मुद्रास्फीति, इमिग्रेशन, अल्पसंख्यकों और अश्वेतों का समर्थन हासिल कर और अमेरिका फर्स्ट एजेंडा जैसे मुद्दों से ट्रम्प बने अमेरिका के राष्ट्रपति
चुनाव में ट्रंप की सफलता का बड़ा कारण उनका अमेरिका फर्स्ट एजेंडा और एक आक्रामक प्रचार शैली थी जिसने उन्हें देश के ब्लू-कॉलर और ग्रामीण इलाकों के मतदाताओं का समर्थन दिलवाया। ट्रंप ने उन तबकों को अपने साथ जोड़ा जो आर्थिक असमानता बेरोजगारी और सांस्कृतिक पहचान के मुद्दों पर असंतुष्ट थे। 2024 का चुनाव अर्थव्यवस्था अवैध आव्रजन और पश्चिम एशिया और यूरोप में युद्धों पर चिंताओं की पृष्ठभूमि में हुआ।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी
अमेरिका का यह चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक था। इस चुनाव में रिपलिब्कन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कड़ी टक्कर हुई लेकिन आखिरकार जीत ट्रंप के हाथों लगी। दरअसल इस चुनाव के बाद ट्रंप अमेरिका के उन चुनिंदा राष्ट्रपतियों की फेहरिस्त में शामिल हो गए हैं जिन्होंने दूसरी बार चुनाव जीता है। वहीं ट्रंप की यह जीत उन्हें ग्रोवर क्लीवलैंड के बाद पहले ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति बनाती है जिन्होंने दोबारा चुनाव हारने के बाद वापसी कर राष्ट्रपति पद हासिल किया है। लेकिन इन सब बातों के बीच ट्रंप की जीत इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान दो बार महाभियोग की कार्यवाही का सामना करना पड़ा। हालांकि, दोनों मामलों में सीनेट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया था। ट्रम्प, जिन्हें इस वर्ष की शुरुआत में 34 गुंडागर्दी के मामलों में दोषी ठहराया गया था, कानूनी अभियोग का सामना करते हुए पद पर बने रहने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति भी होंगे । यह पहली बार होगा जब रिपब्लिकन ने 2004 के बाद से लोकप्रिय वोट जीता है, जब निवर्तमान जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने राष्ट्रीय वोट का 50.7% और डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी जॉन केरी ने 48.3% वोट जीता था। यह 1988 के बाद से पार्टी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हो सकता है, जब तत्कालीन उपराष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश ने अपने लोकप्रिय पूर्ववर्ती रोनाल्ड रीगन की सफलता का लाभ उठाते हुए 53% से अधिक राष्ट्रीय वोट और 426 इलेक्टोरल कॉलेज वोट जीते थे। अब वह अमेरिकी इतिहास में राष्ट्रपति चुने जाने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं। इतने सारे झंझावतों और आरोपों के बावजूद भी अमेरिका की सत्ता पर ट्रम्प का काबिज होना राजनीतिक विश्लेषकों, अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों के लिहाज से एक बड़ी उपलब्धि है और इसके कई कारण है।
चुनाव में ट्रंप की सफलता का बड़ा कारण उनका 'अमेरिका फर्स्ट' एजेंडा और एक आक्रामक प्रचार शैली थी, जिसने उन्हें देश के 'ब्लू-कॉलर' और ग्रामीण इलाकों के मतदाताओं का समर्थन दिलवाया। ट्रंप ने उन तबकों को अपने साथ जोड़ा, जो आर्थिक असमानता, बेरोजगारी और सांस्कृतिक पहचान के मुद्दों पर असंतुष्ट थे। 2016 के राष्ट्रपति पद की दौड़ में, राष्ट्रपति पद की दौड़ में रिपब्लिकन उम्मीदवार के रूप में लड़ते हुए, ट्रम्प ने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ जीत हासिल की।