नई दिल्ली, संदीप राजवाड़े।

जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने ‘ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस’ की घोषणा की। 19 देश और 12 अतंरराष्ट्रीय संगठनों के साथ शुरू किए गए इस कदम को दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस अलायंस का मकसद दुनियाभर में पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल के मिश्रण को बढ़ावा देना है। यह अलायंस बायोफ्यूल का उपयोग में बढ़ोतरी, इससे जुड़े रिसर्च और नई तकनीक को विकसित करने पर फोकस करेगा। इसके अलावा यह बायोफ्यूल से जुड़े मानक तय करने पर भी काम करेगा। इंटरनेशनल सोलर अलायंस के बाद ये दूसरी बार है जब भारत हरित ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया के बड़े देशों को एक मंच में लाने पर कामयाब रहा है। जानकारों का मानना है कि अगले कुछ सालों के दौरान पेट्रोल-डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होने के साथ दुनिया के क्लाइमेट को सुरक्षित रखने के रूप में यह अलायंस बड़ा प्रभाव डालेगा। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी कहते हैं, आज दुनिया में बायोफ्यूल का बाजार 100 अरब डालर का है, जो 2050 तक 500 अरब डालर से ऊपर का हो जाएगा। पुरी ने बताया कि 19 देशों ने अलायंस ज्वाइन कर लिया है। इसमें 7 देश जी-20 के स्थाई सदस्य, 4 आमंत्रित देश, जबकि 8 नॉन जी-20 देश शामिल हैं।

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बायो एनर्जी से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इस अलायंस के बनने से अगले कुछ सालों के दौरान बायोफ्यूल्स के जनरेशन-3 और जनरेशन-4 तकनीक का उपयोग किया जाने लगेगा। इससे दो फायदे होंगे। पहला, अभी बायोफ्यूल इथेनॉल के उत्पादन के लिए जमीन और पानी दोनों की अधिकता की जरूरत होती है, अपग्रेड तकनीकी में ऐसा नहीं होगा। दूसरा फायदा यह होगा कि इसका उपयोग बढ़ने से भारत जैसे देशों में जीवाश्म ईंधन पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता अगले पांच सालों 20 से 30 फीसदी तक कम हो सकती है।

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि भारत की तरफ से अगले साल से पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल मिश्रण के साथ बेचा जाना निश्चित किया गया है। 20 फीसदी इथेनॉल मिश्रण को मिलाकर जीवाश्म ईंधन बेचने का अनुरोध दुनिया के सभी देशों से किया गया है।

पर्यावरण सुरक्षा के साथ दुनियाभर में बायोफ्यूल की डिमांड बढ़ेगी

जी-20 शिखर सम्मेनल में भारत की एक उपलब्धि के तौर पर देखे जा रहे ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस को लेकर जागरण प्राइम ने बायोफ्यूल एनर्जी से जुड़े विशेषज्ञों से बात की और जाना कि कैसे यह अलायंस भारत के साथ दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे आने वाले समय से कैसे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी? इससे जलवायु परिवर्तन पर किस तरह का असर पड़ेगा?

केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि अलायंस का सदस्य बनने से भारत समेत अन्य साथी देश एक दूसरे बायोफ्यूल से जुड़े रिसर्च को बढ़ावा देने के साथ नई तकनीक पर फोकस करेंगे। इसका फायदा यह होगा कि बायोफ्यूल की डिमांड बढ़ेगी और दूसरी तरफ पर्यावरण सुरक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा। इस अलायंस से बनने से किसान की आय बढ़ने के साथ नौकरी बढ़ने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि किसानों की फसल बायोफ्यूल के लिए उपयोग करने से खाद्य सुरक्षा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर हवाई जहाजों में एक फीसदी बायोफ्यूल मिश्रण मिलाया जाता है तो सालाना 14 करोड़ रुपए की बचत होगी। इसको बढ़ावा देने से पांच लाख किसानों को फायदा होगा और एक लाख से ज्यादा रोजगार के मौके बढ़ेंगे। पर्यावरण अनुकूल एटीएफ आपूर्ति करने में भारत विश्व का केंद्र बन सकता है।

