हरियाणा में अपनी गलतियों से जीती बाजी हारने वाली कांग्रेस ने जिस तरह यह कहा कि उसे चुनाव नतीजे स्वीकार नहीं और उसके नेता मतगणना में कथित गड़बड़ी का रोना रोते हुए जिस प्रकार चुनाव आयोग के दरवाजे पहुंच गए, उससे खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली कहावत ही चरितार्थ होती दिख रही है। भले ही चुनाव आयोग ने हरियाणा के नतीजों पर जयराम रमेश और अन्य कांग्रेस नेताओं के अनर्गल बयानों को लेकर मल्लिकार्जुन खरगे को कड़ी चिट्ठी लिखकर यह कहा हो कि देश के लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, लेकिन लगता नहीं कि इससे कांग्रेस की सेहत पर कोई असर पड़ेगा। इसके आसार इसलिए नहीं, क्योंकि उसके नेता मनमाफिक नतीजे न आने पर मनगढ़ंत आरोप लगाने में माहिर हो चुके हैं। ध्यान रहे कि लोकसभा चुनावों के समय जयराम रमेश ने ही यह सनसनीखेज आरोप उछाला था कि केंद्रीय गृहमंत्री विभिन्न जिलों के डीएम को फोन कर धमका रहे हैं। जब उनसे इसके प्रमाण देने को कहा गया था तो वह बगलें झांकने लगे थे। यदि चुनाव आयोग ने तभी उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की होती तो शायद वह हरियाणा के नतीजों पर नया झूठ नहीं गढ़ते।

हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस का व्यवहार यही बताता है कि उसे न तो जीत पचती है और न ही हार हजम होती है। लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतने पर वह ऐसे पेश आ रही थी, जैसे उसने बहुमत हासिल कर लिया है। अब हरियाणा में भाजपा को तीसरी बार सत्ता हासिल करने का मौका देने वाली कांग्रेस अपनी गलतियों पर गौर करने के बजाय चुनाव आयोग पर दोष मढ़कर अपनी खीझ उतार रही है। ऐसा करके वह भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने के साथ लोगों को गुमराह ही नहीं कर रही है, बल्कि उन सवालों से मुंह भी चुरा रही है, जो हरियाणा के चुनाव नतीजों के बाद उसके समक्ष उभर आए हैं।

इनमें सबसे पहला सवाल तो यही है कि आखिर उसने उन भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जरूरत से ज्यादा महत्व क्यों दिया, जिन्होंने कुमारी सैलजा समेत अन्य नेताओं को किनारे किया, आम आदमी पार्टी से समझौते पर अड़ंगा लगाया और संगठन का निर्माण नहीं होने दिया? हरियाणा में दस वर्ष से सत्ता में होने के चलते भाजपा के खिलाफ एक सत्ताविरोधी रुझान तैयार हो गया था। यह स्वाभाविक ही था, लेकिन कांग्रेस ने उसका लाभ उठाने के लिए केवल दुष्प्रचार को अपना हथियार बनाना बेहतर समझा। यह मानने के भी अच्छे-भले कारण हैं कि कांग्रेस यह फर्जी माहौल बनाने वालों के झांसे में आ गई कि वह बहुत आसानी से हरियाणा में बड़ी जीत हासिल करने जा रही है। उसे पता होना चाहिए कि अति हर चीज की बुरी होती है और इसमें आत्मविश्वास भी शामिल है। यदि कांग्रेस ने अपनी कमजोरियों के लिए दूसरों को दोष देने की आदत नहीं छोड़ी तो आगे उसका और नुकसान होगा।