जागरण संपादकीय: सड़क हादसों पर नियंत्रण, गलत तरीके से वाहन चलाने वालों पर कार्रवाई जरूरी
Road Accident in India आखिर आधुनिक तकनीक के इस युग में सीसीटीवी कैमरों के जरिये यातायात की निगरानी और गलत तरीके से वाहन चलाने वालों पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई क्यों नहीं हो सकती? अभी तो स्थिति यह है कि लोग यातायात नियमों की अनदेखी कर बीसियों किलोमीटर का सफर तय कर लेते हैं लेकिन उन्हें कोई भी रोकता-टोकता नहीं है।
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सुरक्षित यातायात को बढ़ावा देने के लिए ड्राइविंग स्कूल खोलने की जो जरूरत जताई, उससे यह समझना कठिन है कि आखिर इससे मार्ग दुर्घटनाएं रोकने में कितनी मदद मिलेगी? यह सही है कि ऐसे स्कूल वाहन चालकों को बेहतर प्रशिक्षण देने में सहायक बन सकते हैं, लेकिन क्या इतने मात्र से सड़क हादसे रोकने में सफलता मिल जाएगी? यह प्रश्न इसलिए, क्योंकि सड़क हादसे केवल इसलिए नहीं होते कि लोग गलत तरीके से वाहन चलाते हैं अथवा यातायात नियमों का पालन नहीं करते। वे इसलिए अधिक होते हैं, क्योंकि यातायात नियमों की अनदेखी करने वालों को कोई रोकने-टोकने वाला नहीं होता।
शहरी इलाकों को छोड़कर सड़कों पर यातायात पुलिस कठिनाई से ही नजर आती है। इसी का दुष्परिणाम है कि लोग यातायात नियमों की अनदेखी करते हैं। लोग यह मानकर चलते हैं कि न तो उन्हें कोई देखने वाला है और न ही रोकने-टोकने वाला। अपने देश में वाहन चालकों को अनुशासित होने की जरूरत है, लेकिन यह अनुशासन तब तक कायम नहीं होने वाला, जब तक यातायात पुलिस की निगरानी और चौकसी नहीं बढ़ती।
आखिर आधुनिक तकनीक के इस युग में सीसीटीवी कैमरों के जरिये यातायात की निगरानी और गलत तरीके से वाहन चलाने वालों पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई क्यों नहीं हो सकती? अभी तो स्थिति यह है कि लोग यातायात नियमों की अनदेखी कर बीसियों किलोमीटर का सफर तय कर लेते हैं, लेकिन उन्हें कोई भी रोकता-टोकता नहीं है। यह किसी से छिपा नहीं कि अपने देश में राजमार्गों पर भी उलटी दिशा में वाहन चलाए जाते हैं। इसी तरह खटारा वाहन वर्षों तक चलते रहते हैं और बड़ी संख्या में वाहनों में ओवरलोडिंग होती है-माल की भी और सवारियों की भी।
अपने देश में सड़कों पर मनमाने तरीके से जहां-तहां पार्किंग करना और बिना हेलमेट या सीट बेल्ट के वाहन चलाना भी बहुत आम बात है। यह इसीलिए है, क्योंकि लोगों में यातायात नियमों के उल्लंघन पर सजा का भय नहीं है। भय का यह अभाव ही यातायात संबंधी हर तरह की अनुशासनहीनता का मूल कारण है। यदि सड़क हादसों को सचमुच नियंत्रित करना है और उनमें होने वाली मौतों को रोकना है तो उनके मूल कारणों की पहचान कर उनका निवारण करना होगा।
भारत में वाहनों की संख्या कम होने के बाद भी सड़क हादसों और उनमें घायल एवं मरने वालों की संख्या बहुत अधिक है। पिछले कुछ समय से बार-बार यह रेखांकित किया जा रहा है कि राजमार्गों पर बढ़ते सड़क हादसों का एक बड़ा कारण उनके ब्लैक स्पाट हैं। इन ब्लैक स्पाट के लिए राजमार्गों के खराब डिजाइन को जिम्मेदार मानकर उन्हें दूर करने का अभियान तो चलाया गया, लेकिन वह पूरा होने का नाम नहीं ले रहा है। ड्राइविंग स्कूल खोलने में हर्ज नहीं, लेकिन इसमें संदेह है कि उनसे सड़क दुर्घटनाओं को रोकने में उल्लेखनीय मदद मिलेगी।