बायोफ्यूल एनर्जी से जुड़ी एजेंसियों का मानना है कि 2022 में विश्व में इथेनॉल का बाजार 99.06 बिलियन डालर था, जिसके 2032 तक 5.1 फीसदी बढ़कर 162.12 बिलियन डालर हो जाने का अनुमान है। आईईए के अनुसार नेट जीरो के लक्ष्य के कारण 2050 तक बायोफ्यूल में 3.5 से 5 फीसदी तक की बढ़ोतरी संभव है। उस दौरान इसका बाजार 500 अरब डालर से ज्यादा होने का अनुमान है।

नई तकनीक-रिसर्च के साथ जल्द जनरेशन 3 और 4 से बनेगा बायोफ्यूल

बायोफ्यूल एनर्जी के जानकार और आई फॉरेस्ट के सीईओ चंद्र भूषण का कहना है कि बायोफ्यूल्स अलायंस का बनना एक बड़ा कदम है। आज भारत करीबन 90 फीसदी पेट्रोल-डीजल आयात करता है। इसकी निर्भरता कम करने के लिए यह अलायंस आने वाले समय में प्रभावशील साबित होगा। आज भारत में बायोफ्यूल्स के रूप में अधिकतर शुगर केन से ही इथेनॉल बनाया जाता है, जो जनरेशन- 2 है। इससे आगे जाकर आने वाले समय में बायोफ्यूल्स जनरेशन-3 और जनरेशन-4 तकनीक पर काम किया जाएगा। इथेनॉल बनाने में पानी के साथ जमीन की बड़ी मात्रा में जरूरत होती है। इसे कम करने के लिए नई तकनीक और रिसर्च पर भी बढ़ावा दिया जाएगा। बायोफ्यूल के जनरेशन-3 के रूप में काई (अल्गी) का उपयोग किया जाएगा, इसमें बड़ी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है। यह एक बड़ा विकल्प है, इसे लेकर कई रिसर्च भी किए जा रहे हैं। इसके साथ बायोफ्यूल जनरेशन-4 के रूप में जेनेटिकली मोडिफाइड करके किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि मेरा आकलन है इसे बढ़ावा देने से दुनिया में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। अगर यह अलायंस अगले बायोफ्यूल के रिसर्च- तकनीक संसाधन पर खर्च करता है तो अगले पांच साल में जनरेशन 3 और 4 को बढ़ावा दिए जाने लगेगा। भारत जैसे देशों में इससे 20 से 30 फीसदी तक पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम हो जाएगी।

विदेशी मुद्रा के साथ कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में होगी बचत

काउंसिल ऑफ एनर्जी इनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) की सीनियर प्रोग्राम लीड डॉ. हिमानी जैन ने बताया कि भारत, ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस का संस्थापक सदस्य है। यह इथेनॉल उत्पादक और उपभोक्ता देशों के साथ साझेदारियों में सुधार करते हुए इथेनॉल मिश्रण से जुड़ी भारत के लक्ष्यों को सुविधाजनक बनाएगा। इथेनॉल मिश्रण तय समय से पहले 2013-14 में 1.53% से बढ़कर 2021-22 में 10% हो गया। इन प्रभावशाली आंकड़ों के साथ इस उद्देश्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है। इसके परिणामस्वरूप विदेशी मुद्रा और कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन में भारी बचत हुई है। वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के जरिए इथेनॉल मिश्रण की दिशा में दिखाए गए भारत के नेतृत्व से अन्य देशों को भी लाभ होगा।