2024 का चुनाव अर्थव्यवस्था, अवैध आव्रजन और पश्चिम एशिया और यूरोप में युद्धों पर चिंताओं की पृष्ठभूमि में हुआ। ट्रम्प के समर्थक उन्हें एकमात्र ऐसे व्यक्ति के रूप में देखते थे जो इनका समाधान सुझा सकते थे। ट्रम्प ने देश की दक्षिणी सीमा का जिक्र करते हुए अपनी पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में उत्साही समर्थकों से कहा, "मैं अपनी सीमा को बंद करके और दीवार को पूरा करके अवैध आव्रजन संकट को समाप्त करूँगा, जिसका अधिकांश हिस्सा मैंने पहले ही बना लिया है।" उन्होंने कसम खाई कि अगर वे व्हाइट हाउस लौटते हैं, तो "मुद्रास्फीति पूरी तरह से गायब हो जाएगी"। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की द्वारा रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के लिए उनके नामांकन पर बधाई देने के बाद ट्रम्प ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने का वचन दिया। ट्रंप ने कहा था, "मैं, आपके अगले अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में, दुनिया में शांति लाऊंगा और उस युद्ध को समाप्त करूंगा, जिसने इतने सारे लोगों की जान ले ली है और अनगिनत निर्दोष परिवारों को तबाह कर दिया है। दोनों पक्ष एक साथ आकर एक समझौते पर बातचीत कर सकेंगे, जो हिंसा को समाप्त करेगा और समृद्धि की ओर आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करेगा।"
राजनीति विज्ञानी लारा ब्राउन, जो "जॉकींग फॉर द अमेरिकन प्रेसीडेंसी: द पॉलिटिकल ऑपर्चुनिज्म ऑफ एस्पिरेंट्स" की लेखिका हैं, ने कहा कि ट्रम्प ने प्रवासियों और राजनीतिक विरोधियों को शैतान बताकर मतदाताओं के बीच खुद को मजबूत किया।
ब्राउन लिखती है कि ट्रंप ने सिर्फ़ इतने मतदाताओं को आश्वस्त किया कि उन्होंने वास्तव में 2020 का चुनाव जीता है और धोखाधड़ी के कारण उन्हें चुनाव से वंचित होना पड़ा। इन दावों के कारण कैपिटल दंगे हुए और वाशिंगटन, डीसी और जॉर्जिया राज्य में पूर्व राष्ट्रपति पर अभूतपूर्व अभियोग लगाए गए, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने जो बिडेन से चुनाव चुराने की साजिश रची थी।
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की अमेरिकन स्टडीज की प्रोफेसर अंशू जोशी कहती है कि ट्रंप ने यह वायदा किया था कि अगर वह राष्ट्रपति बन जाते हैं तो वो युद्ध समाप्त कर वापस शांति और सुरक्षा बहाल कराएंगे। इससे अमेरिकन्स को राहत मिलेंगे। इससे इकनॉमिक स्तर पर इसके जो चुनौती आ रही है उन्हें दूर किया जा सकेगा। राष्ट्रवाद, आर्थिक नीतियों में सुधार और अवैध इमिग्रेशन जैसे तीन मुख्य मुद्दे ट्रंप के पक्ष में गए।
अर्थव्यवस्था और मुद्रास्फीति
जो बिडेन के नेतृत्व में पिछले चार वर्षों में मुद्रास्फीति बेकाबू हो गई, बेरोजगारी व्याप्त हो गई, और अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट देखी गई। ऐसा नहीं है कि बिडेन वैश्विक महामारी को रोक सकते थे या रूस को यूक्रेन पर आक्रमण करने से रोक सकते थे, जो संयुक्त राज्य अमेरिका की आर्थिक मंदी के मुख्य कारण हैं। कुछ रिपोर्ट बताती है कि बिडेन प्रशासन अमेरिका को आर्थिक संकट से बाहर निकालने में बहुत सफल रहा है लेकिन आम मतदाता को यह समझा पाने में असफल रहा है। अपने दो साल के अभियान के दौरान, ट्रम्प ने मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर राष्ट्रपति जो बिडेन और बाद में कमला हैरिस पर हमला किया।
इसकी तुलना ट्रंप के राष्ट्रपति काल से करें, जिसके दौरान शेयर बाजार में उछाल आया, बेरोजगारी ऐतिहासिक रूप से निम्न स्तर पर आ गई, और मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सका, यह बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है कि अधिकांश मतदाताओं ने अर्थव्यवस्था के मामले में मौजूदा उपराष्ट्रपति के बजाय ट्रंप को प्राथमिकता दी। और चुनाव-पूर्व सर्वेक्षणों ने सुझाव दिया था कि यह इस चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा था। अमेरिका में लम्बे समय तक एक वैज्ञानिक के तौर पर काम करने का अनुभव और वर्तमान में जेएनयू में स्कूल ऑफ माइक्रोबॉयोलॉजी के प्रोफेसर रूपेश चतुर्वेदी कहते हैं कि अमेरिका में लोग आर्थिक मंदी जैसे हालात से बहुत परेशान थे। लोग बढ़ी हुई महंगाई से जूझ रहे थे। ऐसे में ट्रम्प की ओर से अर्थव्यवस्था में मजबूती और रोजगार के वाले युवाओं को काफी पसंद आए।
