नई दिल्ली। जागरण प्राइम, जागरण न्यू मीडिया की ओर से दिल्ली के होटल द अशोक में “जागरण एग्री पंचायत” का आयोजित किया गया। यहां किसान, एग्री-बिजनेस के लीडर, एग्री-स्टार्टअप और एग्रीकल्चर एक्सपर्ट सहित कृषि से जुड़े सभी हितधारकों ने एक मंच पर आकर खेती को बेहतर बनाने, किसानों की आय बढ़ाने, नए मार्केटिंग चैनल, नई तकनीकी, बेस्ट प्रैक्टिसेस पर बात की। इस कॉन्क्लेव में उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने आर्गेनिक और प्राकृतिक खेती, एमएसपी सहित उत्तराखंड के किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी दी । उन्होंने कहा कि 2025 में उत्तराखंड राज्य को बने 25 साल हो रहे हैं। ऐसे में सरकार ने राज्य में 50 फीसदी ऑर्गेनिक खेती का लक्ष्य रखा है। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश :-

उत्तराखंड सरकार ऑर्गेनिक खेती को काफी बढ़ावा दे रही है। इसके क्या परिणाम मिले हैं। किसानों को किस तरह से फायदा मिल रहा है?

भारत सरकार ऑर्गेनिक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है। किसानों के लिए ऑर्गेनिक खेती के कई फायदे हैं। आर्गेनिक के नाम पर कृषि उत्पादों के दाम तीन गुना तक बढ़ जाते हैं। इससे किसानों को अच्छी आय होती है। पिछले 4 साल से ऑर्गेनिक खेती में उत्तराखंड पहला पुरस्कार ले रहा है। आज उत्तराखंड में कुल खेती में 40 फीसदी हिस्सेदारी आर्गेनिक की है। 2025 में उत्तराखंड राज्यों को बने हुए 25 साल पूरे हो जाएंगे। उत्तराखंड सरकार का संकल्प है कि 2025 में राज्य में कम से कम 50 फीसदी खेती पूरी तरह से आर्गेनिक हो। आज हमने 18 हजार से अधिक हेक्टेयर का क्षेत्र ऑर्गेनिक खेती के लिए चयनित किया है। आज हमारा आम किसान आर्गेनिक खती से जुड़ रहा है। रासायनिक खाद और कीटनाशकों से उपज तो बढ़ती है लेकिन जमीन की उर्वराशक्ति पर असर पड़ता है। कई तरह के रोग बढ़ते हैं। 2000 में उत्तराखंड बना था तब यहां 8 लाख हेक्टयर में खेती होती थी जो 2023 में घट कर 6 लाख हेक्टेयर हो गई। लेकिन आर्गेनिक खेती के चलते हमारा उत्पादन काफी बढ़ गया। 2000 में जहां उत्तराखंड में 16 लाख मिट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन करते थे वहीं 2023 में यह बढ़ कर 19 लाख टन हो गया।

आर्गेनिक खेती के साथ ही प्राकृतिक खेती पर भी सरकार का जोर है। इसके लिए हमने गंगा किनारे का 22 हजार हेक्टयर क्षेत्र चुना है। वहीं मिलेट्स भी उत्तराखंड की पारंपरिक खेती है। आज उत्तराखंड सरकार ने मिलेट्स मिशन में 73 करोड़ की व्यवस्था की है। जहां हम अन्य फसलों के लिए बीज में 50 फीसदी की सब्सिडी देते हैं वहीं मिलेट्स के लिए सरकार अतिरिक्त 30 फीसदी सब्सिडी दे रही है। मिलेट्स इंस्टीट्यूट हैदराबाद ने जब उत्तराखंड के मिलेट्स की टेस्टिंग की ये देश में सबसे बेहतर पाया गया। हाल ही में उत्तराखंड सरकार से होटल ललित ने एक समझौता किया है। इसके तहत उत्तराखंड के मिलेट्स के उत्पाद इस होटल के मेन्यू में शामिल किए गए हैं।

सरकार किसानों को मिलेट्स के उत्पादन के लिए किस तरह से प्रोत्साहित कर रही है ?

आज सबसे ज्यादा एमएसपी मंडुए की है। उत्तराखंड सरकार ने संकल्प लिया है कि इसके उत्पादन को दो गुना किया जाएगा। पहले किसानों को इसका सही दाम नहीं मिलता था। आज सरकार स्वयं सहायता समूह के जरिए इसकी खरीद एमएसपी पर कर रही है। इस खरीद के लिए सरकार 3 रुपये किलो का इंसेंटिव स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दे रही है। उत्तराखंड सरकार की योजना है कि 2025 तक लगभग डेढ़ लाख बहनों को लखपति दीदी बनाया जाएगा। अब तक 93 हजार महिलाओं को लखपति दीदी बनाया गया है। भारत सरकार के लिए किसानों के मुद्दे कितने अहम हैं इसको इससे समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ लेने के बाद पहली फाइल पीएम सम्मान निधि की साइन की थी। लगभग 20 हजार करोड़ रुपये रिलीज हुआ। हमें इस बात को समझना होगा कि देश को मजबूत करना है तो किसानों को भी समृद्ध बनाना होगा।

क्लाइमेट चेंज का उत्तराखंड की खेती पर किस तरह का प्रभाव है?

मेमौसमी बारिश, ओलावृष्टि, सूखा आदि घटनाओं से उत्पादन पर असर हो रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए हम ज्यादा से ज्यादा किसानों को फसलों का बीमा कराने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसमें आपदा के चलते होने वाले नुकसान का लगभग 33 फीसदी भारत सरकार देती है। वहीं 20 से 25 फीसदी बीमा कंपनी देती है।

उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य है। बड़े क्षेत्र में जंगल हैं। ऐसे में जंगली जीवों के चलते किसानों को कई तरह की मुश्किल होती है। इस समस्या से निपटने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?

उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में लोगों के पलायन का बड़ा कारण जंगली जानवरों की वजह से फसलों को बर्बाद कर दिया माना रहा है। कुछ समय पहले तक भारत सरकार से खेतों की फेंसिंग के लिए पैसा मिलता था। लेकिन पिछले कुछ समय से ये पैसा नहीं मिल पा रहा है। हम किसानों को सोलर फैंसिंग के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।