नई दिल्ली, अनुराग मिश्र।  एक फरवरी को पेश हुए अंतरिम बजट 2024 में कोई बड़ी घोषणा होने की उम्मीद नहीं थी। हालांकि, बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र में कुछ नई पहलों की घोषणा की गई है। गैर-स्वास्थ्य मंत्रालयों और सार्वजनिक उपक्रमों के तहत आने वाले अस्पतालों को समेकित करने और बढ़ाने के लिए एक समिति गठित करने की पहल शायद इस बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण घोषणा है। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के स्वास्थ्य शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सैकड़ों नहीं तो दर्जनों अस्पताल जुड़ जाएंगे। वित्त मंत्री ने बजट को ‘अंतरिम’ तक सीमित रखते हुए कहा कि सरकार मौजूदा अस्पतालों में बड़े बदलाव करने के लिए योजना लाएगी। देश में नए मेडिकल कॉलेज खोलने का ऐलान भी किया गया है। इससे देश में डॉक्टरों की कमी दूर करने में बड़ी मदद मिलेगी।

कोविड महामारी की अनिश्चितताओं को देखते हुए, पिछले कुछ वर्षों में बजट अनुमान, संशोधित अनुमान और वास्तविक खर्च के बीच भारी अंतर देखा गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की कमी दूर करने और भारत में चिकित्सा शिक्षा की बढ़ती मांग पूरी करने के उद्देश्य से मौजूदा अस्पतालों के बुनियादी ढांचे का उपयोग करके नए मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की योजना की घोषणा की। अप्रैल 2023 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1,570 करोड़ रुपये के बजट आवंटन के साथ 157 नए नर्सिंग कॉलेजों के निर्माण को मंजूरी दी थी, जिसमें से 1,016 करोड़ रुपये केंद्र का हिस्सा है।

नए कॉलेजों को मंजूरी

बजट भाषण में मेडिकल कॉलेजों का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अनेक युवा क्वालीफाइड डॉक्टर बनकर बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से लोगों की सेवा करना चाहते हैं। हमारी सरकार विभिन्न विभागों के तहत मौजूदा अस्पताल के बुनियादी ढांचे का उपयोग करके अधिक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की योजना बना रही है। इस उद्देश्य के लिए मुद्दों का पता लगाने और प्रासंगिक सिफारिशें करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी ने अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए 'जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान' का नारा दिया है। हमारी सरकार इसे और आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है।

इस योजना को बेहतर बताते हुए डेलॉइट इंडिया के पार्टनर कमलेश व्यास कहते हैं कि इससे मेडिकल फील्ड में आने के इच्छुक छात्रों के लिए मेडिकल सीटों की अनुपलब्धता से उत्पन्न चुनौतियों से निपटना संभव होगा। मेडिकल के अन्य सेक्टर में अवसर तलाशने वाले छात्रों को मदद मिलेगी। वहीं निजी क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के लिए दीर्घकालिक धनराशि देश में अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में काफी मददगार साबित होगी।

डेलॉइट इंडिया के पार्टनर साहिल गुप्ता के अनुसार नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में टैलेंट डेवलपमेंट के भारत के उद्देश्य को बल मिलेगा। देश में अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए 100,000 करोड़ का नया कोष स्थापित किया जाएगा। इस कोष में 50 साल का ब्याज अनुदान मिलेगा। इससे निजी क्षेत्र को मदद मिलेगी।

शारदा विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार विवेक कुमार गुप्ता कहते हैं कि सरकार ने 300 से अधिक विश्वविद्यालयों की स्थापना का लक्ष्य लेकर शिक्षा क्षेत्र पर जोर दिया है। मेडिकल छात्रों की जरूरत को पूरा करने के उद्देश्य से नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए समिति का गठन और स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार पर जोर है।

आयुष्मान हेल्थ कवर और आंगनवाड़ी वर्कर

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को 2024-2025 के लिए अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा कि आयुष्मान भारत बीमा योजना के तहत हेल्थ केयर कवर सभी मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा), आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों तक बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अंतरिम बजट में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के लिए आवंटन 6,800 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7,500 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