ग्रामीण मतदाताओं ने वोट
1960 के दशक से, ग्रामीण अमेरिका ने अपना समर्थन रिपब्लिकन को दे दिया है। राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन कितना अच्छा रहा है, यह अक्सर ग्रामीण काउंटियों में मतदाता मतदान से सीधे तौर पर जुड़ा होता है - मतदान जितना ज़्यादा होगा, रिपब्लिकन के व्हाइट हाउस की दौड़ जीतने की संभावना उतनी ही ज़्यादा होगी।
श्वेत ग्रामीण मतदाताओं ने 2016 में डोनाल्ड ट्रम्प को व्हाइट हाउस तक पहुंचाने में मदद की, और ऐसा लगता है कि उन्होंने 2024 में भी ऐसा ही किया है। ग्रामीण काउंटी के बाद ग्रामीण देश, विशेष रूप से सात स्विंग राज्यों में, ट्रम्प ने 2020 के अपने नंबरों को पूर्ण रूप से और हैरिस के सापेक्ष दोनों में सुधार किया। शहरी मतदान में गिरावट के साथ - डेमोक्रेट्स की जीत के लिए एक महत्वपूर्ण - परिणाम कभी भी संदेह में नहीं था।
अल्पसंख्यकों के बीच ट्रम्प का समर्थन बढ़ रहा है
डेमोक्रेट्स का लंबे समय से मानना रहा है कि वे संयुक्त राज्य अमेरिका के असंख्य अल्पसंख्यकों की पार्टी हैं, कि वे देश के सबसे हाशिए पर पड़े लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि, इस बार ट्रम्प ने समर्थन का एक व्यापक गठबंधन बनाने में कामयाबी हासिल की है और डेमोक्रेटिक बेस में गहरी पैठ बनाई है। ट्रम्प ने हिस्पैनिक वोट का भी पहले से कहीं ज़्यादा हिस्सा हासिल किया है, जो नेवादा और एरिज़ोना राज्यों में उन्हें जीत की ओर ले जाने की संभावना है। ग्रामीण, कम शिक्षित, ब्लू-कॉलर मतदाताओं के इस उल्लेखनीय गठबंधन ने हिस्पैनिक और अश्वेत समर्थन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों के साथ साबित कर दिया है कि ट्रम्पवाद का आधार डेमोक्रेट्स की अपेक्षा कहीं ज़्यादा बड़ा है, और पार्टी की राजनीति ने अपने कई मूल मतदाताओं को हल्के में लिया है। यह दावा करते हुए कि उनके खिलाफ लगाए गए कई आरोप राजनीति से प्रेरित हैं, ट्रम्प ने 22 अक्टूबर को हिस्पैनिक मतदाताओं के एक समूह से कहा: "मुझे उम्मीद है कि जनता इसे समझ रही है। मुझे उम्मीद है, क्योंकि मैंने पाया है कि जनता आश्चर्यजनक रूप से समझदार है। वे इसे समझते हैं।"
महिलाएं वह ट्रम्प कार्ड नहीं जिसकी हैरिस को उम्मीद थी
ग्रामीण अमेरिका और अल्पसंख्यकों दोनों में, डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थन में वृद्धि पुरुष मतदाताओं द्वारा संचालित थी। टाइम पत्रिका के एक लेख के अनुसार, "एग्जिट पोल ने दिखाया कि ट्रम्प ने प्रमुख युद्धक्षेत्र राज्यों में बड़ी संख्या में लैटिनो पुरुषों को जीत लिया, जिससे पेंसिल्वेनिया में उस समूह के साथ उनकी संख्या 27% से बढ़कर 42% हो गई। राष्ट्रीय स्तर पर, लैटिनो पुरुषों के बीच ट्रम्प का समर्थन 36% से बढ़कर 54% हो गया।" कुल मिलाकर, पुरुषों के बीच ट्रंप लगभग 22 प्रतिशत अंकों से आगे थे, जबकि महिलाओं के बीच हैरिस केवल 14 प्रतिशत अंकों से आगे थीं। एक ऐसे चुनाव में जिसमें महिलाओं ने पुरुषों को बहुत ज़्यादा वोट नहीं दिए।
जो बाइडेन की उम्र और नीतियां
