नई दिल्ली, संदीप राजवाड़े।

नए साल में भारत का शिक्षा स्तर बढ़ेगा और किताबी ज्ञान के साथ कौशल- तकनीकी शिक्षा पर जोर होगा। नई शिक्षा नीति 2020, प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएमश्री) और छात्रों को पेशेवर और कौशल-तकनीकी पढ़ाई पर फोकस किया जा रहा है। इसका असर नए साल में और प्रभावी रूप से दिखाई देगा। इसके अलावा अब स्कूलों में चुनावी साक्षरता, महिला सशक्तीकरण, जी20, कोविड-19 और चंद्रयान-3 समेत अन्य विषयों के मॉड्यूल पढ़ाए जाएंगे। हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अब छात्रों को रोजगार के अवसर व कौशल आधारित शिक्षा पर केंद्रित किया जा रहा है। कॉमर्स की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए नए साल में बैंकिंग, बीमा और फाइनेंस से जुड़े सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए जाएंगे। इसका बड़ा फायदा छात्रों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में मिलेगा। शिक्षा मंत्रालय से समझौते के मुताबिक मेटा अगले तीन साल में पांच लाख उद्यमियों को डिजिटल मार्केटिंग स्किल की ट्रेनिंग देगा।

अगले पांच साल में पीएमश्री योजना के तहत देश में 14500 स्कूलों को जोड़ने और उन्हें तकनीक और आधुनिक शिक्षा के संसाधन उपलब्ध कराने की पहल शुरू की जा चुकी है। इसमें से अब तक 6207 स्कूलों का चयन पीएमश्री स्कीम के लिए कर लिया गया है। इन स्कूलों को अपडेट करने के लिए 630 करोड़ रुपए का फंड दे दिया गया है। अगले पांच साल में 14500 पीएमश्री स्कूलों पर कुल 27,360 करोड़ रुपए लागत आएगी, जिसमें से केंद्र सरकार द्वारा 18128 करोड़ रुपए दिए जाएंगे, बाकी की राशि राज्य सरकारें देंगी। 2024 में अलग-अलग राज्यों में दो हजार से ज्यादा स्कूलों को इस योजना के तहत जोड़ा जाएगा। इसके साथ विदेशी विश्वविद्यालय संस्थानों के भारत में अपने केंद्र स्थापित करने से बड़े पैमाने पर छात्रों को लाभ मिलेगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की तरफ से हर साल शिक्षा बजट को बढ़ाया जा रहा है। 2021-22 में शिक्षा बजट 99,311.52 करोड़ रुपए था, जिसे 2023-24 में बढ़ाकर 1,12,899.47 करोड़ रुपए किया गया। इसमें 13.68 फीसदी की बढ़ोतरी की गई।

युवा पीढ़ी को जागरूक बनाने छठवीं से स्कूलों में पढ़ाएंगे इलेक्शन एजुकेशन

चुनाव आयोग और शिक्षा मंत्रालय के साथ हुए एमओयू में नए सत्र से कक्षा छठी से 12वीं तक मतदाता शिक्षा और चुनावी साक्षरता को शामिल करने की पहल की गई है। सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों के अनुरूप कोर्स तैयार किया जाएगा। एनसीईआरटी इलेक्शन एजुकेशन मटेरियल शामिल करने के लिए कोर्स तैयार करेगी और राज्य शिक्षा और अन्य शिक्षा मंडलों को इसे पालन करने की सलाह देगा। स्कूल- कॉलेजों में चुनावी साक्षरता क्लब (इलेक्शन लिटरेसी क्लब) स्थापित किए जाएंगे।

शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, इस समझौते का उद्देश्य छात्र के 18 वर्ष पूरा करने के बाद उसे मतदाता के तौर पर जागरूक बनाना है। हायर सेकंडरी स्कूलों में मतदाता शिक्षा सामग्री के नियमित प्रदर्शन और पूरे साल चुनावी गतिविधियों के संचालन के लिए एक कमरे को लोकतंत्र कक्ष बनाया जाएगा। लोकसभा चुनाव -2019 में देश में कुल 910 मिलियन मतदाता थे, जिनमें से 297 मिलियन (29.7 करोड़) मतदाताओं ने वोट नहीं डाला था, आय़ोग की तरफ से इसे सुधार की चुनौती के रूप में लेकर शिक्षा मंत्रालय के साथ यह पहल की जा रही है।

