सभी प्लेटफॉर्म दिखा रहे डिस्क्लेमर, लेकिन हेल्थ स्पॉट और हेल्थ मैसेज के प्रसारण में अब भी कोताही
ओवर दि टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स पर तंबाकू रोधी कोटपा कानून लागू होने के एक महीने बाद जागरण प्राइम ने इसके अनुपालन का जायजा लिया। इसमें पाया गया कि सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने अपने कार्यक्रमों में तंबाकू रोधी डिस्क्लेमर का प्रसारण करना शुरू कर दिया है। हालांकि हेल्थ स्पॉट और हेल्थ मैसेज के प्रसारण को लेकर अब भी ये प्लेटफॉर्म गंभीर नहीं दिख रहे हैं।
स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। ओवर दि टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म्स पर तंबाकू रोधी, तंबाकू नियंत्रण कानून (कोटपा) 2003 लागू होने के एक महीने के भीतर सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने अपने कार्यक्रमों में तंबाकू रोधी डिस्क्लेमर का प्रसारण शुरू कर दिया है। हालांकि, हेल्थ स्पॉट और हेल्थ मैसेज के प्रसारण को लेकर अब भी ये प्लेटफॉर्म गंभीर नहीं दिख रहे हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स द्वारा तंबाकू को बढ़ावा देने का मुद्दा सबसे पहले जागरण प्राइम ने उठाया था।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 1 सितंबर 2023 से कोटपा कानून का दायरा ओटीटी प्लेटफॉर्म तक बढ़ाया था। इसके तहत, कार्यक्रमों में तंबाकू रोधी डिस्क्लेमर, हेल्थ स्पॉट और हेल्थ मैसेज का प्रसारण करना होता है। डिस्क्लेमर कार्यक्रम की शुरुआत में दिखाया जाता है, जिसमें कहा जाता है कि तंबाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। हेल्थ स्पॉट वीडियो मैसेज होता है। इसे भी कार्यक्रम की शुरुआत में दिखाया जाता है। जबकि हेल्थ मैसेज तब दिखाया जाता है जब कार्यक्रम के दौरान तंबाकू उपभोग के दृश्य आते हैं। सिनेमाघरों और टीवी पर यह पहले से लागू है।
इस कानून के लागू होने के एक महीने बाद जागरण प्राइम ने विभिन्न प्लेटफॉर्म पर तंबाकू रोधी डिस्क्लेमर, हेल्थ स्पॉट और हेल्थ मैसेज के प्रसारण का विश्लेषण किया। इसमें पाया गया कि सभी प्लेटफॉर्म जैसे कि जियो सिनेमा, अमेजन प्राइम वीडियो, जी-5, डिज्नी हॉट स्टार, वूट और नेटफ्लिक्स अपने कार्यक्रमों में डिस्क्लेमर का प्रसारण कर रहे हैं। जियो सिनेमा और हॉट स्टार अपने नए कार्यक्रमों में डिस्क्लेमर, हेल्थ स्पॉट और हेल्थ मैसेज तीनों का प्रसारण कर रहे हैं। लेकिन अन्य प्लेटफॉर्म हेल्थ स्पॉट और हेल्थ मैसेज का प्रसारण कम कर रहे हैं।
गैर-सरकारी संगठन वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के बिनॉय मैथ्यू कहते हैं, यह देखना उत्साहजनक है कि कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्मों ने स्वास्थ्य चेतावनियों के साथ कंटेट स्ट्रीम करने की पहल की है। यह स्पष्ट रूप से बताता है कि यह व्यावहारिक और संभव है। सभी स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्मों को इसका पालन करना चाहिए। बिनॉय कहते हैं, कोटपा का अनुपालन अब भी एक मुद्दा है, क्योंकि कई विदेशी प्लेटफॉर्म इसका पूरी तरह से अनुपालन नहीं कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट और कानूनी मामलों के जानकार रंजीत सिंह कहते हैं, भारत ने ओटीटी प्लेटफॉर्मों पर तंबाकू चित्रण को नियंत्रित करने के लिए अग्रणी कदम उठाया है। विभिन्न स्ट्रीमिंग साइटों पर तंबाकू विरोधी डिस्क्लेमर, स्पॉट और हेल्थ मैसेज का प्रदर्शन शुरू होना उनके प्रभावी होने और उनकी व्यावहारिकता का जीवंत प्रमाण है। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में इन तम्बाकू विरोधी नियमों को लागू करने के लिए सरकार की सराहना की है, क्योंकि ये पब्लिक हेल्थ के हित में है।
गौरतलब है, जागरण प्राइम ने अपनी पांच इनडेप्थ खबरों की सीरीज के जरिए बताया था कि किस तरह ओटीटी प्लेटफॉर्म तंबाकू नियंत्रण कानून कोटपा को अंगूठा दिखा रहे हैं। इन प्लेटफॉर्म पर प्रसारित होने वाली फिल्मों और वेबसीरीज में धूम्रपान के दृश्यों की भरमार तो होती ही है, साथ ही इनमें किसी प्रकार का डिस्क्लेमर भी नहीं दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, स्कूली छात्र-छात्राओं तक को धड़ल्ले से धूम्रपान और नशा करते हुए दिखाया जा रहा है।
जागरण प्राइम ने विभिन्न ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रसारित फिल्मों और वेब सीरीज का अध्ययन कर बताया था कि इनमें धूम्रपान, मदिरापान और ड्रग्स के सेवन से जुड़े दृश्यों में भी कोई चेतावनी प्रसारित नहीं की जाती। सिनेमाघरों के लिए फिल्म में पहले से मौजूद चेतावनी को भी ब्लर कर दिया जाता है। धूम्रपान के दृश्यों को इस तरह दिखाया जाता है कि वह युवाओं को ‘कूल’ और ‘ग्लैमरस’ लगें।
तंबाकू से दुनियाभर में सालाना 81 लाख मौतें होती हैं। भारत में 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लगभग 26.6 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। देश में तंबाकू के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का बोझ खासा अधिक है। इस बोझ को कम करने और देश में तंबाकू के चलन पर अंकुश के लिए भारत सरकार ने कोटपा कानून लागू किया है। इसके तहत तंबाकू और तंबाकू से बने पदार्थों के किसी भी तरह के विज्ञापन पर रोक है। यही कानून अब ओटीटी पर भी लागू हो गया है।
कोटपा कानून के उल्लंघन पर 5 साल तक की जेल और/या 5000 रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है। इसे लागू करने की जिम्मेदारी फिल्म या विज्ञापन का प्रसारण करने वाले सिनेमाघरों और टीवी चैनलों की होती है। ऑनलाइन स्ट्रीमिंग के मामले में यह जिम्मेदारी सीधा ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की बनेगी।