पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से कश्मीर पर जो रोना रोया और भारत पर जैसे मनगढ़ंत आरोप लगाए, भारतीय प्रतिनिधि ने उनका करारा जवाब देकर बिल्कुल सही किया। पाकिस्तान को हर समय यह पता चलना ही चाहिए कि कोई भी उसका रुदन सुनने के लिए तैयार नहीं है और वह अभी भी आतंकवाद को अपना सहयोग, समर्थन और संरक्षण देने से बाज नहीं आ रहा है। यह अच्छा हुआ कि भारत ने पाकिस्तान को फटकार लगाने के साथ ही यह भी बता दिया कि उसे आतंकवाद को संरक्षण देने के दुष्परिणाम भुगतने होंगे- ठीक वैसे ही जैसे उसने भारत की ओर से की गई सर्जिकल स्ट्राइक और फिर एयर स्ट्राइक के रूप में भोगे थे।

इस सिलसिले में जम्मू में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल यह याद दिलाया कि किस तरह आठ वर्ष पहले सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था, बल्कि यह कहने में भी संकोच नहीं किया कि नया भारत घर में घुसकर मारता है और गोली का जवाब गोले से देता है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि कांग्रेस के शासनकाल में किस तरह पाकिस्तान की हरकतों का मुंहतोड़ जवाब नहीं दिया जाता था। निःसंदेह यह कांग्रेस को अच्छा नहीं लगेगा, लेकिन सच तो यही है कि उसके सत्ता में रहने के दौरान पाकिस्तान को कोई सबक नहीं सिखाया गया। इसके चलते ही उसका दुस्साहस बढ़ा और भारत को इसकी अच्छी-खासी कीमत चुकानी पड़ी।

यदि मोदी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ कठोर रवैये का परिचय नहीं देती तो आज सीमा पर जो शांति है, वह नहीं होती और जम्मू कश्मीर में इतने उत्साह भरे माहौल में चुनाव नहीं हो रहे होते। जम्मू कश्मीर में जो शांति का वातावरण बना है, उसका संज्ञान कश्मीर घाटी की जनता को विशेष रूप से लेना चाहिए। उसे इस नतीजे पर पहुंच जाना चाहिए कि पाकिस्तान उसका हितैषी नहीं और वह अभी भी कश्मीर को अशांत-स्थिर करने से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान के इस रवैये पर भारत सरकार को भी ध्यान देना होगा, क्योंकि वह आर्थिक रूप से बदहाल हो जाने के बाद भी भारत विरोधी गतिविधियां बंद करने के लिए तैयार नहीं है।

इसका प्रमाण इससे मिलता है कि गत दिवस कुलगाम में एक मुठभेड़ में दो आतंकियों को मार गिराया गया। यह ठीक नहीं कि जम्मू कश्मीर में आतंकी रह-रहकर अपना सिर उठाते रहें। पिछले कुछ समय से तो कश्मीर से अधिक जम्मू में आतंकियों की सक्रियता बढ़ गई है। इसे देखते हुए सरकार को आतंकियों के दुस्साहस का दमन करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। इस क्रम में पाकिस्तान को केवल चेतावनी देना ही पर्याप्त नहीं। उसे सही रास्ते पर लाने के लिए उस पर दबाव भी बनाना होगा। उसे इस दबाव का आभास भी कराया जाना चाहिए। यह समझा जाना चाहिए कि वह आसानी से सुधरने वाला नहीं है।