आशा कार्यकर्ता 2005 से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत सामुदायिक हेल्थ कार्यकर्ता हैं, जो राष्ट्रीय ग्रामीण हेल्थ मिशन का हिस्सा है। एकीकृत बाल विकास योजना के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आंगनबाड़ियों का मैनेजमेंट करती हैं। इससे पहले साल 2020 में केंद्र सरकार ने आशा कार्यकर्ता सहित सभी स्वास्थ्य वर्कर के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज बीमा योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत कोरोना वायरस के कारण मौत होने वाले हेल्थ वर्कर को 50 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर दिया गया। यह योजना इस साल 24 मार्च 2021 को समाप्त हो गई। बाद में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज को 19 अप्रैल 2022 से 180 दिन के लिए बढ़ा दिया गया।

आशा वर्कर्स यानी एक सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) के एक भाग के रूप में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा नियुक्त किया जाता है। यह मिशन 2005 में शुरू हुआ था। आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित स्वास्थ्य बीमा योजना है जिसका लक्ष्य 12 करोड़ परिवारों को माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति वर्ष 5 लाख रुपये प्रति परिवार का स्वास्थ्य कवर प्रदान करना है।

शारदा अस्पताल के जनरल फिजिशियन डा. भूमेश त्यागी का कहना है कि अंतरिम बजट में देश में मेडिकल कॉलेज बढ़ाने की योजना मेडिकल की पढ़ाई को और आसान बनाएगी। मातृ शिशु स्वास्थ्य को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया है। इससे शिशु मृत्यु दर को कम करने और मातृ स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जा सकेगा। शारदा अस्पताल के ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष का कहना है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत सभी आशा वर्कर, आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स को भी कवर किया जाएगा। निम्न वर्ग के लोगों को आसानी से इलाज मिल जाएगा। सरकार को अस्पताल में आने वाले निम्न वर्ग के मरीजों के लिए स्वास्थ्य बीमा का बजट बनाना चाहिए। जिन लोगों को इसकी आवश्यकता नहीं है, उनके लिए आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं। सभी अस्पतालों में ऐसी सुविधा होनी चाहिए ताकि आने वाले गरीब मरीजों का आसानी से आयुष्मान कार्ड बनाया जा सके और उनका मुफ्त इलाज किया जा सके।

बता दें कि आयुष्मान भारत या आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना देश की सबसे बड़ी पेपरलेस हेल्थ सर्विस योजना है। यह कैशलेस मेडिकल कवर प्रदान करती है। भारत सरकार द्वारा प्रायोजित इस योजना के माध्यम से सार्वजनिक अस्पतालों और नेटवर्क प्राइवेट हॉस्पिटल में परिवार के आकार, लिंग और उम्र से संबंधित किसी भी लिमिटेशन के बिना वंचित परिवारों को फाइनेंशियल हेल्प प्रदान किया जाता है।

आयुष्मान भारत स्कीम का लाभ

आयुष्‍मान भारत स्‍कीम के तहत 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाती है। इलाज के दौरान इसमें दवा की लागत, चिकित्सा आदि का खर्च सरकार की ओर से वहन किया जाता है। आयुष्मान भारत में 1760 बीमारियों का इलाज होता है हालांकि अब सरकार ने इसमें से मलेरिया, मोतियाबिंद ,सर्जिकल डिलीवरी, नसबंदी और गैंग्रीन जैसी 196 बीमारियों को प्राइवेट अस्पताल में होने वाले ट्रीटमेंट से हटा दिया है। मतलब इन 196 बीमारियों का इलाज आयुष्मान कार्ड धारक प्राइवेट अस्पताल में नहीं करवा सकेंगे, लेकिन सरकारी अस्पताल में इनका इलाज जारी रहेगा। जो लोग इस स्‍कीम के पात्र हैं, उन्हें एक आयुष्मान कार्ड दिया जाता है, जिसके जरिए वे अस्पताल में मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ ले सकते हैं।

पंजीकरण का तरीका

अगर आप इस योजना के पात्र हैं तो आपको इसके लिए रजिस्ट्रेशन करना होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए आपको अपने नजदीकी अटल सेवा केंद्र या जन सेवा केंद्र में जाना होगा और अपने सभी मूल दस्तावेजों की छाया प्रति/फोटोकॉपी जमा करानी होगी। इसके बाद जन सेवा केंद्र की ओर से उन छायाप्रति का असली दस्तावेजों से सत्यापन करना होगा। इसके बाद आपको रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाएगा। रजिस्ट्रेशन के 10 से 15 दिनों के बाद आपको जन सेवा केन्द्र द्वारा गोल्डन कार्ड मिलेगा। इसके बाद आप इस योजना का लाभ ले सकते हैं।

