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फेज: 1
चुनाव तारीख: 19 अप्रैल 2024
आधे से अधिक आदिवासी मतदाताओं वाली सुरक्षित शहडोल लोकसभा सीट ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। शहडोल कभी रीवा रियासत के अधीन था। ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान भी शहडोल, उमरिया और अनूपपुर क्षेत्र में राज परिवारों ने वर्चस्व बनाए रखा। वर्ष 1977 के बाद शहडोल लोकसभा क्षेत्र की राजनीति तीन नेताओं-परिवारों से संचालित होती रही है।
सत्ता की चाबी सीमित जनप्रतिनिधियों और परिवार तक सिमटी
46 वर्षों में 13 बार लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें सबसे ज्यादा पांच बार दलपत सिंह परस्ते अलग-अलग पार्टियों के टिकट पर जीतकर लोकसभा पहुंचे। कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री दलबीर सिंह तीन बार सांसद बने, जबकि उनकी पत्नी राजेश नंदिनी सिंह ने एक बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता। वर्तमान में दलबीर सिंह और राजेश नंदिनी की पुत्री हिमाद्री सिंह भाजपा से यहां की सांसद हैं। भाजपा के ज्ञान सिंह भी यहां से दो बार सांसद रह चुके हैं। इस अपेक्षाकृत पिछड़े इलाके में स्वतंत्रता के बाद से सत्ता की चाबी सीमित जनप्रतिनिधियों और परिवार तक सिमट कर ही रही।
आर्थिक गति बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा शहडोल
कोयला खदानों, बिजली प्लांट और अन्य वनोपज के माध्यम से राज्य की आर्थिक गति बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे शहडोल ने सदैव उन जनप्रतिनिधियों का चयन किया जिनमें मतदाताओं को संभावना नजर आई। समाजवादी विचारधारा रखने वाले नेताओं ने भी इस सीट से जीत हासिल की तो कांग्रेस ने भी लंबे समय तक शहडोल में अपना दबदबा रखा।
अजीत जोगी को करना पड़ा था छत्तीसगढ़ का रुख
यहां के मतदाता नेताओं को सबक सिखाने में भी पीछे नहीं रहे। दलबीर सिंह और अजीत जोगी जैसे कद्दावर नेताओं को भी यहां हार का मुंह देखना पड़ा। यहीं से केंद्रीय राज्य मंत्री की कुर्सी तक पहुंचे दलबीर सिंह को इसी सीट ने राजनीति के हाशिये पर पहुंचा दिया तो अजीत जोगी को आखिरकार छत्तीसगढ़ का रुख करना पड़ा। बाद में अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस ने बीच में कई प्रयोग भी किए लेकिन हर बार शहडोल के मतदाताओं ने नकार दिया। कांग्रेस से वर्ष 1977 में धनशाह, वर्ष 1980 में कुंदन शाह, वर्ष 1991 में हेमवंत पोर्ते, वर्ष 1999 में अजीत जोगी, वर्ष 2018 में प्रमिला सिंह ने चुनाव लड़ा लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली।
जिसके सामने चुनाव लड़ा बाद में उनके दामाद बने
शहडोल की राजनीति में परिवारों के वर्चस्व में कई अनूठे संयोग भी बने। भाजपा ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में नए चेहरे नरेंद्र सिंह मरावी को अवसर दिया। उन चेहरों से परहेज किया जो समय-समय पर सांसद या प्रत्याशी बनते रहे हैं। नरेंद्र सिंह मरावी वर्तमान सांसद हिमाद्री सिंह के पति हैं। वर्ष 2009 के चुनाव में नरेंद्र सिंह मरावी के सामने हिमाद्री की मां राजेश नंदिनी सिंह कांग्रेस की उम्मीदवार थीं। उन्होंने नरेंद्र सिंह मरावी को हरा दिया। बाद में संयोग कुछ ऐसा बना कि नरेंद्र का विवाह हिमाद्री से हो गया और वे राजेश नंदिनी के दामाद बन गए।
शर्त रखी कि वह पति नरेंद्र सिंह मरावी को पार्टी में शामिल कराएं
2019 में हिमाद्री सिंह को शहडोल से टिकट देने का मन बना चुकी कांग्रेस ने उनके सामने शर्त रखी कि वह पति नरेंद्र सिंह मरावी को पार्टी में शामिल कराएं लेकिन हिमाद्री सिंह ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हुईं। अंतत: उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने हिमाद्री सिंह को टिकट दिया। हिमाद्री को भाजपा ने इसलिए पार्टी में शामिल किया था कि वे अपने गृह क्षेत्र पुष्पराजगढ़ में कांग्रेस का गढ़ खत्म कर देंगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। विधानसभा चुनाव में अनूपपुर जिले के तीन विधानसभा क्षेत्रों में से दो में भाजपा की बड़ी जीत हुई है। पुष्पराजगढ़ विधानसभा से कांग्रेस के ही फुंदेलाल सिंह मार्को तीसरी बार लगातार विधायक चुने गए हैं।
2019 में प्रमुख दलों के प्रत्याशियों में अदला-बदली
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के कद्दावर नेता दलबीर सिंह की बेटी हिमाद्री सिंह को मैदान में उतारा तो कांग्रेस ने भाजपा की बागी नेत्री प्रमिला सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया।
रीवा महाराज के समर्थन से निर्दलीय ने जीत लिया चुनाव
वर्ष 1971 का लोकसभा चुनाव भी बड़ा उलटफेर वाला रहा। रीवा राजघराने के पूर्व महाराजा मार्तंड सिंह के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार धनशाह प्रधान ने चुनाव में मैदान मार लिया। बड़े राजनीतिक दलों के लिए यह बड़ा झटका था।
1996 में भाजपा ने ध्वस्त किया कांग्रेस का किला
शहडोल में वर्ष 1962 तक समाजवादी विचारधारा के प्रत्याशियों का बोलबाला रहा। सात में से पांच विधानसभा सीटें लंबे समय तक इसी विचारधारा वाले जनप्रतिनिधियों के पास रहीं। वर्ष 1962 के बाद कांग्रेस ने यहां अपनी पकड़ मजबूत की। लंबे समय से जीत से वंचित रही भाजपा ने वर्ष 1996 में कांग्रेस का किला ढहाया। हालांकि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की राजेश नंदिनी सिंह ने भाजपा उम्मीदवार को हरा दिया और एक बार फिर सीट कांग्रेस के कब्जे में चली गई।
कुल मतदाता-17,12,640
पुरुष मतदाता-8,72,872
महिला मतदाता-8,39,738
थर्ड जेंडर-30
विधान सभा क्षेत्र-आठ
जयसिंहनगर, जैतपुर, मानपुर, बांधवगढ़, अनूपपुर, कोतमा, पुष्पराजगढ़, बड़वारा
शहडोल, मध्यप्रदेश के विजेता
- पार्टी :भारतीय जनता पार्टी
- प्राप्त वोट :747977
- वोट %75
- पुरुष मतदाता848568
- महिला मतदाता807881
- कुल मतदाता1656474
- निकटतम प्रतिद्वंद्वी
- पार्टी
- प्राप्त वोट344644
- हार का अंतर403333
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