कोविड के सबसे संक्रामक वेरिएंट से घबराने की नहीं सावधान रहने की जरूरत, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
कोरोना के तेजी से बढ़ते संक्रमण के पीछे कोविड का नया सब वेरिएंट XBB.1.16 माना जा रहा है। दिल्ली में कराई गई जीनोम सीक्वेंसिंग में पाया गया कि लगभग 98 फीसदी संक्रमण कोविड के नए सब वेरिएंट XBB.1.16 के ही हैं।
नई दिल्ली, जागरण प्राइम। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले एक बार फिर डराने लगे हैं। तेजी से बढ़ते इस संक्रमण के पीछे कोविड का नया सब वेरिएंट XBB.1.16 माना जा रहा है। दिल्ली में कराई गई जीनोम सीक्वेंसिंग में पाया गया कि लगभग 98 फीसदी संक्रमण कोविड के नए सब वेरिएंट XBB.1.16 के ही हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले 24 घंटे में देश में लगभग 10,158 कोरोना के नए मामले हैं। आपके मन में भी कोविड के इस वेरिएंट को लेकर कई सवाल उठ रहे होंगे। आपके सवालों के जवाब तलाशने के लिए हमने देश के कई बड़े एक्सपर्ट- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सहजानंद प्रसाद सिंह, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की साइंटिफिक कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर नरेंद्र सैनी, जेएनयू के स्कूल ऑफ बायो टेक्नॉलाजी के प्रोफेसर रूपेश चतुर्वेदी, केजीएमसी के डॉक्टर सुमित रूंगटा और गोरखपुर एम्स के एडिशनल प्रोफेसर हीरा लाल भल्ला से बात की। विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड के नए सब वेरिएंट से फिलहाल डरने की जरूरत नहीं, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है।
XBB.1.16 क्या है?
वायरस का संक्रमण जब ज्यादा होता है तो धीरे धीरे उसके स्वरूप में भी बदलाव आता है। इसे वायरस का नया वेरिएंट कहते हैं। कोविड के वायरस में भी बहुत सारे म्यूटेशन हुए हैं। XBB.1.16 कोविड के ओमिक्रॉन वेरिएंट का सब वेरिएंट हैं। देश में बढ़ रहे कोविड के संक्रमण के लिए सब वेरिएंट को ही जिम्मेदार माना जा रहा है।
कोविड का XBB.1.16 सब वेरिएंट कितना खतरनाक है?
विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड का सब वेरिएंट XBB.1.16 बेहद संक्रामक है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूूूर्व अध्यक्ष सहजानंद प्रसाद सिंह कहते हैं कि कोविड का ये सब वैरिएंट काफी संक्रामक तो है पर जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है उन्हें अगर संक्रमण होता भी है तो वो कुछ ही दिन में ठीक हो जाएंगे। उन्हें अस्पताल जाने की भी जरूरत नहीं होगी।
नया सब वेरिएंट अभी किन राज्यों में है?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना मामलों की जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए Indian SARS-CoV-2 Genomics Consortium (INSACOG) को बनाया है। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक कोविड के सब-वैरिएंट XBB.1.16.1 के मामले दिल्ली, गुजरात और हरियाणा समेत 13 राज्यों में सामने आए हैं।
नए सब वेरिएंट के संक्रमण के क्या लक्षण हैं?
विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड के सब वेरिएंट XBB.1.16 के लक्षण ओमिक्रॉन के बाकी सब-वेरिएंट्स की तरह ही हैं। इनमें बुखार, सर्दी-खांसी, नाक बहना, सिरदर्द, गले में खराश, गले में दर्द, शरीर में दर्द, पेट दर्द और दस्त शामिल हैं। लेकिन संक्रमण बेहद गंभीर नहीं होता है। मरीज घर पर ही ठीक हो जा रहे हैं।
क्या ये वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट की तरह फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है?
नहीं, डेल्टा वेरिएंट का वायरस फेफड़े में पहुंचने के बाद उसे काफी नुकसान पहुंचाता है। लेकिन कोविड का सब वेरिएंट XBB.1.16 संक्रमण होने पर फेफड़ों तक नहीं पहुंचता। ये अपर रेस्पिरेट्री सिस्टम को प्रभावित करता है।
किन लोगों के लिए खतरा ज्यादा है?
अगर किसी व्यक्ति को एनीमिया, मधुमेह, हाइपरटेंशन, किडनी, लिवर में कोई बीमारी है या कोई अन्य घातक बीमारी है तो ऐसे मरीजों में कोविड के इस नए सब वेरिएंट का संक्रमण होने पर मुश्किल हो सकती है। ऐसे लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।
बच्चों के लिए ये सब वेरिएंट कितना घातक है?
बच्चों की इम्युनिटी अच्छी होती है। ऐसे में उन्हें अगर संक्रमण होता भी है तो वो जल्द ही ठीक हो जाएंगे। लेकिन ऐसे बच्चे जिन्हें टीबी, एनीमिया या कोई अन्य बीमारी है तो उन्हें बेहद सावधान रहने की जरूरत है।
क्या कोविड की नई लहर आ रही है?
ऐसा कहना जल्दबाजी होगी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक जिन लोगों को संक्रमण हो रहा है उनमें से ज्यादातर घर में ही ठीक हो जा रहे हैं। ऐसे में अभी कोई चिंता की बात नहीं है। जब तक बड़ी संख्या में लोगों को अस्पताल में भर्ती न करना पड़े, तब तक कोई चिंता की बात नहीं है।
किन लक्षणों के आने पर जांच करानी चाहिए ?