सर्वाइकल कैंसर का टीका

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए 9-14 आयु वर्ग की लड़कियों के लिए टीकाकरण को प्रोत्साहित करेगी। बजट में विभिन्न मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य योजनाओं को एक व्यापक कार्यक्रम में एकीकृत करने का प्रस्ताव है, जिसका उद्देश्य माताओं और बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की प्रभावशीलता को व्यवस्थित करना और बढ़ाना है। पोषण, प्रारंभिक बचपन देखभाल और समग्र बाल विकास में सुधार के लिए "सक्षम आंगनवाड़ी" और "पोषण 2.0" योजनाओं के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों के उन्नयन पर जोर दिया गया है, जिससे इन केंद्रों को प्रमुख सामुदायिक स्वास्थ्य संसाधनों के रूप में स्थान दिया जा सके। भारत में, सीरम इंस्टीट्यूट इंडिया (एसआईआई) सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए देश का पहला स्वदेशी एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमावायरस) वैक्सीन, सेरवावैक लेकर आया है। इस टीके को देश के टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करने से दवा की लागत संभावित रूप से कम हो जाएगी।

स्वास्थ्य बजट में बढ़ोतरी

स्वास्थ्य क्षेत्र (आयुष और फार्मास्यूटिकल्स सहित) के लिए पिछले साल के संशोधित अनुमान 86,216 करोड़ रुपये से अधिक, इस साल का कुल स्वास्थ्य बजट 98,461 करोड़ रुपये है। हालांकि, स्वास्थ्य के लिए बजट में महामारी के बाद की वृद्धि को देखते हुए, पिछले वर्ष (2023-24) के स्वास्थ्य आवंटन के लिए समग्र बजट अनुमानों में गिरावट कोई नई बात नहीं है। ऐसा 2022 में भी हुआ था, जब मांग की कमी के कारण COVID-19 तैयारियों के लिए आवंटित धन खर्च नहीं किया गया। यह एक तथ्य है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में अभी तक आवंटन और खर्च में निरंतर वृद्धि नहीं देखी गई है, जैसे कि पीने के पानी में अब देखी जा रही है, और स्वच्छता में पहले देखी गई थी। इसके अलावा, प्रधान मंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) और पीएम-आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) जैसी बुनियादी ढांचा-केंद्रित योजनाएं, जिनका महामारी के वर्षों के दौरान कम उपयोग देखा गया था, का नवीनतम आवंटन पिछले साल के बजट अनुमान से थोड़ा कम है।

यू-विन प्लेटफॉर्म

वित्त मंत्री ने संसद में कहा कि पूरे देश में तेजी से मिशन इंद्रधनुष के टीकाकरण और गहन प्रयासों के प्रबंधन के लिए नए डिजाइन किए गए यू-विन प्लेटफॉर्म को शुरू किया जाएगा। यू-विन पोर्टल, भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) को डिजिटल बनाने का कार्यक्रम वर्तमान में प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के दो जिलों में पायलट मोड में चलाया जा रहा है। यू-विन पोर्टल, कोविन पोर्टल के साथ जुड़ा हुआ है जो टीकाकरण की स्थिति को कैप्चर करता है और नियमित टीकाकरण की इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्री रखता है। सीतारमण ने कहा कि बेहतर पोषण वितरण,आंगनबाड़ी और पोषण 2.0 के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों के उन्नयन में तेजी लाई जाएगी। मिशन इंद्रधनुष के हिस्से के रूप में टीकाकरण के प्रबंधन के लिए यू-विन प्लेटफॉर्म की शुरुआत से देश भर में टीकाकरण कवरेज बढ़ाने में मदद संभव है। वहीं टीके से रोकी जा सकने वाली बीमारियों को भी इससे कम किया जा सकता है।

रिसर्च को बढ़ावा

वित्त मंत्री ने कहा कि आईसीएमआर लैब्स में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की मदद से रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा। फार्मास्यूटिकल सेक्टर में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए भी वित्त मंत्री ने नई योजना का ऐलान किया। इस योजना से फार्मास्यूटिकल सेक्टर में रिसर्च के साथ ही निवेश भी बढ़ेगा। सिकल सेल एनीमिया के लिए सर्वे किया जाएगा। नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम पर 133 करोड़, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 7200 करोड़, नेशनल हेल्थ मिशन को 36785 करोड़, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन को 4200 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।