पाकिस्तान किसी मुगालते में न रहे, भारत का आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का भय बना रहे
कश्मीर में करीब-करीब हर दिन पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकी मारे जा रहे हैं लेकिन उनके दुस्साहस का निर्णायक दमन होता नहीं दिख रहा है। वे कश्मीरी हिंदुओं को धमकाने और उन्हें निशाना बनाने में लगे हुए हैं। इस सिलसिले को थामने की आवश्यकता है।
केंद्रीय गृह मंत्रलय की ओर से पाकिस्तान में पल रहे मुश्ताक अहमद जरगर को आतंकवाद निरोधक कानून के तहत आतंकी घोषित किया जाना यही बताता है कि भारत सरकार पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा रही है। बीते एक सप्ताह में भारत कुल चार आतंकी सरगनाओं को अधिसूचित कर चुकी है। न केवल यह सिलसिला कायम रहना चाहिए, बल्कि पाकिस्तान को समय-समय पर चेताया भी जाना चाहिए, ताकि वह ऐसे किसी मुगालते में न रहे कि संबंध सुधार की उसकी बातों का भारत पर कोई असर पड़ने वाला है।
भारत को पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों को अधिसूचित करने के साथ ही यह मांग भी करनी चाहिए कि उन्हें उसके हवाले किया जाए। इससे ही पाकिस्तान को यह संदेश जाएगा कि भारत महज कागजी कार्रवाई नहीं कर रहा है। मुश्ताक अहमद जरगर कश्मीरी मूल का आतंकी है और फिलहाल पाकिस्तान में रहकर कश्मीर में आतंकवाद को खाद-पानी देने का काम कर रहा है। उसे इंडियन एयरलाइंस विमान के अपहरण में बंधकों के बदले रिहा करना पड़ा था। इसके साथ जिस एक अन्य आतंकी मसूद अजहर को रिहा किया गया था, वह भी भारत के लिए खतरा बना हुआ है। हालांकि, मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी प्रतिबंधित किया हुआ है, लेकिन पाकिस्तान उसके खिलाफ कोई कदम उठाने के लिए तैयार नहीं।
भारत इसकी अनदेखी नहीं कर सकता कि पाकिस्तान एक ओर कश्मीर में हस्तक्षेप करने से बाज नहीं आ रहा है और दूसरी ओर एफएटीएफ की कार्रवाई से बचने के लिए अपने यहां संरक्षित आतंकियों के खिलाफ दिखावटी कदम उठा रहा है। इसी कारण अभी हाल में भारत और अमेरिका को साझा बयान जारी कर यह कहना पड़ा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस और अपरिवर्तनीय कार्रवाई करे। पाकिस्तान इससे तिलमिलाया अवश्य, लेकिन भारत को तब तक चैन से नहीं बैठना चाहिए, जब तक पाकिस्तानी सेना आतंकवाद को समर्थन देने से तौबा नहीं करती।
हालांकि, कश्मीर में करीब-करीब हर दिन पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकी मारे जा रहे हैं, लेकिन उनके दुस्साहस का निर्णायक दमन होता नहीं दिख रहा है। वे कश्मीरी हिंदुओं को धमकाने और उन्हें निशाना बनाने में लगे हुए हैं। इस सिलसिले को थामने की आवश्यकता है। इसके लिए ऐसे प्रबंध करने आवश्यक हैं, जिनसे सीमा पार से आतंकी घुसपैठ न कर सकें। यह समझा जाना चाहिए कि कश्मीर में शांति की सही तरह बहाली तभी हो सकती है, जब आतंकियों के साथ उनके समर्थकों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। आतंक के समर्थक चाहे सीमा के इस पार हों या उस पार, उन्हें भारत की कार्रवाई का भय होना ही चाहिए।