉ ईश्वर गिलाडा से बात की। पेश हैं आपके कुछ सवालों के जवाब :-
ये निमोनिया क्या जानलेवा है?
दुनिया में अब तक मिले मामलों में देखा गया कि निमोनिया जानलेवा नहीं है। अगर कोई व्यक्ति दूसरी बीमारियों से पीड़ित है तो उसकी मुश्किल बढ़ सकती है। खास तौर पर सांस की बीमारी वालों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
"व्हाइट लंग सिंड्रोम" या वाइट लंग निमोनिया क्या है?
दरअसल इस रहस्यमयी निमोनिया में फेफड़ों का एक्सरे करने पर फेफड़े सफेद दिखाई देते हैं। इसलिए इस बीमारी को वाइट लंग निमोनिया भी कहा जा रहा है।
चीन में फैला निमोनिया क्या कोई नई बीमारी है?
नहीं। चीनी अधिकारियों ने सांस संबंधी बीमारियों के मामले बढ़ने के लिए इन्फ्लूएंजा, माइकोप्लाज्मा निमोनिया, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी), और इन्फ्लूएंजा वायरस को जिम्मेदार माना है। अब तक किसी नई बीमारी की पहचान नहीं हुई है, हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन से बीमारी के और आंकड़े मांगे हैं।
इस निमोनिया के इतनी तेजी से बढ़ने के क्या कारण है?
विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य तरह के उपाय किए जाने के चलते बहुत से ऐसे वायरस और बैक्टीरिया, जिनसे सामान्य तौर पर लोग इम्यून हो जाते है, वह नहीं हो पाया।
इस बीमारी के मुख्य लक्षण क्या हैं?
इस बीमारी में मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। सीने में लगातार दर्द बना रहता है। हर समय थकान महसूस होती है। सीने में बलगम और खांसी होती है, खांसी में पीला या खूनी बलगम आ सकता है। हल्का बुखार बना रहता है। ठंड महसूस होती है। बुजुर्गों में याददाश्त कम होने के लक्षण भी देखे जा सकते हैं।
इस बीमारी से क्या बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं?
विशेषज्ञों के मुताबिक 3 से 10 साल के बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों की तुलना में काफी कम होती है। ऐसे में ये किसी भी बैक्टीरिया या वायरस का जल्दी शिकार हो जाते हैं। इसी के चलते इस उम्र के बच्चों में इस रहस्यमयी निमोनिया का असर ज्यादा देखा जा रहा है। हालांकि बुजुर्गों को भी इस बीमारी से सावधान रहने की जरूरत है। उनकी भी इम्यूनिटी युवाओं की तुलना कम होती है।
ये निमोनिया किस वायरस से हो रहा है?
विशेषज्ञों के मुताबिक फिलहाल निमोनिया होने के पीछे किसी खास बैक्टीरिया या वायरस होने की जानकारी अब तक नहीं मिली है। सर्दियां शुरू होने पर निमोनिया के मामले बढ़ना सामान्य है। ये निमोनिया इनफ्लुएंजा वायरस, माइक्रोप्लामा निमोनिया, एडीनो वायरस या आरएसपी वायरस में से किसी से भी हो सकता है।
क्या इस निमोनिया के लिए कोई वैक्सीन बनानी होगी?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक निमोनिया के इलाज के लिए ज्यादातर एंटीबायोटिक या एंटी वायरल दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इसके इलाज के लिए पर्याप्त दवाएं मौजूद हैं। ऐसे में अभी नहीं लगता है कि इससे बचने के लिए किसी खास वैक्सीन की जरूरत होगी।
क्या डब्लूएचओ ने कोई गाइडलाइन जारी की है?
जी हां, WHO ने चीन में फैल रहे रहे निमोनिया को लेकर गाइडलाइन जारी की है। इसमें लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। वहीं आम लोगों को साफ सफाई रखने और लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने के लिए कहा गया है। सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने के लिए भी कहा गया है।
रहस्यमयी निमोनिया क्या सिर्फ चीन में है?
नहीं। रहस्यमयी निमोनिया के मामले चीन के अलावा अमेरिका और यूरोप सहित कई देशों तक फैल चुके हैं। इनमें सिंगापुर, वियतनाम, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, डेनमार्क स्विटजरलैंड, और नीदरलैंड भी शामिल हैं। अमेरिका की ओहायो काउंटी में भी इस निमोनिया के कई मामले सामने आ चुके हैं।
इस बीमारी से बचाव के लिए क्या करें?
इस बीमारी से बचाव के लिए आपको कोविड के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों को फिर से अपनाना होगा। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना होगा। अगर आपके आसपास कोई व्यक्ति निमोनिया की बीमारी से ग्रसित है तो उससे दूरी बनाए रखें। हाथों को नियमित तौर पर धोएं और मास्क लगाएं। अगर आपको हल्का बुखार भी है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए अच्छा भोजन लें और योगा या व्यायाम करें।
क्या भारत में इस बीमारी को लेकर सावधानी बरती जा रही है?
रहस्यमयी निमोनिया को लेकर कई देशों सहित भारत ने भी अलर्ट जारी कर दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बीमारी की निगरानी के साथ ही लगातार सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। हालांकि अब तक मिले मामलों को देखते हुए विशेषज्ञों ने इसे इस सीजन में होने वाला सामान्य निमोनिया ही माना है।
क्या निमोनिया में ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होती है
निमोनिया फेफड़ों की बीमारी है। इंफेक्शन के कारण फेफड़ों में पानी भर जाता है। ऐसे में मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है। अगर संक्रमण काफी बढ़ जाता है या फेफड़ों में पानी ज्यादा भर जाता है तो मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ जाती है।
क्या चीन ने इस बीमारी को लेकर कोई जानकारी दी है
चीन से अब तक इस रहस्यमय निमोनिया को लेकर बहुत जानकारी नहीं दी गई है। लेकिन चीनी हेल्थ एक्सपर्ट बच्चों के बीमार होने की वजह कोविड पाबंदियों को हटना, इन्फ्लूएंजा, माइकोप्लाज्मा निमोनिया और आरएसवी को बता रहे है। हालांकि WHO इस इस बीमारी को लेकर चीन से ज्यादा जानकारी मांगी है।
क्या ये रहस्यमयी निमोनिया महामारी बन सकता है
WHO इस बीमारी को लेकर निगरानी कर रहा है। लेकिन विशेषज्ञ इस बीमारी को फिसहाल इस मौसम में होने वाला सामान्य निमोनिया ही मान रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इस बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है। आईएमए के अध्यक्ष डॉक्टर शरद अग्रवाल कहते हैं कि जो बीमारी ज्यादार संक्रामक होती है वो कम घातक होती है। ऐसे में बहुत घबराने की जरूतर नहीं है। लेकिन सावधानी बरतें। खास तौर पर 10 साल से कम के बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवति महिलाओं का ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।