मनीष पुरोहित। गगनयान मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वर्षों के अथक समर्पण का प्रमाण है। इसका लक्ष्य न केवल अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है, बल्कि मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमताओं में भारत के कौशल को प्रदर्शित करना भी है। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में एक मील का पत्थर होगा। इस अभियान का उद्देश्य अंतरिक्ष में चार अंतरिक्ष यात्रियों के दल को 400 किलोमीटर की कक्षा में तीन दिन के लिए भेजना और उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाना है। इसके लिए चुने गए चार अंतरिक्ष यात्रियों-ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अजीत कृष्णन, अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला ने रूस और भारत में पांच साल के कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजर कर आने वाली चुनौतियों के लिए सावधानीपूर्वक तैयारी की है। रोबोटिक और मानव अंतरिक्ष अभियानों के बीच के अंतर को पहचानना महत्वपूर्ण है। जब मानव जीवन दांव पर होता है तो त्रुटि की गुंजाइश शून्य हो जाती है। इसके लिए सावधानीपूर्वक योजना, अत्याधुनिक तकनीक और सुरक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। इसे स्वीकार करते हुए इसरो ने गगनयान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। विशेष रूप से इस मिशन के लिए डिजाइन किया गया एलवीएम3 लांच वाहन मानव अंतरिक्ष उड़ान को समायोजित करने के लिए सुधारों से गुजरा है। इसके अतिरिक्त एलवीएम3 के क्रायोजेनिक चरण को मानव अंतरिक्ष उड़ान के उद्देश्य से विकसित किया गया है। अब इसको एचएलवीएम3 का नाम दिया गया है। एचएलवीएम3 में चालक दल निष्कासन प्रणाली शामिल है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी आपात स्थिति में चाहे वह प्रक्षेपण स्थल पर हो या उड़ान चरण के दौरान चालक दल माड्यूल को चालक दल के साथ सुरक्षित दूरी पर ले जाया जा सके।

पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला आर्बिटल माड्यूल दो प्रमुख हिस्सों से मिलकर बना है-क्रू माड्यूल और सर्विस माड्यूल। मानवीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए आर्बिटल माड्यूल अत्याधुनिक एवियोनिक्स (यान संचालन) प्रणालियों से लैस है, जिनमें अतिरिक्त बैकअप मौजूद है। क्रू माड्यूल अंतरिक्ष यात्रियों के रहने के लिए बनाया गया है। यह एक दोहरी दीवार वाला प्रकोष्ठ है। बाहरी दीवार ताप संरक्षण प्रणाली से सुसज्जित है। क्रू माड्यूल में चालक दल के उपकरण, दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुएं, जीवनरक्षक प्रणाली, एवियोनिक्स और गतिरोध प्रणालियां शामिल हैं।

इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि अवतरण के समय चालक दल सुरक्षित रहे। इसके लिए यह पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश करने में सक्षम है। सर्विस माड्यूल का मुख्य कार्य कक्षा में रहते हुए क्रू माड्यूल को आवश्यक सहायता प्रदान करना है। इसमें ताप, प्रणोदन, ऊर्जा, एवियोनिक्स प्रणालियां और उपकरणों को तैनात करने के लिए आवश्यक तंत्र शामिल हैं।

हाल में चंद्रमा पर रोबोटिक साफ्ट लैंडिंग के दौरान जापान और अमेरिकी लैंडर्स को काफी तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि छोटी-सी मानवीय गलती भी राष्ट्रीय संकट बन सकती है। ये मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में प्रगति का प्रदर्शन करते हुए मामूली मानवीय त्रुटियों के संभावित दुष्परिणामों को भी रेखांकित करते हैं, जिनके मानव अंतरिक्ष अभियान में विनाशकारी परिणाम सामने आ सकते हैं।

गगनयान भारत की एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में कार्य करेगा। इसरो के प्रमुख सोमनाथ ने कहा है कि 2024 को गगनयान का वर्ष नामित किया गया है। इस साल गगनयान मिशन के लिए कई परीक्षण उड़ानें होंगी। अंतरिक्ष में चालक दल रहित यानी रोबोटिक अंतरिक्ष यात्री ‘व्योममित्र’ की तैनाती भी होगी। जबकि मानवयुक्त मिशन गगनयान अगले वर्ष यानी 2025 में लांच किया जाएगा। यह रोबोट अंतरिक्ष यात्री माड्यूल मापदंडों की निगरानी, अलर्ट जारी करने और जीवन समर्थन कार्यों को निष्पादित करने की क्षमता से लैस है। यह प्रश्नों का उत्तर देने जैसे कार्य भी कर सकता है।

गगनयान के पीछे की बड़ी आकांक्षा अंतरिक्ष में मानव को प्रक्षेपित करने में आत्मनिर्भरता हासिल करना है, जो अंततः हमें भविष्य में नियोजित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा पर मानव अभियानों की बड़ी योजनाओं के लिए तैयार करेगा। भारत ने वर्ष 2035 तक अपना खुद का भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री को भेजने की योजना बनाई है। इस तरह के महत्वाकांक्षी मिशन के लिए आने वाले वर्षों में भारत को बड़े पैमाने पर क्षमता निर्माण की आवश्यकता होगी। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को लांच करने के लिए भारत को प्रक्षेपण यानों के लिए भारी लिफ्ट क्षमता की आवश्यकता है। मौजूदा यान बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपर्याप्त हैं। इसके लिए इसरो अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यानों पर काम कर रहा है, जो वर्तमान एलवीएम3 से बहुत अधिक बड़े पैमाने पर होंगे।

कुल मिलाकर गगनयान कार्यक्रम हमें अंतरिक्ष में बड़े लक्ष्यों को हासिल के लिए तैयार करेगा। इसरो इस सपने को साकार करने के लिए कई नवाचारों पर काम कर रहा है और नई क्षमताओं का विकास कर रहा है। यह प्रयास न केवल भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ाएगा, बल्कि देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणा के रूप में भी कार्य करेगा, उनकी जिज्ञासा को जगाएगा, महत्वाकांक्षा को बढ़ाएगा। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद गगनयान एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत को एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करने का काम करेगा।

(लेखक इसरो के पूर्व विज्ञानी हैं)