कृषि बजट 11 हजार करोड़ रुपये बढ़ा, रिसर्च के लिए मिलेंगे ज्यादा पैसे
मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट में वित्त मंत्री ने सरकार की जिन 9 प्राथमिक्ताओं का जिक्र किया उनमें कृषि भी शामिल है। सरकार ने एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं। इनमें कृषि उत्पादकता को बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए मौसम में बदलाव को बरदाश्त कर सकने वाली फसलों की प्रजातियों को विकसित करने पर जोर दिया गया है।
नई दिल्ली, विवेक तिवारी। मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट में वित्त मंत्री ने सरकार की जिन 9 प्राथमिक्ताओं का जिक्र किया उनमें कृषि भी शामिल है। सरकार ने एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं। इनमें कृषि उत्पादकता को बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए मौसम में बदलाव को बरदाश्त कर सकने वाली फसलों की प्रजातियों को विकसित करने पर जोर दिया गया है। इसके लिए एग्रीकल्चर रिसर्च के बजट को भी बढ़ाया गया है। वित्त मंत्री ने कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों के लिए बजट में 1.51 लाख करोड़ रुपए प्रावधान किया है। 2023-2024 बजट में कृषि को 1.40 करोड़ रुपए मिले थे। बजट में तिलहन में आत्मनिर्भरता, सब्जी उत्पादन केन्द्र विकसित करने और खेती के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की बात कही गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस बजट से आने वाले समय में एग्रीकल्चर सेक्टर की विकास की रफ्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी। लेकिन बजट में किसानों की आय बढ़ाने और एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित न किए जाने से काफी निराशा हुई।
बजट में कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने तथा मौसम में बदलाव के अनुकूल फसलों को विकसित करने के लिए केन्द्रीय बजट 2024-25 में कृषि अनुसंधान पर जोर, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा और राष्ट्रीय सहकारिता नीति जैसे विभिन्न उपायों की घोषणा की गई है। वित्त मंत्री ने कहा कि उत्पादकता बढ़ाने और फसलों की मौसम में बदलाव को सहने वाली किस्मों के विकास के लिए सरकार एग्रीकल्चर रिसर्च सिस्टम की व्यापक समीक्षा करेगी। वहीं वित्त मंत्री ने कहा कि सरकारी और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ इन अनुसंधानों के संचालन की देखरेख करेंगे। बजट में किसानों की खेतीबाड़ी के लिए फसलों की उच्च उपज वाली 109 नई किस्मों तथा जलवायु अनुकूल 32 नई किस्मों को जारी करने की घोषणा की गई है। इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी एराइड ट्रॉपिक्स के क्लस्टर लीडर डॉक्टर शैलेंद्र कुमार कहते हैं कि सरकार ने इस बजट में एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं। आज कृषि के सामने सबसे बड़ी चुनौती बदलता मौसम है। ऐसे में रिसर्च में पैसा बढ़ाना और मौसम में बदलाव को सह पाने वाली किस्मों पर जोर देना आज की जरूरत है। वेजिटेबल क्लस्टर विकसित करना और बायो इनपुट सेंटर बनाने की स्कीम से भी आने वाले समय में इस सेक्टर को बड़ा फायदा मिलेगा। लेकिन हमें ये देखना होगा कि सरकार की ओर से जिन स्कीमों का ऐलान किया गया है उसको जमीन पर कैसे उतारा जाता है।
गौरतलब है कि पिछले बजट में सरकार ने कोऑपरेटिव मोड पर बड़े पैमाने पर गोदाम बनाने की बात कही थी जिस पर अब तक बहुत काम होता नहीं दिख रहा है। एग्रीकल्चर सेक्टर में भी बड़े पैमाने पर स्किल्ड लोगों की जरूरत है। इन्हें सरकार कैसे पूरा करती है ये भी देखना होगा। वहीं किसानों की आय बढ़ाने के लिए उत्पादन की लागत को कम करना, आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल और उत्पाद की कीमत तीन अहम बातें मायने रखती हैं। इनके बीच सरकार किस तरह से तालमेल बनाती है ये देखना होगा।
वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि अगले दो वर्षों में पूरे देश में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक कृषि के लिए सहायता दी जाएगी। इसमें उन्हें प्रमाण-पत्र दिए जाने और ब्रांडिंग की व्यवस्था भी शामिल होगी। उन्होंने कहा कि इस स्कीम को वैज्ञानिक संस्थाओं और इच्छुक ग्राम पंचायतों की मदद से लागू किया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए 10,000 जैव-इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित कृषि वैज्ञानिक रामचेत चौधरी कहते हैं कि प्राकृतिक खेती पर सरकार का जोर देना अच्छी पहल है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती ये है कि सरकार के पास फिलहाल ऐसा कोई डेटा नहीं कि कौन से किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। और जो किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं उन्हें सरकार से किसी तरह की मदद नहीं मिल रही है। सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की योजना का फायदा किस तरह से आम किसानों तक पहुंचाएगी ये देखना होगा। सरकार ने धान का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए एमएसपी को बढ़ा कर 2300 कर दिया है जो स्वागत योग्य कदम है। उम्मीद थी की सरकार एमएसपी पर खरीद को सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम उठाएगी। लेकिन बजट में इस तरह का कोई प्रावधान न होने से काफी निराशा हुई। दुनिया भर के विकसित देश अनिवार्य रूप से किसानों की उपज को एमएसपी पर खरीदते हैं। लेकिन भारत में किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता।
सरकार कुछ फसलों के लिए एमएसपी जारी भी करती है लेकिन कुछ एक निश्चित समय के लिए खरीद होती है। इसे में सिर्फ सक्षम किसान ही अपनी फसल सरकार को बेच पाते हैं। बाकी छोटी किसानों को आढ़तियों को अपनी उपज एमएसपी से कम दाम पर बेचनी पड़ती है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार सहकारी क्षेत्र की तर्ज पर व्यवस्थित और चहुँमुखी विकास के लिए राष्ट्रीय सहकारी नीति पेश करेगी। उन्होंने कहा कि इस नीति का लक्ष्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में तेजी लाना और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों का सृजन करना है। एग्रिकल्चर पॉलिसी एक्सपर्ट देवेंद्र शर्मा कहते हैं कि बजट में वित्त मंत्री ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही है, 10 हजार बायो रिसोर्स सेंटर भी बनाए जाने का ऐलान किया गया है। ये दोनों ऐलान स्वागत योग्य हैं। लेकिन सरकार को एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए जितना किया है उससे ज्यादा किए जाने की जरूरत थी। सरकार ने एक तरह से बहुत अच्छा मौका गवां दिया। अगर हम बजट में किए गए प्रावधानों की बात करें तो किसानों के लिए आज कोई बहुत बड़ी राहत नहीं है। निश्चित तौर पर जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए नई फसलों के आने से किसानों को फायदा होगा लेकिन ये बहुत लम्बी प्रक्रिया है। नई फसलों पर शोध और उनके बाजार तक आने में काफी समय लगता है। ऐसे में बजट में ऐलान से जलवायु परिवर्तन के प्रभावाओं को कम कर पाने में तत्काल राहत नहीं मिलेगी। वहीं सरकार ने तलहन में आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन ये लक्ष्य काफी समय से है।
हम अपना तिलहन का दत्पादन नहीं बढ़ा पाए जबकि आज हम अपनी खाद्य तेल की जरूरत को पूरा करने के लिए लगभग पाम ऑयल पर निर्भर हैं। भारत अपनी खाद्य जरूरत का लगभग 43 फीसदी तेल पाम ऑयल के तौर पर आयात कर रहा है। तिलहन में आत्मनिर्भर होने के लि हमें पाम ऑयल के आयात पर लगाम लगाने की जरूरत है। हमारे किसान सक्षम हैं। आधुनिक तकनीक और बेहतर कीमत की मदद से हम हम उन्हें तिलहन के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी की गारंटी की है। सरकार ने इस पर भी बजट में कोई ऐलान नहीं किया है। छत्तीसगढ़ में किसानों को धान की उपज के लिए लगभग 3100 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी मिल रही है जबकि बाकी देश में किसानों को लगभग 2300 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत देने का ऐलान किया गया है। उम्मीद भी कि कम से कम छत्तीसगढ़ के बराबर ही सरकार देश के किसानों को एमएसपी देती। सरकार खेती में डिजिटाइजेशन पर जोर दे रही है। लेकिन हमें इस बात को समझना होगा कि खेती में डिजिटाइजेशन से किसानों को कम उद्योगपतियों या कॉर्पोरेट को ज्यादा फायदा होगा। वित्त मंत्री ने दलहन के लिए भी देश को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है। दाल और दलहन के मामले में देश को आत्मनिर्भरता बनाने को इनके प्रोडक्शन, स्टोरेज और मार्केटिंग पर खास ध्यान दिया जाएगा।
बजट में झींगा ब्रूड-स्टॉक्स न्यूक्लियस ब्रीडिंग केंद्रों का नेटवर्क स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि झींगा पालन, उनके प्रसंस्करण और निर्यात के लिए नाबार्ड के माध्यम से वित्तपोषण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने सभी प्रमुख फसलों के लिए एक महीने पहले उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्यों की घोषणा की है। यह लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत मार्जिन के वायदे के अनुरूप है। वहीं बजट में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अगले पांच के लिए बढ़ाने का भी ऐलान किया गया है। इस योजना का लाभ 80 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ मिल रहा है।