आदर्श आचार संहिता क्या है? झारखंड और महाराष्ट्र में आज से हो सकती है लागू; इससे क्या बदल जाएगा
चुनाव समाचार
- elections
- elections
- elections
'मैं ईश्वर की शपथ लेता हूं कि..', क्यों और किसलिए होती है पद ग्रहण से पहले शपथ? क्या हैं इसके नियम
elections- elections
- elections
- elections
- elections
- elections
- elections
फेज: 4
चुनाव तारीख: 13 मई 2024
अनुसूचित जनजाति एसटी वर्ग के लिए आरक्षित रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट पर अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव और एक उपचुनाव में सिर्फ चार बार ही गैर कांग्रेसी नेता जीत पाए हैं। जनसंघ और भाजपा के लिए यह सीट हमेशा चुनौती बनती रही। इसके साथ रोचक संयोग यह भी है कि अधिकांश समय इस पर भूरिया उपनाम के नेताओं का कब्जा रहा है।
इस क्षेत्र से अब तक कुल सात व्यक्ति सांसद बने हैं। इसमें भी तीन भूरिया उपनाम वाले रहे। रतलाम पूर्व में झाबुआ लोकसभा सीट पर भाजपा ने वर्ष 2014 में पहली बार जीत हासिल की, वह भी कांग्रेस छोड़कर आए दिलीप सिंह भूरिया के सहारे। दिलीप सिंह भूरिया के निधन के बाद उपचुनाव हुआ तो इस पर कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने जीत हासिल कर ली। हालांकि वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा ने यहां वापसी की और गुमानसिंह डामोर सांसद चुने गए।
रतलाम संसदीय क्षेत्र में 12 बार ‘भूरिया’ उपनाम के नेता सांसद चुने गए। दिलीप सिंह भूरिया कांग्रेस से पांच बार, भाजपा से एक बार सांसद चुने गए, वहीं कांतिलाल भूरिया कांग्रेस से पांच बार सांसद निर्वाचित हुए। वर्ष 1967 में कांग्रेस के सूरसिंह भूरिया भी सांसद चुने गए थे।
सबसे बड़ी और छोटी जीत कांग्रेसियों के नाम
संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए चुनाव में सबसे बड़ी और सबसे छोटी जीत का रिकार्ड कांग्रेस प्रत्याशियों के नाम है। वर्ष 1962 के चुनाव में कांग्रेस की जमुना देवी ने भारतीय जनसंघ के गट्टू को सबसे कम 22,384 मतों से पराजित किया था। वर्ष 1999 के चुनाव में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने भाजपा के दिलीप सिंह भूरिया को करीब डेढ़ लाख वोटों से हराया था।
1962 में पहली बार जीती महिला
रतलाम लोकसभा सीट पर पांच बार महिला प्रत्याशी मैदान में उतरीं। हालांकि जीत एक को ही मिली। वर्ष 1962 में कांग्रेस से जमुना देवी इस सीट की पहली महिला सांसद निर्वाचित हुईं। भागीरथ भंवर लगातार दो बार अलग-अलग पार्टियों के टिकट पर सांसद बने। वर्ष 1971 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर जीते और वर्ष 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के टिकट पर। इसके बाद कांग्रेस ने यहां से लगातार जीत दर्ज की।
पूरे देश में सिर्फ एक बदलाव से चर्चित हो गई थी यह सीट
वर्ष 1962 के लोकसभा चुनाव में झाबुआ रतलाम संसदीय सीट की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हुई थी। पूरे देश में लगभग सभी सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों के नाम की घोषणा हो चुकी थी। ऐन वक्त पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने झाबुआ सीट के कांग्रेस प्रत्याशी को बदल दिया।