चंद्रयान-3 के साथ कोविड-19 और जी 20 जैसे अन्य 14 विषयों के मॉड्यूल से पढ़ेंगे

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कुछ माह पहले स्कूली बच्चों के लिए अपना चंद्रयान वेब पोर्टल लॉन्च किया। इसके जरिए मिशन चंद्रयान-3 पर आधारित मटेरियल जैसे कि क्विज, पहेलियों के साथ पूरी जानकारी उपलब्ध कराई गई है। इसे एनसीईआरटी ने तैयार किया। इन मॉड्यूल में नई पहेलियां, सवाल आदि जोड़े जाएंगे और यह 23 अगस्त 2024 तक चलेगा। चंद्रयान वेब पोर्टल में मौजूद मटेरियल को 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जा सकता है।

इसी तरह केंद्र सरकार की तरफ से संचालित वीर गाथा प्रोजेक्ट 3.0 में देश के 36 राज्यों औऱ केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 1.36 करोड़ स्कूली छात्रों ने भाग लिया। वीर गाथा परियोजना के दो संस्करण (2021 में संस्करण-एक और 2022 में संस्करण-दो) आयोजित किए गए थे। इस साल केंद्र द्वारा मानव संसाधन विकास केंद्र (एचआरडीसी) का नाम बदलकर मदन मोहन मालवीय शिक्षण प्रशिक्षण केंद्र किया गया।

पांच लाख उद्यमियों को डिजिटल मार्केटिंग ट्रेनिंग देगा मेटा

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता विभाग की तरफ से मेटा (फेसबुक) के साथ तीन साल का एक अनुबंध किया गया है। इसके जरिए मेटा अगले तीन सालों में भारत के पांच लाख कारोबारियों को डिजिटल मार्केटिंग स्किल की ट्रेनिंग देगा। अपना कारोबार शुरू करने वाले और उद्यमियों को सात क्षेत्रीय भाषाओं में मेटा प्लेटफार्म का उपयोग करके डिजिटल मार्केटिंग स्किल में ट्रेंड किया जाएगा।

तकनीक के प्रयोग से वैश्विक स्तर पर दस्तक दे रही है भारतीय शिक्षा- आईआईएम इंदौर डायरेक्टर प्रो. राय

आईआईएम इंदौर के डायरेक्टर प्रोफेसर हिमांशु राय ने बताया कि वर्ष 2023 में शिक्षा के क्षेत्र में बड़े और अहम परिवर्तन देखने को मिले हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री) योजना है। इसके अलावा कौशल विकास को बढ़ावा देने वाली साझेदारियां शामिल हैं। नई शिक्षा नीति (एनईपी- 20) मील का पत्थर साबित हुई है। देश में साक्षरता दर में वृद्धि, शैक्षिक संस्थानों की बढ़ती संख्या और कक्षाओं में तकनीक के प्रयोग से शिक्षा का स्तर बढ़ता जा रहा है। भारत में सभी क्षेत्रों तक सामाजिक व आर्थिक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद यहां शिक्षा को लेकर वैश्विक स्तर पर बड़ा सुधार देखा जा रहा है।

एजुकेशन फॉर ऑल- हिंदी में कोर्स, महिलाओं के लिए विशेष एमबीए शुरू कर रहे

प्रोफेसर राय ने बताया कि आईआईएम इंदौर भी एजुकेशन फॉर ऑल को ध्यान में रखते हुए आने वाले वर्ष में हिंदी में प्रबंधन शिक्षा पाठ्यक्रम की योजना बना रहा है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत अधिकारियों के लिए एक पाठ्यक्रम, करियर से ब्रेक लेने के बाद फिर से करियर की शुरुआत करने वाली महिलाओं के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम के साथ दो वर्षीय ऑनलाइन एमबीए प्रोग्राम शुरू करने जा रहा है।