डॉ. हिमानी ने बताया कि हमारे आकलन से संकेत मिलता है कि 2070 तक अपना नेट-जीरो लक्ष्य पाने के लिए, भारत को परिवहन क्षेत्र में कार और ट्रक दोनों ही ट्रांसपोर्ट सेगमेंट में करीब 80 फीसदी ईवी की आवश्यकता होगी। शेष 20% वाहनों के लिए 2070 तक ई85 जैसे उच्च जैव ईंधन मिश्रण का उपयोग किए जाने की संभावना है। सड़क पर चलने वाले कुल वाहनों में दोपहिया वाहन की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है। इस लिहाज से भारत ने इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल की दिशा में रणनीतिक प्रगति की है। सरकार की तरफ से 2025-26 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।

भारत दुनिया को एक हरित और ऊर्जा सुरक्षित भविष्य देगा

बजाज हिन्दुस्थान शुगर लिमिडेट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जागरण प्राइम से कहा कि भारत ने जी-20 समिट में वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन का आगाज करके पूरे देश और पूरे विश्व को इस दिशा में प्रोत्साहित किया है। सदस्य देशों को 20 फीसदी इथेनॉल को उपयोग में लाने और गठबंधन से विश्व के देशों को जुड़ने का आह्वान करने से इस उद्योग के लिए जहां तरक्की का रास्ता खुलेंगे वहीं पर्यावरण की दृष्टि से भी हम सुरक्षित होंगे। इस पहल से हम निश्चित रूप से सामूहिकता में समाहित होकर एक हरित और टिकाऊ दुनिया की दिशा में काम करने में सक्षम होंगे। हमारा विश्वास है कि इस बायो फ्यूल अलायंस से न केवल बाजार पहुंच के रास्ते का विस्तार होगा बल्कि टिकाऊ ऊर्जा समाधानों को मजबूती मिलेगी। साथ ही भारत और दुनिया के लिए एक हरित और अधिक ऊर्जा-सुरक्षित भविष्य में योगदान कर सकता है।

दि एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टिट्यूट (टेरी) के श्री प्रकाश ने बताया कि इस अलायंस का इरादा प्रौद्योगिकी प्रगति को सुविधाजनक बनाने, टिकाऊ जैव ईंधन के उपयोग को और बढ़ाने और मजबूत आकार देने के साथ बायोफ्यूल के वैश्विक उत्थान में तेजी लाने को लेकर किया गया है। अलायंस का लक्ष्य एक उत्प्रेरक मंच के रूप में काम करना है, जो बायोफ्यूल की उन्नति और व्यापक रूप से अपनाने के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है।

ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस में 19 देश और 12 इंटरनेशनल संगठन शामिल

ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस में 19 देश के साथ 12 अतंरराष्ट्रीय संगठन शामिल होने की सहमति दे चुके हैं। इसमें अलायंस का समर्थन करने वाले जी-20 के सात देश अर्जेटीना, ब्राजील, कनाडा, भारत, इटली, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका शामिल हैं। इसके अलावा अलायंस के समर्थन करने वाले जी-20 आमंत्रित चार देश बांग्लादेश, सिंगापुर, मॉरिशस और यूएई हैं। भारत के इस अलायंस को गैर जी-20 के आठ देशों का भी समर्थन हासिल हुआ। इसमें आइसलैंड, केन्या, गुयाना, पैराग्वे, सेशेल्स, श्रीलंका, युगांडा और फिनलैंड हैं।

12 अतंरराष्ट्रीय संगठन- विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, विश्व आर्थिक मंच, विश्व एलपीजी संगठन, यूएन एनर्जी फॉर ऑल, यूनिडो, बायोफ्यूचर्स प्लेटफॉर्म, अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा मंच, अंतरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी और विश्व बायोगैस एसोसिएशन शामिल हैं। ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस के सदस्यों में 85 फीसदी इथेनॉल का उत्पादन करने वाले तीन देश अमेरिका (52 फीसदी), ब्राजील (30 फीसदी) और भारत (तीन फीसदी) हैं। इन तीन देशों द्वारा 81 फीसदी खपत भी किया जाता है।