नई दिल्ली, विवेक तिवारी। जलवायु परिवर्तन के चलते मानसून का संतुलन भी बिगड़ा है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अब तक पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में बारिश सामान्य से 16 फीसदी तक कम है। जहां बिहार में सामान्य से 28 फीसदी तक कम बारिश हुई है। वहीं दूसरी तरफ गुजरात के स्वराष्ट्र और कच्छ इलाके और पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 78 फीसदी तक ज्यादा बारिश हुई है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के चलते मानसून के पैटर्न में बदलाव देखा जा रहा है। पब्लिक पॉलिसी थिंक टैंक सीईईडब्लू की हाल ही में आई एक रिपोर्ट भी इस बात की तस्दीक करती है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक दश्क में दक्षिण-पश्चिम मानसून और पूर्वोत्तर मानसून के पैटर्न में बदलाव आया है। पिछले एक दशक (2012-2022) में देश की 55 प्रतिशत तहसीलों में दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश में वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं 11 फीसदी तहसीलों में बारिश में कमी देखी गई है। राजस्थान, गुजरात, मध्य महाराष्ट्र और तमिलनाडु की कुछ तहसीलें जहां पारंपरिक रूप से सूखे की स्थिति रहती थी वहां भारी बारिश दर्ज की गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक बदलती जलवायु और गर्म होते समुद्रों के चलते आने वाले समय में देश के पश्चिमी तटीय इलाकों में बारिश और बढ़ेगी। वहीं बारिश के बदलते पैटर्न को देखते हुए हमें आने अपनी खाद्य सुनिश्चित करने के लिए अपने फसलों की प्रजातियों और फसल चक्र में भी बदलाव करने होंगे। वहीं पीने के पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए रणनीति बनानी होगी।

प्राइम के लेख सीमित समय के लिए ही फ्री हैं। इस लेख को पढ़ने के लिए लॉगइन करें।

रुकावट मुक्त अनुभव
बुकमार्क
लाइक