कोविड के बाद पहला साल जिसमें बड़े पैमाने पर बच्चे स्कूल लौटे- रुक्मिणी बनर्जी

प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन की सीईओ रुक्मिणी बनर्जी ने बताया कि कोविड महामारी के कारण देश में दो साल बाद स्कूल 2022 में खुले, लेकिन 2023 ही ऐसा साल रहा, जिसमें पूरी तरह से स्कूल लगे और बड़े पैमाने पर बच्चे वापस आए। असर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण भारत में कुल नामांकन 2018 में 97.2% से बढ़कर 2022 (सितंबर- नवंबर) तक 98.4% हो गए थे। यह आशंका जताई जा रही थी कि दो साल स्कूल बंद होने और आर्थिक समस्याओं के कारण माध्यमिक कक्षाओं (11 से 14 वर्ष) की छात्राएं स्कूल नहीं लौटेंगी, लेकिन 2018 से 2022 के दौरान देखने में आया है कि स्कूली छात्राओं की संख्या व नामांकन बढ़ा है। 2020 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की गई, इस नीति में सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में एक यह है कि अगले पांच सालों में कक्षा तीसरी तक के बच्चों को सरल पाठ पढ़ना और बुनियादी गणित करने में सक्षम बनाना शामिल है। निपुण भारत मिशन के तहत इस गतिविधि को बढ़ाया जा रहा है। 2023 में इसे लेकर अच्छी पहल की गई है, कई राज्यों में कक्षा एक, दो और तीसरी के बच्चों में शिक्षा के सुधार को लेकर ऊर्जा व संसाधन दोनों पर अच्छा काम किया जा रहा है। उम्मीद है कि शिक्षा के स्तर पर इसके परिणाम दिखाई देंगे। बड़ी संख्या में शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। शिक्षा के लिहाज से यह उल्लेखनीय वर्ष रहा है।

कौशल बढ़ाने के साथ चुनौतियां भी रहीं- एजुकेशन काउंसलर सौरभ नंदा

करियर काउंसलर और शिक्षा मनौवैज्ञानिक सौरभ नंदा ने बताया कि कोविड महामारी के बाद 2023 पहला स्थिर वर्ष रहा, जिसमें स्कूल- कॉलेज पूरी तरह से अपने प्री कोविड वाले स्थिति में देखे गए। भारत में शिक्षा के स्तर की बात करें तो इस वर्ष इसमें काफी प्रगति हुई है। नई शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद अब कौशल के साथ तकनीक शिक्षा पर फोकस किया जा रहा है। जहां तक नौकरी व करियर की बात करें तो यह साल बहुत ही गतिशील रहा है। यह जरूर है कि 2023 में आईटी सेक्टर में पिछले 25 सालों के दौरान सबसे कम नौकरियां रहीं। एआई के प्रभाव के कारण डिजिटल मार्केटिंग, एडिटिंग और कॉपी राइटिंग जैसी नौकरियां प्रभावित हुईं। इस साल ने शिक्षा के स्तर पर प्रमुखता से यह संदेश दिया है कि अब कौशल बढ़ाने के साथ नई तकनीक आधारित पढ़ाई का महत्व दिया जाए। यह सिर्फ नए लोगों के लिए नहीं बल्कि पुराने पेशेवरों के लिए भी जरूर हो गया है।

नए साल में ज्वाइंट रिसर्च, प्रोफेशनल प्रोग्राम को मिलेगा बढ़ावा

आईआईएम इंदौर के डायरेक्टर प्रोफेसर हिमांशु राय का कहना है कि वर्ष 2024 में भारत में शिक्षा क्षेत्र की प्रगति में 2020 में लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का प्रभाव जारी रहेगा। आने वाले समय में समग्र और बहु-विषयक शिक्षा, और कौशल विकास को और बढ़ावा मिलेगा। पिछले वर्षों में भारत के शिक्षा क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है, नई पहल की गई हैं। स्किल इंडिया मिशन और पीएम कौशल विकास योजना के माध्यम से शिक्षा और रोजगार के बीच अंतर को पाटा जा रहा है। नए साल में इसे लेकर बड़े कदम उठाए जाएंगे। इसके अलावा स्कूली शिक्षा में नई टेक्नोलॉजी, प्रारंभिक शिक्षा पर ज़ोर, पारंपरिक, सांस्कृतिक ज्ञान को बढ़ावा देने के साथ बेहतर टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम पर जोर दिया जाएगा। ऑनलाइन एजुकेशन, स्वयं (SWAYAM) और ई-विद्या (e-Vidya) जैसी योजनाओं से देशभर में हर वर्ग के छात्रों को इसका लाभ मिल पाएगा।

अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग और विदेशी विश्वविद्यालय के भारत में कैंपस भारतीय शिक्षा को और बढ़ाएंगे। इसके जरिए विदेशी फैकल्टी के भारतीय संस्थानों में पढ़ाने से उनके अनुभाव- ज्ञान का आदान प्रदान होगा। ज्वाइंट रिसर्च प्रोजक्ट्स और इंटर- कल्चर एजुकेशन को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। व्यावसायिक प्रशिक्षण और उद्यमिता शिक्षा के जरिए छात्रों को दुनिया की चुनौतियों के लिए तैयार किया जा सकता है, इससे उनकी रोजगार क्षमता और व्यावहारिक कौशल में वृद्धि होगी।

नए फील्ड के साथ कई नौकरियां उभरेंगी, स्किल एजुकेशन पर जोर रहेगा

करियर- एजुकेशन एक्सपर्ट सौरभ नंदा ने बताया कि नए साल में बहुत सारी नौकरियां खत्म होगीं तो नए कौशल आधारित नौकरियां बढ़ेंगी भी। अगले 5 सालों में हम बहुत सारी नई नौकरी के अवसर उभरते देखेंगे, यह जरूर है कि कुछ फील्ड में नियुक्तियां बहुत ही कम हो जाएंगी। अब युवाओं को शिक्षा- करियर को सफल बनाने के लिए नई तकनीक सीखने, एक-दूसरे की मदद करने और टेक्नोलॉजी के बीच एक बनने पर जोर देना होगा। किस फील्ड में आप बेहतर कर सकते हैं, इसका आकलन करना होगा। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा में बड़ी संख्या में छात्र विदेश जाएंगे। इसके लिए भारतीय संस्थानों को स्थानीय प्रतिभाओं को रोकने और उन्हें उस स्तर पर सक्षम बनाने के लिए वहां की प्रतिभा- कौशल को यहां उपलब्ध कराने पर जोर देना होगा। एनईपी 20 में मीडिया लिटरेसी, सस्टेनेबिलिटी लिटरेसी, न्यूट्रिशन लिटरेसी और साइबर सुरक्षा जैसे एजुकेशन स्किल को बढ़ावा देने और उसे अपने पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता है।

निपुण भारत पहल से नए साल में और मजबूत होगी बुनियादी शिक्षा

प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन की सीईओ रुक्मिणी का कहना है कि निपुण भारत शिक्षा पहल के कारण सुधार आया है और इसे लेकर पहला कदम गंभीरता से उठाया गया है। 2024 और उसके आने वाले सालों में देश में बुनियादी शिक्षा के स्तर को मजबूत करने व बनाए रखने के लिए इसी ऊर्जा और प्रयास को बनाए रखने की जरूरत है। असर 2022 की रिपोर्ट से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर कक्षा तीन के 30% से कम बच्चे ही बुनियादी कौशल प्राप्त कर चुके हैं। यदि हमें राष्ट्रीय लक्ष्य को पूरा करना है, तो अगले 5 वर्षों में इस स्तर को 100% तक यथासंभव बनाना होगा। 2024 से शुरू होने वाले प्रत्येक वर्ष में इसकी प्रगति पर नजर रखनी होगी और इस लक्ष्य को हासिल करने में शासन के साथ सामाजिक स्तर पर हर भारतीय नागरिक को अपने आसपास के बच्चों के पढ़ने- लिखने में मदद की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्थानों की उपस्थिति, विदेशी जमीन में शिक्षण केंद्र

विश्व स्तर पर भारतीय शिक्षण संस्थानों की उपस्थिति और बड़े विदेशी संस्थानों के देश में अपने केंद्र खोलने की योजना इस साल और तेज होगी। जांजीबार- तंजानिया में भारत की तरफ से आईआईटी मद्रास की स्थापना, देश के बाहर आईआईटी परिसर स्थापित होने वाले पहला संस्थान है। इसी तरह अबुधाबी में आईआईटी दिल्ली का सेंटर स्थापित करने के लिए अबूधाबी शिक्षा एवं ज्ञान विभाग और आईआईटी दिल्ली द्वारा एमओयू किया गया।