Heart Disease in India: भारत में तेजी से बढ़े हार्ट फेल के केस, 30 से 45 साल के लोगों में बढ़े मामले
दुनिया भर में सबसे अधिक मामले इस्केमिक हार्ट रोग के होते हैं। यह कुल मामलों का 26.5 फीसद होते हैं। जबकि हाइपर सेंसिटिव हार्ट रोग और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज कुल मामलों का क्रमश 26.2 और 23.4 प्रतिशत होते हैं।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। बीते कुछ सालों में भारत में ऐसे हार्ट फेल के मामले युवाओं में बढ़े हैं। हाल में ही गायक केकी और अभिनेता पुनीत राजकुमार की मृत्यु इसके उदाहरण है। यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी की रिपोर्ट कहती है कि हार्ट फेल से होने वाली मौतों के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है। यही नहीं रिपोर्ट इस बात की भी तस्दीक करती है कि वायु प्रदूषण भी कार्डियोवास्कुलर रोग और सांस की बीमारी जैसे रोगों का प्रमुख कारण है। रिपोर्ट के अनुसार भारत के अलावा चीन में ये मामले सबसे अधिक है। यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी की रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले भारत और चीन में विश्व के 46.5 फीसदी नए मामले सामने आए हैं।
चेतावनी देती है एनसीआरबी की रिपोर्ट
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से 2019 के दौरान हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में 53 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। 2014 में हार्ट अटैक से जहां 18,309 लोगों की मौत हुई थी जो आंकड़ा 2019 में बढ़कर 28,005 हो गया। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में हार्ट अटैक से 1940 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी वहीं 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 2381 हो गया।
तीस से 45 साल की उम्र के लोगों में भी हार्ट अटैक से होने वाली मौतें बढ़ी है। 2016 में इस आयु वर्ग के 6,646 लोगों की मृत्यु हुई तो 2019 में 7,752 लोगों का इस वजह से निधन हुआ। 45 से 60 आयु वर्ग के 8,862 लोगों की 2016 में हृदयाघात के कारण मौत हुई तो 2019 में 11,042 लोग इस वजह से जिंदगी की जंग हार गए।
इतने बढ़े मामले
यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी के शोध के मुताबिक, 2017 में हार्ट फेल के केसों की संख्या 64.3 मिलियन थी जिसमें 29.5 मिलियन पुरुष थे जबकि महिलाओं की संख्या 34.8 मिलियन थी। रिपोर्ट के अनुसार, 1990 से 2017 के बीच हार्ट फेल के मामलों में 91.9 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। अध्ययन के अनुसार 1990 से 2017 के दौरान हार्ट फेल के मामले करीब-करीब दोगुने हो गए है।
यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित शोध के अनुसार हार्ट फेल के मामले 70 से 74 साल के पुरुषों में अधिक है। वहीं 75-79 साल की महिलाओं में हार्ट फेल के मामले ज्यादा है। प्रमुख बात यह है कि 70 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हार्ट फेल के मामले अधिक है। रिपोर्ट में बड़ी बात यह है कि हार्ट फेल के मामले 1990-2017 के दौरान चीन और भारत में सबसे अधिक बढ़े हैं। चीन में हार्ट फेल के मामले 29.9 फीसद बढ़े है वहीं भारत में 16 फीसद बढ़े है। यानी सीधे तौर पर कहें तो यह एशिया में तेजी से बढ़ रहा है।
दुनिया भर में सबसे अधिक मामले इस्केमिक हार्ट रोग के होते हैं। यह कुल मामलों का 26.5 फीसद होते हैं। जबकि हाइपर सेंसिटिव हार्ट रोग और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज कुल मामलों का क्रमश: 26.2 और 23.4 प्रतिशत होते हैं। रिपोर्ट के अनुसार इस्केमिक हार्ट रोग, ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और अल्कोहल कार्डियोपैथी पुरुषों में अधिक होती है जबकि हाइपर सेंसिटिव हार्ट रोग और रयूमेटिक हार्ट रोग महिलाओं में अधिक होते हैं।
ये कहते हैं विशेषज्ञ
पार्क अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डा. रवींद्र भुक्कर कहते हैं कि हार्ट अटैक के लक्षण बेहद मामूली होते हैं। पैदल चलते समय सांस का फूलना, पसीना आने लगा है तो तय मानें कि आपके हार्ट की नसें ब्लॉक होने शुरू हो गई है। कुछ देर आराम करने से पहले जैसी स्थिति में आ जाएंगे, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। बेहतर होगा कि किसी कार्डियोलॉजिस्ट के पास जाएं। चिकित्सक जो भी परामर्श दें, परहेज बताएं , उसका गंभीरता से पालन करने से आप हार्ट अटैक से बच सकते हैं।
मौत के 10 बड़े कारण
डब्ल्यूएचओ ने 2019 में दुनिया में होने वाली मृत्यु के 10 कारणों की रिपोर्ट जारी की थी। जिसमें दिल का कारण प्रमुख था। दिल की बीमारी, स्ट्रोक, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (लंबे समय तक फेफड़ों में रुकावट), श्वसन संक्रमण, नवजात को होने वाली बीमारियां व समस्याएं, श्वास नली, ब्रोनेक्स और फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौत, अल्जाइमर और मनोभ्रंश, डायरिया, डायबिटीज और किडनी की बीमारियां।
- इस्केमिक हार्ट रोग: इस्केमिक हार्ट रोग ऐसी स्थिति है जो दिल में रक्त की आपूर्ति को प्रभावित करती है। रक्त वाहिकाओं को उनकी दीवारों पर कोलेस्ट्रॉल के जमाव के कारण संकुचित या अवरुद्ध कर दिया जाता है। इससे हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति कम हो जाती है, जो दिल की उचित कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक है। इसकी वजह से अचानक रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है , जिसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा पड़ता है।
- हाइपर सेंसिटिव हार्ट रोग: हाइपर सेंसिटिव हार्ट रोग की मुख्य वजह उच्च रक्तचाप माना जाता है। इसकी वजह से हाइपरटेंशन होता है। ऐसे में दिल की बीमारी होने की संभावना बढ़ती है जिससे हार्ट फेल होने की प्रायिकता बढ़ती है।
- क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज: क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज फेफड़ों की बीमारी है। इसके लक्षण अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से मिलते-जुलते हैं। यह क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस है जिसमें मरीज की एनर्जी कम हो जाती है, वह कुछ कदम चलकर ही थक जाता है। सांस नली में नाक से फेफड़े के बीच सूजन के कारण ऑक्सीजन की सप्लाई घट जाती है। इसका असर
लैसेंट की रिपोर्ट में ये आया था सामने
लैंसेट' में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के मुताबिक इस्केमिक (आईएचडी) हृदय रोग के दुनियाभर में मामलों का करीब चौथाई हिस्सा अकेले भारत में होता है। दिल में खून की कम आपूर्ति इस बीमारी का प्रमुख लक्षण है। इस्केमिक हृदय रोग भारतीय मरीजों में हार्ट फेलियर का मुख्य कारण है।