डा. जयंतीलाल भंडारी। बीते दिनों केंद्र सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को मंजूरी दी। इससे सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों को निश्चित रूप से फायदा होगा, लेकिन प्राइवेट सेक्टर के संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के अन्य करोड़ों श्रमिकों तथा कर्मचारियों के सामने वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा चिंता का विषय बना हुआ है। उन्हें भी पर्याप्त पेंशन की छतरी उपलब्ध होनी चाहिए। भारत में वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के मद्देनजर पेंशन एक महत्वपूर्ण साधन है। एक अच्छी पेंशन प्रणाली कर्मचारियों को अपनी नौकरी के प्रति प्रतिबद्धता और अधिक काम करने की प्रेरणा प्रदान करती है। जब कर्मचारी सेवानिवृत्त होते हैं, तब पेंशन उनका बड़ा आर्थिक और सामाजिक सहारा बन जाती है। अत: सरकार द्वारा यूपीएस की मंजूरी के बाद देशभर में प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी भी उपयुक्त पेंशन की मांग कर रहे हैं।

यद्यपि प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी पेंशन की कुछ व्यवस्थाएं हैं, लेकिन वे वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा के मद्देनजर अपर्याप्त हैं। संगठित क्षेत्र में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा संगठन है। वस्तुतः भविष्य निधि के लिए एक कर्मचारी का जो अशंदान कटता है, उसका एक हिस्सा पेंशन फंड के लिए कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएफ) में जाता है। पेंशन के लिए कर्मचारी को कम से कम 10 साल तक नौकरी पूरी करनी होती है और पीएफ अकाउंट में अंशदान करना होता है। मौजूदा नियमों के अनुसार पेंशन योग्य वेतन की अधिकतम सीमा 15 हजार रुपये है। इसके तहत ईपीएफ सदस्य को न्यूनतम 1,000 रुपये प्रति माह की पेंशन मिल पाती है। इसे 7,500 रुपये करने की मांग एक लंबे समय से हो रही है। यह अभी पूरी नहीं हुई और उच्च पेंशन का मौका उपलब्ध कराए जाने के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी अभी अनुपालन नहीं हो सका है। निजी क्षेत्र के जिन कर्मियों ने उच्च पेंशन का विकल्प चुना है, उन्हें नहीं पता कि वे कितने पेंशन के हकदार होंगे। दुविधा की यह स्थिति समाप्त होनी चाहिए।

अटल पेंशन योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों पर केंद्रित पेंशन योजना है। इसके तहत 60 साल की उम्र में 1,000 रुपये से लेकर 5,000 रुपये प्रति माह रुपये की न्यूनतम पेंशन की गारंटी ग्राहकों द्वारा योगदान के आधार पर दी जाती है। देश का कोई भी श्रमिक जिसकी उम्र 18 से 40 साल के बीच हो, इसमें शामिल हो सकता है। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) एक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति बचत योजना है, जो निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को एक मजबूत सेवानिवृत्ति कोष बनाने में सक्षम बनाती है। इनके अलावा व्यापारियों, दुकानदारों और स्वरोजगार करने वालों सहित असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना और राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस-ट्रेडर्स) नाम से दो प्रमुख पेंशन योजनाएं शुरू की हैं। ये स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजनाएं हैं। इनके तहत लाभार्थी 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद न्यूनतम 3000 रुपये की मासिक सुनिश्चित पेंशन प्राप्त करने के हकदार हैं।

इस समय गिग वर्क सहित ज्यादातर नई नौकरियां असंगठित क्षेत्र में निर्मित हो रही हैं और इनमें पेंशन संबंधी सुरक्षा नहीं है। गिग अर्थव्यवस्था का मतलब है अनुबंध आधारित या अस्थायी रोजगार वाली अर्थव्यवस्था। गिग अर्थव्यवस्था के तहत गिग वर्कर प्रोजेक्ट-दर-प्रोजेक्ट आधार पर काम करते हैं और अपनी सेवाएं देते हैं। गिग अर्थव्यवस्था डिजिटल प्लेटफार्म और आनलाइन मार्केटप्लेस से संचालित होती है, जो गिग वर्कर्स को खास तरह की सेवाओं की तलाश करने वाले कस्टमर्स से जोड़ती है। मैन्यूफैक्चरिंग, डिलीवरी जैसे कम योग्यता वाले कार्यों के बाद अब गिग वर्किंग के मौके ऐसे कामों में भी बढ़ रहे हैं, जहां उच्च स्तर के कौशल और शिक्षा की जरूरत होती है। नीति आयोग के मुताबिक देश में 77 लाख गिग कर्मी हैं। देश में गिग अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, लेकिन गिग अर्थव्यवस्था के तहत सामाजिक सुरक्षा की भारी कमी है। यद्यपि देश में गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 अधिनियमित हो चुकी है, लेकिन अभी तक प्रभावी नहीं है। नीति आयोग ने 'इंडियाज बूमिंग गिग एंड प्लेटफार्म इकोनमी' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में गिग वर्कर्स और उनके परिवारों के लिए सामाजिक सुरक्षा के उपाय करने की सिफारिश की है, जिसमें बीमा और पेंशन जैसी योजनाएं शामिल हैं।

स्पष्ट है कि अभी भी देश में बड़ी संख्या में लोगों को सामाजिक सुरक्षा की छतरी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में उपयुक्त पेंशन की अहमियत बढ़ जाती है। सरकार को प्राइवेट सेक्टर में सेवा देने वाले करोड़ों लोगों के लिए भी उपयुक्त पेंशन और सामाजिक सुरक्षा के बारे में गंभीरतापूर्वक ध्यान देना चाहिए। अच्छा हो कि संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी सरकार ऐसी पेंशन स्कीम लाए, जो कम से कम प्रतिमाह 10,000 रुपये तक पेंशन राशि सुनिश्चित कर सके। इसके लिए कर्मचारी भविष्य निधि के तहत पेंशन योग्य वेतन की 15,000 रुपये की सीमा को बढ़ाकर 25,000 रुपये किया जाना उपयुक्त होगा, वहीं अटल पेंशन योजना को भी आकर्षक बनाया जाना लाभप्रद होगा। अटल पेंशन योजना में 5,000 रुपये प्रति माह तक की गारंटीकृत पेंशन की राशि को दो गुना करके 10,000 रुपये प्रति माह किया जाना उपयुक्त होगा। इसके साथ ही असंगठित क्षेत्र और गिग कर्मचारियों के लिए भी उपयुक्त पेंशन योजना लाई जानी चाहिए।

(लेखक एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च, इंदौर के निदेशक हैं)