एस.के. सिंह, नई दिल्ली। ‘एग्रीकल्चरल स्टैटिस्टिक्स एट ए ग्लांस 2022’ में 2011 की आखिरी जनगणना के हवाले से बताया गया है कि देश की 68.9% आबादी ग्रामीण है और कुल श्रमिकों में 54.6% कृषि क्षेत्र में हैं। भारत के समावेशी विकास में ग्रामीण और कृषि क्षेत्र की अहमियत का अंदाजा इन तथ्यों से मिलता है। इसलिए ग्रामीण आबादी, खास कर किसानों को शामिल किए बगैर विकास समावेशी नहीं हो सकता है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार, गरीबी दूर करने और साझी संपन्नता के लिए कृषि सबसे शक्तिशाली जरिया है। गरीबों की आमदनी बढ़ाने में अन्य सेक्टर की तुलना में कृषि क्षेत्र दो से चार गुना अधिक सक्षम होता है।

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