प्राइम टीम, नई दिल्ली। लगभग 50 वर्षों के खुलेपन के बाद, चीन फिर से खुद में सिमट रहा है। यह बदलाव चीन की ग्रोथ को काफी हद तक रोक सकता है। इस बीच भारत अब तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनने की अपनी गति में अजेय दिख रहा है। हमारा अनुमान है कि भारत 2032 में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, 2035 में 10 लाख करोड़ डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगा। ब्रिटेन के थिंकटैंक सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (CEBR) ने अपनी नवीनतम वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल-2023 में यह अनुमान जताया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत में 2022 में अनुमानित पीपीपी समायोजित जीडीपी (GDP) प्रति व्यक्ति 8,293 डॉलर थी। कृषि भारत के अधिकांश श्रमिकों बाजार को रोजगार देती है, लेकिन देश की अधिकांश आर्थिक गतिविधियों का केंद्र सेवा क्षेत्र है। महामारी का इस दक्षिण एशियाई देश पर विशेष रूप से विनाशकारी प्रभाव पड़ा इसके चलते वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी उत्पादन में 6.6% की गिरावट के साथ, आर्थिक गतिविधियों में उल्लेखनीय गिरावट आई।

रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी के थमने के साथ आर्थिक गतिविधियों में तेज उछाल आया। इसके फलस्वरूप वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की जीडीपी में 8.7% की वृद्धि हुई, जिससे यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया। वैश्विक मांग में गिरावट और महंगाई के दबाव को रोकने के लिए मौद्रिक नीति को कड़ा करने के बावजूद हम अब भी उम्मीद करते हैं कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में 6.8% की विकास दर देखने को मिलेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सालाना महंगाई दर 2022 में 6.9% हो गई, जो भारतीय रिजर्व बैंक के लक्ष्य 6% से ऊपर है। फिर भी, अधिकांश अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में महंगाई कम रही है। भारत की महंगाई अब अपने लक्ष्य सीमा के करीब और कई अन्य देशों की तुलना में पिछले दशक के औसत 5.8% के करीब बनी हुई है। भारत ने रूसी से रियायती दामों पर कच्चा तेल खरीदकर महंगाई में वृद्धि को नरम किया है।

रिपोर्ट कहती है, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महंगाई को अपने लक्ष्य सीमा पर वापस लाने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि की है। हमारा अनुमान है कि अगले पांच वर्षों में भारत की जीडीपी वृद्धि दर औसतन 6.4% रहने की उम्मीद है। इसके बाद अगले नौ वर्षों में विकास दर औसतन 6.5% रहने की उम्मीद है। विकास की यह तीव्र गति भारत को विश्व आर्थिक लीग तालिका में वर्तमान पांचवें स्थान से 2037 तक तीसरे स्थान पर पहुंचा देगी। अमेरिका और चीन के बाद भारत 10 लाख करोड़ डॉलर की जीडीपी हासिल करने वाला दुनिया का तीसरा देश भी बन जाएगा।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस कहते हैं, भारत के पास एक्सेस कैपैसिटी बहुत अधिक है। इन्फ्रास्ट्रक्चर को ही देखें तो अभी बहुत कुछ निर्माण होना है। इससे ग्राेथ की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। अगले 10 से 15 साल तक भारत की विकास दर 7 से 8 फीसदी के बीच रहना तय है। वहीं, अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे देशों की बात करें तो वहां इन्फ्रास्ट्रक्चर इतना विकसित हो चुका है कि उसमें बहुत ज्यादा निवेश की जरूरत नहीं रह गई है। इसलिए वहां ग्रोथ रेट काफी कम है। इसके अलावा भारत में सही सरकारी नीतियां भी ग्रोथ में मदद कर रही हैं।

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के मुख्य अर्थशास्त्री एसपी शर्मा ने जागरण प्राइम से बातचीत में कहा कि चीन को देखें तो कोविड शुरू होने से पहले ही उसकी ग्रोथ रेट कम होना शुरू हो चुकी थी। कोविड ने उसे और धीमा कर दिया। आईएमएफ या वर्ल्ड बैंक का अनुमान भी देखें तो भारत की अनुमानित विकास दर चीन से काफी अधिक है। भारत में सरकार ने कोविड के समय बहुत से रिफॉर्म किए इसका फायदा भारत को मिल रहा है। इन्फ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग में बहुत संभावनाएं हैं। इन सब के चलते अगले कुछ दशक भारत के रहने वाले हैं।

राजनीतिक कारण ही भारत को पीछे खींच सकते हैं

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को सिर्फ राजनीतिक कारक ही पीछे खींच सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, रिपोर्ट में राजनीतिक कारक का अभिप्राय भविष्य में किसी प्रकार की राजनीतिक अस्थिरता या अर्थव्यवस्था के नजरिए से प्रतिकूल निर्णय लेने वाली सरकार का गठन है। हालांकि, भारत पिछले दो दशक से राजनीति अस्थिरता से दूर है।