नई दिल्ली, विवेक तिवारी। हाल में एक खबर आई। स्मार्टफोन के अधिक इस्तेमाल से हैदराबाद की एक महिला को दिखाई देना बंद हो गया। डॉक्टरों ने जांच की तो पाया कि महिला कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से पीड़ित है। यह इकलौता मामला नहीं। हैदराबाद के एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं की एक स्टडी में दावा किया गया है कि 2030 तक भारत में ड्राई आई डिजीज के लगभग 27.5 करोड़ मामले देखने को मिल सकते हैं। इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण कंप्यूटर या स्मार्टफोन जैसी स्क्रीन का काफी देर तक इस्तेमाल है। स्प्रिंगर नेचर के मेडिकल जर्नल में छपे एक शोध के मुताबिक अगर आंखों में पहले से कोई बीमारी हो तो कंप्यूटर विजन सिंड्रोम होने का खतरा 3.54 गुना तक बढ़ जाता है।

हैदराबाद के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर सुधीर कुमार के मुताबिक कई मामलों में देखने में आया है कि स्मार्टफोन का देर तक इस्तेमाल या अंधेरे में स्मार्टफोन चलाने की आदत लोगों को अंधेपन के स्तर तक ले आती है। स्मार्टफोन का स्पेक्ट्रल पीक छोटी वेवलेंथ वाली ब्लू विजिबल लाइट की तरह होता है। यह रेटिना को नुकसान पहुंचाता है।

कई शोधों में स्पष्ट हो चुका है कि फोन से निकलने वाली नीली रौशनी आंखों के लिए घातक है। रेटिना को नुकसान पहुंचने पर धुंधला दिखने लगता है। इसके बाद भी अगर आप अंधेरे में काफी देर तक स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं तो आंखों को ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है।

इंडियन जर्नल ऑफ ऑपथैल्मोलॉजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑनलाइन क्लास करने के लिए लगभग 61.7% फीसदी बच्चे स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। वहीं बुजुर्ग लोग इंटरनेट ब्राउज करने के लिए लैपटॉप या डेस्कटॉप का इस्तेमाल पसंद करते हैं। कई मामलों में यह भी देखा गया कि कुछ लोग अपना काम करने के लिए एक साथ कई स्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं। इंसान की आंखों में उत्तल लेंस (convex lens)पाया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक कंप्यूटर का इस्तेमाल करने वाले 50 फीसदी से अधिक लोगों में डिजिटल आई डिजीज के लक्षण देखे गए। वहीं बच्चों में ये संख्या 17 से 20 फीसदी तक है।

चंड़ीगढ़ स्थित PGIMER एडवांस आई सेंटर के प्रोफेसर डॉ सुरिंदर पांडव कहते हैं कि स्मार्टफोन और कंप्यूटर का इस्तेमाल बढ़ने से लोगों में आंखों की बीमारियां भी बढ़ी हैं। दरअसल जब हम ज्यादा देर तक फोन का इस्तेमाल करते हैं या कंप्यूटर चलाते हैं तो आंखों पर दबाव बढ़ता है। हम काफी देर तक बिना पलक झपकाए स्क्रीन को देखते हैं। इससे आंखों में तनाव बढ़ता जाता है और बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन किसी व्यक्ति की आंखों में पहले से कोई बीमारी है तो उसके लिए खतरा और बढ़ जाता है। पर्याप्त रौशनी में और सही पॉश्चर के साथ अगर आप स्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं तो आप अपनी आंखों को बीमारियों से बचा सकते हैं। स्क्रीन का इस्तेमाल करते समय बीच-बीच में ब्रेक लेना भी जरूरी है।

साईं बाबा आई हॉस्पिटल रायपुर के आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर आशीष महोबिया कहते हैं कि स्क्रीन का इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के मामले भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। हम एक मिनट में कम से कम 12 बार पलक झपकाते हैं। लेकिन जब हम स्मार्टफोन या स्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं तो एक मिनट में पलक झपकने की गति एक या दो बार हो जाती है। हम ज्यादा फोकस हो कर स्क्रीन देखते हैं। इससे आंखों को नुकसान पहुंचता है।

शारदा अस्पताल के क्लिनिकल ऑपथैल्मोलॉजिस्ट पवन कुमार पवार कहते हैं कि आंखें शरीर का कोमल भाग होती हैं। इनका वजन करीब 7.5 ग्राम होता है। लगातार कंप्यूटर पर काम करने से अनेक लोग कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से प्रभावित हो रहे हैं। यहां आंखों से संबंधित एक समस्या है जो मुख्य रूप से लैपटॉप और डेस्कटॉप पर देर तक काम करने, टीवी देखने, मोबाइल पर देर रात तक काम करने या गेम खेलने से होता है। जब कोई व्यक्ति लगातार टीवी, मोबाइल, लैपटॉप आदि के स्क्रीन पर देखता है, वह भी बिना पलकें झपकाए, तो उसकी आंखों पर तनाव बढ़ जाता है। बिना पलकें झपकाए काम करने से आंखों में पानी आना, जलन होना, आंखों का लाल होना जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। इसे नजरअंदाज करते रहने से ही आप कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से ग्रस्त हो जाते हैं।

इसे नजरअंदाज करने से या इलाज समय से ना करने से आंखों में सूखापन आ जाता है। इससे आंखों में इंफेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। साथ ही, आंखों में कॉर्नियल एब्रेजन, कॉर्नियल अल्सर, जीरो आप्थाल्मिया और आंखों की रोशनी कम होने की समस्या आती है। कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से आदमी की निजी जिंदगी में पर असर पड़ता है। नजदीक की नजर कमजोर हो जाती है। समय से इसका उपचार नहीं कराने से आदमी की नजर कम हो जाती है। कंप्यूटर विजन सिंड्रोम का मुख्य लक्षण आंखों में सूखापन की वजह से धूप में आंखें चौंधियाना होता है।

20 - 20 फॉर्मूले से मिलेगी राहत

20-20 रूल ऐसी गतिविधि है जो आपकी आंख को स्क्रीन से होने वाले नुकसान से बचाती है। इस रूल के तहत आपको 20 मिनट स्क्रीन देखने के बाद 20 फुट दूर स्थित किसी वस्तु को 20 सेकेंड तक देखना चाहिए।