वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट से एक बात साफ हो गई है कि कृषि क्षेत्र केंद्र सरकार के लिए प्राथमिकता पर बना हुआ है। स्वाभाविक तौर पर वित्त मंत्री ने बजट में जिन 9 प्राथमिकताओं की बात की, उनमें 'कृषि में उत्पादकता एवं जीवटता' पहले स्थान पर थी, इसलिए कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के लिए 1.52 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है।

अगर आप कई विकसित और विकासशील देशों की तुलना में भारतीय कृषि क्षेत्र की प्रति एकड़ उत्पादकता को देखें, तो भारत में यह बहुत कम है। उत्पादकता में सुधार के लिए अनुसंधान एवं विकास (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) में निवेश के साथ-साथ एडवांस तकनीकों को अपनाना आवश्यक है। 2024-25 के बजट में इन दोनों चिंताओं को दूर करने की कोशिश की गई है।

कृषि अनुसंधान व्यवस्था की व्यापक समीक्षा करने और इसके लिए निजी क्षेत्र को शामिल करने का निर्णय सही दिशा में एक सकारात्मक कदम है। कृषि में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से किसानों और देश को काफी लाभ होने की उम्मीद है। भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने के अलावा टेक्नोलॉजी फसल उत्पादन का बेहतर अनुमान लगाने और जरूरत पड़ने पर समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करने में भी मदद करेगी।

उत्पादकता बढ़ाने और आत्मनिर्भरता के लिए 32 सामान्य और बागवानी की फसलों के 109 ऊंची उत्पादकता और जलवायु के अनुसार ढलने वाली वैराइटी के बीजों के वितरण का निर्णय सरकार की जमीनी सोच का परिचायक है। दलहन और खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता के लिए इनकी उत्पादकता, भण्डारण और मार्केटिंग को मजबूत करने से सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी के उत्पादन में देश में क्रांति आने की उम्मीद है।

उपभोग केंद्रों के आसपास ही बड़ी मात्रा में सब्जियों के उत्पादन की सोच से न सिर्फ किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी, बल्कि शहरी उपभोक्ताओं यानि मिडिल क्लास को भी सब्जियां अपेक्षाकृत सस्ती उपलब्ध होंगी।