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में राष्ट्रपति जो बाइडेन पहले खुद ही रेस में आए थे। पार्टी की ओर से उन्हीं के नाम के साथ चुनाव में जाना तय हुआ लेकिन करीब आधे चुनावी प्रचार के दौरान पार्टी को यह समझ में आ गया कि जो बाइडेन की उम्र उनके कामों असर डाल रही है। वे पहली प्रेजिडेंशियल डिबेट में आक्रामक दिख रहे डोनाल्ड ट्रंप के सामने काफी फीके दिखाई दिए। इसके बाद उन्हें पार्टी के भीतर विरोध का सामना करना पड़ा। पार्टी में लगातार विरोध और पार्टी के लिए फंड की कमी बने रहने के बाद उन्हें अंतत: पीछे हटना पड़ा।
कमला हैरिस का देरी से चुनाव में उतरना
प्रोफेसर चतुर्वेदी कहते हैं कि डेमोक्रेट्स ने शुरुआत में ट्रम्प के खिलाफ बाइडन को चुनाव मैदान में उतारा जिन्हें अपनी ज्यादा उम्र के कारण कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा । कैंपेन के बीच में कमला हैरिस को उतारा गया। कमला हैरिस कहीं न कहीं मतदाताओं के बीच अपनी बातों को पुरजोर तरीके से रखने में सफल नहीं हो सकीं।
अवैध इमिग्रेशन
अमेरिका में अवैध इमीग्रेशन का मुद्दा इस चुनाव में लोगों के बीच भावनात्मक मुद्दा बन गया। इस मुद्दे को डोनाल्ड ट्रंप ने जोर शोर से उठाया। उन्होंने बाइडेन प्रशासन पर ढिलाई बरतने और लोगों की मदद के नाम पर देश का पैसा बाहरी देशों पर लुटाने का आरोप लगाया। विदेशों से लगातार आ रहे लोगों और इससे बदल रही डेमोग्राफी का मुद्दा कई राज्यों में लोगों के बीच चिंता का कारण बन गया था। लोगों को डोनाल्ड ट्रंप की सरकार के दौरान इस मुद्दे पर कड़ा रवैया अपनाने का तरीका पसंद आया वहीं ट्रंप ने इस मुद्दे पर बाइडेन पर ढिलमुल रवैया अपनाने का आरोप लगाते रहे। चुनाव में लोगों ने इस मुद्दे पर ट्रंप का साथ दिया। प्रोफेसर चतुर्वेदी कहते हैं कि कहीं न कहीं अमेरिकी लोगों को लगता है कि माइग्रेंट्स अमेरिका में आ कर अमेरिकियों के रोजगार की संभावनाओं को कम कर रहे हैं। ट्रम्प हमेशा से मैक्सिको की ओर से अमेरिका में घुसे लोगों पर सख्ती की बात करते रहे हैं।
सप्लाई चेन
अमेरिका ने चीन से कटते हुए ज्यादातर आयात को कनाडा और मेक्सिको पर केंद्रित कर लिया है। यह बदलाव इतनी तेजी से हुआ कि कई लोग आश्चर्य में थे। हालांकि, कोरोना महामारी के बाद वैश्विक सप्लाई चेन में आए बदलावों को तेजी से समझ पाने में बाइडेन प्रशासन नाकाम रहा था। ऐसे में ज्यादातर सामानों के दाम तेजी से बढ़े। इसके चलते राष्ट्रपति जो बाइडेन के ज्यादातर कार्यकाल में लोग चीजों की ऊंची कीमतों से जूझते रहे।
ट्रम्प की प्रामाणिकता
डेमोक्रेट्स ने लंबे समय से खुद को एक ऐसी पार्टी के रूप में स्थापित किया है जो लोकतंत्र में विश्वास करती है, संयुक्त राज्य अमेरिका के उदार मूल्यों को कायम रखती है, तथा डोनाल्ड ट्रम्प जैसे लोगों की तथाकथित तानाशाही और अधिनायकवाद के खिलाफ एक मजबूत दीवार है।
लेकिन अमेरिकी लोकतंत्र को बचाने के बारे में बढ़-चढ़कर की जा रही बयानबाजी, जो बिडेन के राष्ट्रपतित्व काल में होने वाली अधिकांश घटनाओं के विपरीत है - और जिसमें वे सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।
उदाहरण के लिए गाजा में इजरायल की कार्रवाई और बिडेन प्रशासन द्वारा ज़ायोनी राष्ट्र को लगातार समर्थन देना। उदार मूल्यों के लिए खड़ी होने का दावा करने वाली पार्टी, उस शासन द्वारा फिलिस्तीनी नागरिकों की सामूहिक हत्याओं का समर्थन कैसे कर सकती है, जिसने लंबे समय से उनके अधिकारों को छीन रखा है?
ट्रंप की दमदार छवि
प्रोफेसर चतुर्वेदी कहते हैं कि ट्रंप की दमदार छवि ने भी उन्हें जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। पेंसिलवेनिया के बटलर पार्क में डोनाल्ड ट्रंप पर जब गोली चलाई गई तो वो डरे नहीं और लड़ने की बात कही। ऐसे में कहीं न कहीं लोगों के बीच उनकी छवि को और मजबूत किया। हालांकि हम कह सकते हैं कि पूरी दुनिया में इस समय राष्ट्रवादी विचारधारा हावी है। डोनॉल्ड ट्रम्प भी एक राष्ट्रवादी विचारधारा वाले नेता हैं।