उस समय यह निर्णय बहुत चौंकाने वाला रहा। पूरे देश में सिर्फ एक प्रत्याशी बदलने की घटना ने राजनीतिक क्षेत्र में खूब सुर्खियां बटोरीं। दो बार के सांसद अमर सिंह के स्थान पर युवा महिला नेता जमुना देवी को टिकट दिया गया और वे चुनाव भी जीतीं। वरिष्ठ व युवा कांग्रेसियों के बीच खूब उठापटक भी हुई।
मिठाई बंट गई फिर पता चला सूचना गलत है
वर्ष 1977 के अपने पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिलीप सिंह भूरिया पराजित हो गए थे। अगले वर्ष 1980 के चुनाव में उन्हें टिकट मिलना मुश्किल लग रहा था। इस बीत सैलाना के नेता प्रभुदयाल गेहलोत को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाने की चर्चा क्षेत्र में फैल गई। गहलोत समर्थक मिठाई बांटने लगे। कुछ दिनों बाद मालूम हुआ कि उक्त सूचना झूठी थी। दिलीप सिंह भूरिया को ही कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था।
टिकट बदला तो दे दी चुनौती, अब सीट जीतकर बता देना
वर्ष 2004 में भाजपा ने दिलीप सिंह भूरिया के स्थान पर रेलम चौहान को उम्मीदवार बना दिया। बताते हैं कि उस समय दिलीप सिंह भूरिया ने नाराज होकर तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष कैलाश जोशी को भोपाल में कह दिया था कि आपने उम्मीदवार तो बदल दिया अब सीट जीतकर बता देना। बाद में हुआ भी यही। भाजपा के पक्ष में वातावरण होने के बावजूद रेलम चौहान पराजित हो गईं।
भाजपा और कांग्रेस दोनों से सांसद बने
दिग्गज नेता दिलीप सिंह भूरिया के साथ यह संयोग बना कि वे कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों से इस सीट पर सांसद रहे। कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 1980 से लेकर वर्ष 1996 तक का चुनाव जीतते रहे। बाद में भाजपा से लड़ने पर चुनाव हारे लेकिन वर्ष 2014 की मोदी लहर में भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत गए।
क्षेत्र में कांग्रेस का पर्याय बने कांतिलाल भूरिया
इस सीट पर कांतिलाल भूरिया एक तरह से कांग्रेस के पर्याय कहे जा सकते हैं। कांतिलाल भूरिया पांच बार सांसद और पांच बार विधायक रह चुके हैं। वे केंद्र व राज्य सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे। यही नहीं गुमानसिंह डामोर ने उन्हें वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में हराया तो कांतिलाल भूरिया ने गुमानसिंह के त्यागपत्र से खाली हुई झाबुआ विधानसभा सीट पर उपचुनाव में जीत हासिल की। अब झाबुआ विधानसभा सीट पर कांतिलाल भूरिया के बेटे डा. विक्रांत भूरिया विधायक हैं।
8 विधानसभा क्षेत्र
रतलाम शहर, रतलाम ग्रामीण, सैलाना, झाबुआ, थांदला, पेटलावद, आलीराजपुर, जोबट
कुल मतदाता - 20,72,288
पुरुष मतदाता - 1029,902
महिला मतदाता - 10,42,330
थर्ड जेंडर - 56
रतलाम, मध्यप्रदेश के विजेता
- पार्टी :भारतीय जनता पार्टी
- प्राप्त वोट :696103
- वोट %76
- पुरुष मतदाता929526
- महिला मतदाता921557
- कुल मतदाता1851112
- निकटतम प्रतिद्वंद्वी
- पार्टी
- प्राप्त वोट605467
- हार का अंतर90636
राजनीतिनामा
- maharashtra
- jharkhand
- jharkhand
Vinod Tawde: 'मैं चाय पीने गया था और फिर...', वोट के बदले नोट मामले पर खुलकर बोले तावड़े
politics'उद्धव ही असली गद्दार, शिवसेना छोड़ने वाले नहीं'; राज ठाकरे ने चचेरे भाई पर बोला तीखा हमला
maharashtra- maharashtra
लोकसभा परिणाम 2024
- पार्टीरिजल्टसीट %
- एनडीए3645
- आइएनडीआइए4354
- अन्य11