अगर आपको जुखाम हुआ हो, बुखार आ रहा हो, खांसी आ रही हो, पेट खराब हो तो आपको आरटीपीसीआर टेस्ट करा लेना चाहिए।
कोविड के नए सब वेरिएंट के संक्रमण से कैसे बचा जा सकता है?
कोविड के किसी भी वेरिएंट के संक्रमण से बचने के लिए आपको कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। आपको मास्क लगाना चाहिए। हाथों को बार बार धोना चाहिए। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना चाहिए।
- कोविड के कितने वेरिएंट
- अल्फा (B.1.1.7 और Q वंशावली वाले वायरस)
- बीटा (B.1.351 और इनके वंश के वायरस)
- गामा (P.1 और इसके वंश के वायरस)
- डेल्टा (B.1.617.2 और AY वंश के वायरस)
- एप्सिलॉन (B.1.427 और B.1.429)
- एटा (B.1.525)
- आयोटा (B.1.526)
- कप्पा (B.1.617.1)
- म्यू (B.1.621, B.1.621.1)
- जीटा (P.2)
- ऑमिक्रॉन(B.1.1.529, BA.1, BA.1.1, BA.2, BA.3, BA.4, BA.5 और XBB.1.16 इसके वंशज हैं)
कैसे पता चलेगा की कोविड के कौन से वेरिएंट से संक्रमण हुआ है?
ये पता करना बड़ी कठिन प्रक्रिया है। भारत सरकार भी ऐसे मरीज जिनमें कोरोना के लक्षण पाए जा रहे हैं उनकी जीनोम सीक्वेंसिंग करा रही है। उसके बाद ही वेरिएंट का पता चल रहा है।
अगर बूस्टर डोज पहले से लगी हो तो क्या फिर से वैक्सीन लगवाने की जरूरत है?
अगर आपको बूस्टर डोज लगवाए एक साल से अधिक हो गया है तो आप दोबारा से बूस्टर डोज ले सकते हैं। अगर आपको एक साल नहीं हुआ तो आपको वैक्सीन लगवाने की जरूरत नहीं है।
नेजल वैक्सीन क्या है?
नेजल वैक्सीन नाक से दी जाने वाली वैक्सीन है। इसमें आपको इंजेक्शन नहीं लगाया जाता है, बस वैक्सीन आपकी नाक में दो बूंद डाल दी जाती है। इस वैक्सीन को सरकार की एक्सपर्ट कमेटी ने मंजूरी दे दी है।
नेजल वैक्सीन कहां मिलेगी?
नेजल वैक्सीन (Nasal Vaccine) को Co-Win पोर्टल में शामिल कर दिया गया है। यहां जा कर आप इस वैक्सीन की उपलब्धता की जानकारी ले सकेंगे। भारत बायोटेक की इस नेजल वैक्सीन का नाम iNCOVACC है। इस वैक्सीन को भारत बायोटेक और अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी ने मिलकर बनाया है। ये तीन फेज के ट्रायल में असरदार साबित हुई है।
नेजल वैक्सीन का क्या फायदा है?
सामान्य तौर पर कोरोना वायरस नाक के जरिए ही शरीर में प्रवेश करता है। नाक के जरिए वैक्सीन दिए जाने पर नाक में मौजूद सेल्स की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी। ये अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम में कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करेगी।
नेजल वैक्सीन कैसे करती है काम?
यह वैक्सीन आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। यह ब्लड में और नाक में प्रोटीन बनाने में मदद करती है ताकि आप आसानी से वायरस से लड़ सकें। इसका असर बॉडी में लगभग दो हफ्ते बाद शुरू होता है।
नेजल वैक्सीन कौन लगवा सकता है ?
नेजल वक्सीन सिर्फ बूस्टर डोज के तौर पर लगाई जाएगी। आपने कोवैक्सीन लगवाई हो या कोवीशील्ड, आप नेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर लगवा सकेंगे।
प्रेगनेंट महिलाएं बूस्टर डोज लगा सकती हैं या नहीं?
प्रेगनेंट महिलाओं के लिए बूस्टर डोज लगाने में कोई दिक्कत नहीं है। दरअसल कोविड की वैक्सीन में मरा हुआ वायरस होता है। ऐसे में ये किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता है।
क्या लीवर या किडनी की किसी बीमारी में कोविड वैक्सीन लगवा सकते हैं ?
केजीएमसी के डॉक्टर सुमित रूंगटा के मुताबिक किडनी या लीवर की बीमारी में कोविड वैक्सीन लगवाने में कोई दिक्कत नहीं है।
संक्रमण से बचने के लिए किस तरह का मास्क पहनना चाहिए?
आप कपड़ों की दो लेयर से बना मास्क भी पहन सकते हैं। सर्जिकल मास्क भी लगाते हैं तो आप कोविड के संक्रमण से बच सकते हैं। बहुत अधिक सर्तकता बरतनी हो तो एन-95 मास्क लगा सकते हैं।
क्या दिल के मरीज कोविड वैक्सीन ले सकते हैं ?
अगर आपको दिल की कोई बीमारी है और आपकी शुगर कंट्रोल है तो आप बूस्टर डोज ले सकते हैं। अगर शुगर कंट्रोल नहीं है तो शुगर कंट्रोल होने तक वैक्सीन न लें।